
पानीपत शिक्षा विभाग की लिस्ट पर विवाद: 17 साल से मान्यता प्राप्त स्कूल को बताया जाली
स्रोत: The Air News | संपादन: यश
हरियाणा के पानीपत जिले में शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई 183 जाली स्कूलों की लिस्ट पर अब विवाद खड़ा हो गया है। इस सूची में दर्ज एक मिडिल स्कूल ने शिक्षा विभाग के दावे को खारिज करते हुए अपनी मान्यता को वैध बताया है। स्कूल प्रशासन का कहना है कि उनका स्कूल वर्ष 2008 से लगातार मान्यता प्राप्त है और विभाग ने सूची अपडेट किए बिना ही उन्हें जाली स्कूलों की सूची में शामिल कर दिया।
शिक्षा विभाग की सूची से उठे सवाल
शिक्षा विभाग की तरफ से पिछले सप्ताह एक सूची जारी की गई थी, जिसमें 183 ऐसे स्कूलों के नाम थे, जिन्हें विभाग ने अवैध या बिना मान्यता के चलने वाले स्कूल बताया था। यह सूची सामने आने के बाद अभिभावकों में चिंता का माहौल बन गया और संबंधित स्कूलों की साख पर भी सवाल खड़े हो गए।
हालांकि, जैसे ही सूची सार्वजनिक हुई, उसी समय कई स्कूलों ने इस पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी। उनका कहना है कि सूची में शामिल करना विभाग की लापरवाही को दर्शाता है, जिससे वर्षों से चल रहे वैध स्कूलों की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है।
स्कूल प्रबंधन की प्रतिक्रिया
सूची में शामिल एक मिडिल स्कूल के प्रधानाचार्य ने कहा, “हमारा स्कूल वर्ष 2008 से शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त है और हर वर्ष समय पर नवीनीकरण की प्रक्रिया को पूरा करते हैं। हमने विभाग को सभी दस्तावेज भेजे थे, लेकिन बावजूद इसके हमारा नाम गलत तरीके से इस सूची में शामिल किया गया।”
उन्होंने आगे कहा, “इस लापरवाही से न केवल हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है, बल्कि अभिभावकों और छात्रों के बीच भी भ्रम की स्थिति बन गई है।”
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा का बयान
हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विभाग ने यह सूची प्रारंभिक जांच के आधार पर तैयार की है। यदि किसी स्कूल को लगता है कि उसका नाम गलत तरीके से सूची में जोड़ा गया है, तो वह अपने दस्तावेजों के साथ विभाग के समक्ष आपत्ति दर्ज करा सकता है। विभाग मामले की जांच करेगा और यदि गलती पाई जाती है तो सूची में संशोधन किया जाएगा।
अभिभावकों में फैली चिंता
183 स्कूलों की सूची सामने आने के बाद अभिभावकों में गहरी चिंता देखने को मिल रही है। एक अभिभावक ने कहा, “हमने बच्चों को अच्छे भविष्य के लिए इन स्कूलों में दाखिल किया है। अगर ये स्कूल जाली साबित होते हैं तो बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। सरकार को जांच पड़ताल कर ही कोई कदम उठाना चाहिए।”
विभाग की प्रक्रिया पर उठे सवाल
शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी अब सवाल खड़े हो रहे हैं। कई शिक्षाविदों का मानना है कि बिना समुचित दस्तावेजों की जांच के इस तरह की लिस्ट सार्वजनिक करना, शिक्षा व्यवस्था की गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कदमों से जहां एक ओर गलत स्कूलों पर कार्रवाई होती है, वहीं दूसरी ओर वैध स्कूलों की छवि भी खराब होती है।
स्कूलों की मांग: हो निष्पक्ष जांच
सूची में शामिल स्कूलों ने विभाग से मांग की है कि एक स्वतंत्र समिति गठित की जाए जो स्कूलों के दस्तावेजों की जांच कर निष्पक्ष रिपोर्ट तैयार करे। साथ ही, विभाग को चाहिए कि वह सार्वजनिक माफी जारी करे उन स्कूलों से जिनका नाम गलती से सूची में शामिल किया गया है।
शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता जरूरी
यह मामला इस ओर इशारा करता है कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और अपडेटेड डाटा का कितना महत्व है। अगर विभाग समय-समय पर स्कूलों की मान्यता को अपडेट करता और उनके रिकॉर्ड को डिजिटली संरक्षित करता, तो इस तरह की स्थिति उत्पन्न नहीं होती।