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Saturday, November 8, 2025

817वां बादली बलिदान दिवस — कौल गांव की ऐतिहासिक धरती पर समाज की एकता और सम्मान का भव्य उत्सव

दिनांक 2 अगस्त 2025 को पुण्डरी विधानसभा क्षेत्र के गांव कौल में 817वां बादली बलिदान दिवस पूरे सम्मान, श्रद्धा और समाजिक एकता की भावना के साथ अत्यंत भव्यता से आयोजित किया गया।
यह दिन रोड़ समाज के उन वीर सपूतों को समर्पित रहा, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए शौर्य और समर्पण की मिसाल बने।

समारोह की विशेष बात यह रही कि इसमें केवल हरियाणा ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से भी रोड़ समाज के सम्माननीय बुजुर्ग, माताएं, बहनें और युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए।
समाज के प्रमुख जनप्रतिनिधियों, विधायकों, चेयरमैन, प्रशासनिक अधिकारियों, पूर्व सैनिकों व सरपंचों की गरिमामयी उपस्थिति ने इस आयोजन को एकता, संस्कार और सामाजिक चेतना का महोत्सव बना दिया।

इस ऐतिहासिक अवसर पर रोड़ समाज के गौरव — पूज्य राजा रोड़ जी की प्रतिमा का अनावरण कर उनके योगदान को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।
उनके नेतृत्व, त्याग और समाजहित में किए गए कार्यों की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने हेतु “राजा रोड़ ट्रस्ट” की स्थापना की गई है।

पुंडरी के लोकप्रिय विधायक श्री सतपाल जांबा जी ने इस ट्रस्ट को अपने निजी कोष से ₹21 लाख की राशि समर्पित करते हुए समाज के प्रति अपनी गहन प्रतिबद्धता दिखाई।
यह ट्रस्ट राजनीतिक हस्तियों द्वारा नहीं, बल्कि सेना से सेवानिवृत्त सम्माननीय रोड़ समाज के सदस्य मिलकर संचालित करेंगे — ताकि यह संस्था पूर्णतः पारदर्शी, निष्पक्ष और समाज के विकास हेतु समर्पित बनी रहे।

विधायक श्री सतपाल जांबा जी ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि आने वाले समय में रोड़ समाज की विरासत, इतिहास और योगदान को जन-जन तक पहुँचाने के लिए एक भव्य संग्रहालय (म्यूज़ियम) की स्थापना की जाएगी।
साथ ही, पानीपत जिले के अहर-कुराना चौक को “राजा रोड़ चौक” के नाम से स्वीकृत करवा लिया गया है — जो बिरादरी के आत्मगौरव को एक नई पहचान देगा।

श्री सतपाल जांबा जी ने अपने संबोधन में कहा:

> “यह सिर्फ समारोह नहीं, एक सामाजिक संकल्प है।
हमें मिलकर रोड़ बिरादरी के 300 से अधिक गांवों को ऐसा विकसित बनाना है कि लोग दूर से ही कहें — यह रोड़ राजाओं का गांव है।
जब हम अपने इतिहास को आत्मगौरव और कर्म से जोड़ते हैं, तभी वह इतिहास जीवित रहता है।”

कार्यक्रम का समापन शहीदों को श्रद्धांजलि और समाजिक एकता के संकल्प के साथ किया।

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