स्वास्थ्य विभाग का कारनामा: पिता की बजाय बेटे को दिखाया मृत, मंत्री के सामने बोला – देखो, मैं जिंदा हूं…

स्वास्थ्य विभाग का कारनामा: पिता की बजाय बेटे को दिखाया मृत, मंत्री के सामने बोला – देखो, मैं जिंदा हूं…
Source: The Air News | Edit by: Yash
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक के दौरान एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। एक व्यक्ति अपने ही मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ बैठक में पहुंचा और मंत्री व अधिकारियों के सामने बोला, “देखो, मैं जिंदा हूं और यह रहा मेरा डेथ सर्टिफिकेट।” इस लापरवाही से न केवल बैठक में मौजूद सभी लोग चौंक गए, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए।
गलती से बेटे को कर दिया मृत घोषित
यह मामला कैथल के गांव सिसला निवासी बलवान से जुड़ा है। बलवान ने मंत्री राजेश नागर को बताया कि उनके पिता थानेसर के गांव किरमिच में रहते थे और उनका 7 दिसंबर 2003 को निधन हो गया था। मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए संबंधित कागजात प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, किरमिच में जमा कराए गए थे। परंतु, आश्चर्यजनक रूप से विभाग ने बलवान के पिता के स्थान पर खुद बलवान को मृत घोषित कर उसका प्रमाण पत्र जारी कर दिया।
महीनों से भटक रहा था बलवान
बलवान ने बताया कि इस त्रुटि को ठीक करवाने के लिए वह महीनों से संबंधित कार्यालयों के चक्कर काट रहा है, लेकिन कहीं भी उसकी सुनवाई नहीं हो रही थी। वह ना तो किसी सरकारी योजना का लाभ ले पा रहा था, ना ही किसी दस्तावेज़ में अपना नाम सही करा पा रहा था। जब भी वह अधिकारी के पास पहुंचता, उसे टाल दिया जाता। आखिरकार, उसने अपनी समस्या को जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में मंत्री के समक्ष रखने का निर्णय लिया।
मंत्री का फूटा गुस्सा, कार्रवाई के निर्देश
बलवान की बात सुनकर हरियाणा सरकार में मंत्री राजेश नागर ने अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह घोर लापरवाही का मामला है और इस प्रकार की गलतियां आम आदमी के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर देती हैं। मंत्री ने तुरंत संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि बलवान की समस्या का समाधान प्राथमिकता के आधार पर किया जाए और दोषी कर्मचारियों पर उचित कार्रवाई की जाए।
उप रजिस्ट्रार ने मानी गलती, पटवारी पर डाली जिम्मेदारी
घटना के बाद जिला जन्म एवं मृत्यु शाखा के उप रजिस्ट्रार डॉ. रमेश ने स्वीकार किया कि यह गलती पटवारी की ओर से हुई थी। उन्होंने बताया कि जैसे ही यह गलती उनके संज्ञान में आई, उसे तुरंत ठीक कर दिया गया था। हालांकि, बलवान का कहना है कि वह अब तक इस समस्या से परेशान है और सुधार के बावजूद उसे दस्तावेजों में सुधार की पावती नहीं मिली है।
सिस्टम में सुधार की आवश्यकता
यह घटना स्वास्थ्य विभाग और उससे संबंधित दस्तावेज़ों की प्रणाली की खामियों को उजागर करती है। जिस प्रकार से एक जीवित व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया गया और उसे महीनों तक दर-दर भटकना पड़ा, वह न केवल प्रशासनिक विफलता है बल्कि आम जनता के साथ अन्याय भी है।
सामाजिक और मानसिक प्रभाव
बलवान जैसे व्यक्ति के लिए यह त्रुटि केवल एक दस्तावेज़ की गलती नहीं थी, बल्कि इसका सीधा असर उसके सामाजिक और मानसिक जीवन पर भी पड़ा। वह सरकारी योजनाओं से वंचित हो गया, अपनी पहचान साबित करने में असफल रहा और मानसिक तनाव से जूझता रहा। यह दिखाता है कि दस्तावेजों की सटीकता आम नागरिक के लिए कितनी अहम है।
मंत्री के हस्तक्षेप से जगी उम्मीद
मंत्री राजेश नागर के हस्तक्षेप के बाद अब बलवान को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे जल्द से जल्द इस गलती को दुरुस्त करें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा ना हो। साथ ही इस घटना ने यह संदेश भी दिया कि यदि आम आदमी अपनी आवाज सही मंच पर उठाए, तो व्यवस्था को झकझोरा जा सकता है।




