(Yash) कैथल के प्राइवेट स्कूलों को डीसी की सख्त हिदायत: सिर्फ मान्यता प्राप्त पुस्तकें ही लगेंगी
कैथल जिले के निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें थोपने की मनमानी पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। उपायुक्त (डीसी) प्रीति ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगर किसी भी निजी स्कूल में एनसीईआरटी, एससीईआरटी और सीबीएसई द्वारा मान्यता प्राप्त पुस्तकों के स्थान पर अन्य प्रकाशकों की पुस्तकें लगाई गईं, तो संबंधित स्कूल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला छात्रों और अभिभावकों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचाने के लिए लिया गया है।
डीसी का स्पष्ट निर्देश: केवल एनसीईआरटी, एससीईआरटी और सीबीएसई की पुस्तकें लागू
कैथल के कई निजी स्कूलों में पिछले कुछ समय से निजी प्रकाशकों की महंगी पुस्तकें अनिवार्य रूप से थोपे जाने की शिकायतें आ रही थीं। इसके चलते अभिभावकों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा था। इस गंभीर मुद्दे को ध्यान में रखते हुए डीसी प्रीति ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सतर्क रहने और कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि:
विद्यालयों में सिर्फ एनसीईआरटी, एससीईआरटी और सीबीएसई द्वारा निर्धारित पुस्तकें ही पढ़ाई जानी चाहिए। निजी प्रकाशकों की पुस्तकों को जबरन लागू करने वाले स्कूलों पर कठोर कार्रवाई होगी। शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करे कि कोई भी स्कूल नियमों का उल्लंघन न करे।
नियमों का उल्लंघन करने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई
जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) रामदिया गागट ने बताया कि सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित निजी स्कूलों की नियमित जांच करें।
उन्होंने कहा कि हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमावली 2003 के अनुसार:
सभी स्कूलों को एनसीईआरटी, एससीईआरटी और सीबीएसई द्वारा निर्धारित पुस्तकों का ही प्रयोग करना अनिवार्य है। अगर किसी स्कूल में निजी प्रकाशकों की पुस्तकें पाई जाती हैं, तो इसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। खंड शिक्षा अधिकारी इस प्रकार की अवहेलना करने वाले स्कूलों की रिपोर्ट तुरंत जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को सौंपें। अगर कोई स्कूल बार-बार नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसकी मान्यता रद्द करने तक की कार्रवाई की जा सकती है।
क्यों उठाया गया यह सख्त कदम
अभिभावकों की शिकायतें: कई अभिभावकों ने शिकायत की थी कि निजी स्कूल महंगी पुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं।
शिक्षा का व्यवसायीकरण: कुछ स्कूलों ने पब्लिशिंग हाउस के साथ मिलकर एक व्यावसायिक खेल शुरू कर दिया था, जिसमें वे छात्रों को गैर-आवश्यक और महंगी पुस्तकें खरीदने पर मजबूर कर रहे थे।
छात्रों पर असर: अधिक महंगी किताबें खरीदवाने से कई छात्र शैक्षणिक सामग्री खरीदने में असमर्थ हो रहे थे। इससे उनकी पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा था।
शिक्षा विभाग की सख्ती: अब होगी कड़ी निगरानी
हर स्कूल की जांच होगी कि वे निर्धारित पुस्तकों का ही प्रयोग कर रहे हैं या नहीं। यदि कोई स्कूल नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ तुरंत कार्रवाई होगी। अभिभावकों को भी जागरूक रहने और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी की सूचना देने को कहा गया है। खंड शिक्षा अधिकारी समय-समय पर स्कूलों का निरीक्षण करेंगे।
क्या होगा यदि कोई स्कूल इन निर्देशों की अवहेलना करता है
प्रथम स्तर: स्कूल को चेतावनी दी जाएगी और तत्काल प्रभाव से निजी प्रकाशकों की पुस्तकें हटाने को कहा जाएगा। द्वितीय स्तर: यदि चेतावनी के बाद भी स्कूल निजी प्रकाशकों की पुस्तकें लागू करता है, तो उसे आर्थिक दंड लगाया जाएगा। तृतीय स्तर: बार-बार नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द की जा सकती है।
अभिभावकों के लिए जरूरी जानकारी
अगर किसी भी स्कूल में निजी प्रकाशकों की महंगी किताबें लगाई जा रही हैं, तो तुरंत इसकी सूचना शिक्षा विभाग या डीसी कार्यालय को दें।
छात्रों की शिक्षा के नाम पर किए जा रहे व्यवसायीकरण को रोकने के लिए प्रशासन ने यह सख्त निर्णय लिया है।
यह कदम शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करने के लिए उठाया गया है।
प्रशासन का संदेश: छात्रों और अभिभावकों का शोषण नहीं होगा सहन
डीसी प्रीति ने कहा कि निजी स्कूलों की मनमानी अब नहीं चलेगी।
उन्होंने सभी शिक्षकों, स्कूल प्रशासन और अभिभावकों से इस निर्णय का पालन सुनिश्चित करने की अपील की है।