हिसार में कर्मचारियों का सड़कों पर आक्रोश: हरियाणा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, लघु सचिवालय पर दिया धरना, अब सीएम आवास के घेराव की चेतावनी

हिसार में कर्मचारियों का सड़कों पर आक्रोश: हरियाणा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन, लघु सचिवालय पर दिया धरना, अब सीएम आवास के घेराव की चेतावनी

The Airnews | Hisar | Updated: अभी कुछ देर पहले

हरियाणा सरकार द्वारा विभिन्न विभागों से कौशल रोजगार निगम के अंतर्गत नियुक्त कर्मचारियों को हटाने के विरोध में हिसार में कर्मचारियों का आक्रोश सड़कों पर साफ नजर आया। लघु सचिवालय के सामने प्रदर्शन करते हुए कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर धरना दिया। यह प्रदर्शन हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के तहत हटाए गए कर्मचारियों के समर्थन में किया गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया तो वे 20 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करेंगे।


महिला कर्मचारी भी हुईं शामिल, पूरे प्रदेश में उबाल

हिसार में हुए इस आंदोलन में बड़ी संख्या में महिला कर्मचारी भी शामिल हुईं। कर्मचारियों ने जिला प्रशासन को मांगपत्र सौंपते हुए चेतावनी दी कि अगर हटाए गए कर्मचारियों को दोबारा नियुक्त नहीं किया गया, तो पूरे प्रदेश में विरोध की लहर और तीव्र हो जाएगी। एचएयू के गेट नंबर 4 के सामने पार्क में इकट्ठा हुए कर्मचारियों ने जुलूस के रूप में लघु सचिवालय की ओर कूच किया।


HKRN से निकाले गए कर्मचारियों का आरोप: वादाखिलाफी कर रही है सरकार

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन में जिलेभर के कर्मचारियों ने भाग लिया। प्रदर्शन में शामिल कर्मचारियों का कहना था कि सरकार ने चुनाव से पहले पक्की नौकरी का वादा किया था लेकिन अब वो अपने वादे से मुकर रही है।

जिला प्रधान सुरेंद्र यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार ने विभिन्न विभागों जैसे सिंचाई, पशुपालन, पंचायत आदि में कार्यरत लगभग 4500 से 5000 कर्मचारियों को बिना किसी उचित प्रक्रिया के हटाया है। उनका कहना था कि सरकार ने विधानसभा चुनाव से पूर्व यह गारंटी दी थी कि कोई भी कच्चा कर्मचारी नौकरी से नहीं निकाला जाएगा और सभी को सुरक्षित रोजगार मिलेगा।


सरकार की दोहरी नीति का आरोप

सुरेंद्र यादव ने सरकार पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर तो सरकार कर्मचारियों को रोजगार देने की बात करती है, दूसरी ओर HKRN जैसे माध्यम से नौकरी पर रखे गए कर्मचारियों को बाहर निकाल रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में लाखों पद खाली पड़े हैं लेकिन सरकार फिर भी अनुभवी कर्मचारियों को हटाकर नई नियुक्तियों के नाम पर जनता को गुमराह कर रही है।


20 अप्रैल को मुख्यमंत्री आवास का घेराव

कर्मचारियों ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने जल्द ही हटाए गए कर्मचारियों को पुनः बहाल नहीं किया, तो 20 अप्रैल को पूरे हरियाणा से कर्मचारी एकत्र होकर मुख्यमंत्री के आवास का घेराव करेंगे। यह आंदोलन अब सिर्फ हिसार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राज्यव्यापी रूप लेगा।


प्रदर्शन का स्वरूप और शांति बनाए रखने की अपील

हालांकि प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा, लेकिन कर्मचारियों की नाराजगी साफ नजर आ रही थी। सर्व कर्मचारी संघ ने सभी प्रदर्शनकारियों से अपील की कि वे किसी भी परिस्थिति में कानून-व्यवस्था को न बिगाड़ें, लेकिन अपनी मांगों को लेकर संघर्ष जारी रखें।


प्रभावित विभागों की सूची

HKRN से हटाए गए कर्मचारियों की अधिकतम संख्या सिंचाई विभाग, पशुपालन विभाग, पंचायत विभाग, बिजली विभाग और शिक्षा विभाग में रही है। इनमें अधिकतर कर्मचारी पिछले 2-4 वर्षों से सेवाएं दे रहे थे। सरकार की इस कार्रवाई से हजारों परिवारों की आजीविका पर संकट खड़ा हो गया है।


सरकार का पक्ष अभी स्पष्ट नहीं

अब तक सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि कुछ अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह प्रक्रिया नियमितीकरण और पुनर्संरचना का हिस्सा है। लेकिन कर्मचारियों का मानना है कि यह सिर्फ बहाना है और उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।


राजनीतिक दलों की चुप्पी पर सवाल

हैरानी की बात यह है कि प्रदेश के बड़े राजनीतिक दल अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। सर्व कर्मचारी संघ ने मांग की है कि विपक्षी दलों को इस मामले में खुलकर सरकार से जवाब मांगना चाहिए और कर्मचारियों के पक्ष में खड़ा होना चाहिए।


जनता का समर्थन और सोशल मीडिया पर अभियान

प्रदर्शन के बाद से सोशल मीडिया पर #SaveHKRNEmployees और #JusticeForContractEmployees जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे हैं। आम जनता भी इस आंदोलन में समर्थन जता रही है और सरकार से सवाल पूछ रही है कि आखिर क्यों अनुबंध पर काम कर रहे कर्मचारियों को निकाला जा रहा है जबकि सरकारी विभागों में काम की अत्यधिक आवश्यकता बनी हुई है।


न्यायिक हस्तक्षेप की मांग

कई कर्मचारी संगठनों ने इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट से भी हस्तक्षेप की मांग की है ताकि कर्मचारियों को न्याय मिल सके और भविष्य में इस प्रकार के फैसले लेने से पहले उचित प्रक्रिया अपनाई जाए।

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