कुरुक्षेत्र में पुलिस कॉन्स्टेबल ने की आत्महत्या: हाल ही में हुआ था चयन, ट्रेनिंग के दौरान उठाया यह कदम
Source: The Air News | Report: Yash
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले से एक बेहद दर्दनाक खबर सामने आई है। पुलिस विभाग में हाल ही में भर्ती हुए एक जवान ने संदिग्ध परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली। जवान हरिश, जो कि कुछ समय पहले ही बतौर कॉन्स्टेबल चयनित हुआ था, ट्रेनिंग के दौरान अपने कमरे में फंदे से लटका हुआ मिला। यह घटना आज सुबह करीब 6 बजे की बताई जा रही है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
चयनित कॉन्स्टेबल की पहचान और पृष्ठभूमि
पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या करने वाला जवान हरिश कुरुक्षेत्र जिले का ही रहने वाला था। कुछ महीने पहले ही वह हरियाणा पुलिस में बतौर कॉन्स्टेबल चयनित हुआ था और इस समय ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण ले रहा था। उसके साथी प्रशिक्षुओं का कहना है कि हरिश शांत स्वभाव का था और हमेशा अपने काम में ध्यान देता था। किसी को यह अंदेशा नहीं था कि वह ऐसा कदम उठा लेगा।
सुबह के समय मिली सूचना, साथी हुए स्तब्ध
घटना सुबह करीब 6 बजे की बताई जा रही है, जब हरिश के कमरे का दरवाजा काफी देर तक नहीं खुला। साथियों ने आवाजें दीं, लेकिन जब अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली तो अधिकारियों को सूचना दी गई। जब कमरे का दरवाजा खोला गया, तो हरिश फंदे पर लटका मिला। यह दृश्य देखकर सभी साथी स्तब्ध रह गए।
घटना की सूचना मिलते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची। कमरे की तलाशी ली गई, लेकिन अभी तक कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है।
आत्महत्या के कारणों की जांच जारी
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आत्महत्या के पीछे क्या कारण थे, इसका अभी कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिला है। हरिश के परिवार और दोस्तों से पूछताछ की जा रही है। साथ ही ट्रेनिंग सेंटर के रिकॉर्ड और CCTV फुटेज की भी जांच की जा रही है। पुलिस का मानना है कि किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले सभी तथ्यों की जांच जरूरी है।
मानसिक दबाव या व्यक्तिगत समस्या?
हरियाणा पुलिस विभाग में काम का दबाव और ट्रेनिंग की सख्ती किसी से छुपी नहीं है। कई बार युवा प्रशिक्षु इस दबाव को झेल नहीं पाते और मानसिक रूप से टूट जाते हैं। हालांकि, हरिश के मामले में अभी तक ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि वह मानसिक रूप से परेशान था। न ही उसके व्यवहार में कोई असामान्यता देखी गई थी।
कुछ साथी प्रशिक्षुओं का कहना है कि हरिश पिछले कुछ दिनों से थोड़ा चुप-चुप रहता था, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। अब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं पारिवारिक या व्यक्तिगत जीवन में कोई परेशानी तो नहीं थी।
विभागीय स्तर पर शोक और चिंता
हरिश की आत्महत्या की खबर से पुलिस विभाग में शोक की लहर फैल गई है। वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे बेहद दुखद और चिंता का विषय बताया है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि, “हम सभी स्तब्ध हैं। हरिश एक अच्छा जवान था। यह घटना विभाग के लिए भी एक आत्ममंथन का विषय है कि कहीं हमसे कोई चूक तो नहीं हो रही।”
अब विभागीय स्तर पर यह चर्चा शुरू हो गई है कि पुलिस ट्रेनिंग के दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रशिक्षुओं के लिए काउंसलिंग सत्र, मानसिक स्वास्थ्य स्क्रीनिंग और भावनात्मक समर्थन तंत्र विकसित करने की बात कही जा रही है।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
हरिश के परिवार को जैसे ही इस हादसे की सूचना मिली, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। परिवार वालों का कहना है कि हरिश ने कभी कोई परेशानी जाहिर नहीं की थी। उसके पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा, “वह हमारा गर्व था। उसने खुद मेहनत करके नौकरी पाई थी। हम कभी सोच भी नहीं सकते थे कि वह ऐसा कदम उठाएगा।”
परिजनों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है और कहा है कि यदि किसी प्रकार का दबाव या उत्पीड़न सामने आता है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
युवा पुलिसकर्मियों में बढ़ता मानसिक तनाव
यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी युवा पुलिसकर्मी ने आत्महत्या जैसा गंभीर कदम उठाया हो। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं, जहां ड्यूटी के दबाव, पारिवारिक तनाव या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं युवाओं को इस कगार तक ले जाती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस फोर्स में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता अभी भी बहुत कम है। अक्सर जवानों को मानसिक रूप से मजबूत समझा जाता है, लेकिन वे भी इंसान होते हैं, और उन्हें भी भावनात्मक समर्थन की आवश्यकता होती है।