नायब सरकार का बड़ा फैसला: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में अनिवार्य हुई ‘टीचर्स डायरी’ |

नायब सरकार का बड़ा फैसला: हरियाणा के सरकारी स्कूलों में अनिवार्य हुई ‘टीचर्स डायरी’ | The Airnews
The Airnews | Edited by: Yash | स्थान: चंडीगढ़, हरियाणा
हरियाणा की नायब सरकार ने एक बड़ा और अहम फैसला लेते हुए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए ‘टीचर्स डायरी’ को अनिवार्य कर दिया है। इस नई व्यवस्था के तहत अब शिक्षकों को न केवल विद्यार्थियों को पढ़ाने की योजना पहले से तय करनी होगी, बल्कि उसे नियमित रूप से ऑनलाइन भी अपडेट करना होगा। यह कदम शिक्षण व्यवस्था में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
क्या है ‘टीचर्स डायरी’?
‘टीचर्स डायरी’ एक डिजिटल शिक्षण योजना है जिसमें शिक्षक यह दर्ज करेंगे कि वे विद्यार्थियों को क्या पढ़ा रहे हैं, किस पद्धति से पढ़ा रहे हैं और भविष्य में किस प्रकार की शिक्षा देने की योजना बना रहे हैं। अब यह डायरी एमआईएस (मैनेजमेंट इंफोर्मेशन सिस्टम) पोर्टल पर उपलब्ध होगी और शिक्षकों को नियमित रूप से इसे अपडेट करना अनिवार्य होगा।
अब तक की व्यवस्था
अब तक शिक्षक अपने-अपने तरीके से डायरी भरते थे। कुछ शिक्षक उस दिन पढ़ाए गए पाठ को लिखते थे तो कुछ आगामी दिन के लिए योजना बनाकर डायरी में दर्ज करते थे। शिक्षा विभाग की ओर से कोई सख्त नियम नहीं था, जिससे शिक्षण की गुणवत्ता और निगरानी में कमी आ रही थी।
नई व्यवस्था के मुख्य बिंदु:
- डेली डायरी अनिवार्य – सभी सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए प्रतिदिन डायरी भरना जरूरी होगा।
- एमआईएस पोर्टल पर अपडेट – डायरी को ऑनलाइन एमआईएस पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
- आईडी लिंकिंग – प्रत्येक शिक्षक की डायरी उसकी कर्मचारी आईडी से लिंक होगी।
- स्कूल इंचार्ज की निगरानी – हेड टीचर, हेडमास्टर या प्रिंसिपल डायरी को सत्यापित करेंगे। वे चाहें तो डायरी को रिजेक्ट भी कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए स्पष्ट कारण बताना होगा।
- विभागीय अधिकारियों की जांच – शिक्षा निदेशालय और अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर तक डायरी की ऑनलाइन निगरानी की जा सकेगी।
- जिला स्तरीय निगरानी – जिला शिक्षा अधिकारी और मौलिक शिक्षा अधिकारी डायरी को नियमित रूप से चेक करेंगे।
- कार्रवाई का प्रावधान – डायरी न भरने वाले शिक्षकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
शिक्षकों की भूमिका और अपेक्षाएं
अब शिक्षकों को केवल पठन-पाठन तक सीमित नहीं रहना, बल्कि उन्हें यह भी बताना होगा कि वे बच्चों को पढ़ाने के लिए क्या रणनीति अपना रहे हैं। उदाहरण के तौर पर:
- कौन-कौन से अध्याय कब-कब पढ़ाए जाएंगे?
- विद्यार्थियों को पढ़ाने में कौन-सी शिक्षण विधियां अपनाई जाएंगी?
- मूल्यांकन किस प्रकार से होगा?
फायदे क्या होंगे?
- शिक्षा में पारदर्शिता: शिक्षकों की पढ़ाई का रिकॉर्ड अब अधिकारियों के पास ऑनलाइन उपलब्ध रहेगा।
- शिक्षण गुणवत्ता में सुधार: हर शिक्षक को पढ़ाई की योजना पहले से बनानी होगी जिससे शिक्षण में एकरूपता आएगी।
- बच्चों के भविष्य की बेहतर योजना: विद्यार्थी अब योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई करेंगे, जिससे उनका शैक्षणिक विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
- जवाबदेही: अब शिक्षक और स्कूल इंचार्ज दोनों की जिम्मेदारी तय होगी।
- प्रशासनिक नियंत्रण में मजबूती: अधिकारी कभी भी ऑनलाइन डायरी की जांच कर सकते हैं जिससे फर्जीवाड़ा और लापरवाही पर रोक लगेगी।
डायरी में क्या-क्या होगा शामिल?
- प्रतिदिन का शिक्षण कार्य
- शिक्षण विधि का विवरण
- विद्यार्थियों की सहभागिता की रिपोर्ट
- आगामी एक सप्ताह, दस दिन या पंद्रह दिन की शिक्षण योजना
- मूल्यांकन और होमवर्क की जानकारी
स्थानांतरण की स्थिति में क्या होगा?
यदि किसी शिक्षक का स्थानांतरण हो जाता है, तो पहले स्कूल की डायरी की सभी एंट्रियां हटा दी जाएंगी और नए स्कूल की जानकारी जोड़ दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि प्रत्येक स्कूल में अद्यतन और प्रासंगिक जानकारी ही उपलब्ध हो।
विशेष छूट:
सामान्य शिक्षक स्थानांतरण अभियान के दौरान शिक्षकों को डायरी जमा करने से छूट दी गई है। यह छूट अस्थायी होगी और स्थानांतरण के बाद डायरी अपडेट की जिम्मेदारी शिक्षक की होगी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों का मानना है कि यह व्यवस्था शिक्षकों की कार्यप्रणाली को अधिक पेशेवर बनाएगी। साथ ही यह पहल सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुधारने की दिशा में बड़ा कदम है।
समाज में प्रतिक्रियाएं
इस फैसले की कुछ शिक्षकों ने सराहना की है जबकि कुछ ने इसे अतिरिक्त बोझ बताया है। एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने बताया, “अब हमें पढ़ाने के साथ-साथ योजना भी नियमित बनानी होगी, जिससे तैयारी बेहतर हो पाएगी।” वहीं कुछ शिक्षकों का कहना है कि इससे पढ़ाने का समय कम होगा क्योंकि डायरी भरने में भी समय लगेगा।




