हरियाणा में नहीं बढ़ेगी रजिस्ट्री की दर: मुख्यमंत्री ने रोका कलेक्टर रेट संशोधन, पुरानी दरें ही रहेंगी लागू
The Airnews | रिपोर्टर – Yash | स्थान: चंडीगढ़ | दिनांक: 11 अप्रैल 2025
मुख्यमंत्री का अहम फैसला: प्रॉपर्टी खरीदने वालों को राहत
हरियाणा सरकार ने प्रॉपर्टी खरीदने वालों के लिए एक राहत भरा निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए कलेक्टर रेट में प्रस्तावित संशोधन को रोकते हुए पुराने दरों को ही अगले आदेश तक लागू रखने के निर्देश जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस निर्णय को जनहित में उठाया गया कदम बताया है।
राजस्व विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार अब प्रदेश भर में रजिस्ट्री पुराने कलेक्टर दरों पर ही होती रहेगी। इससे राज्य में प्रॉपर्टी लेनदेन करने वालों को अतिरिक्त आर्थिक बोझ से फिलहाल राहत मिलेगी।
FCR सुमिता मिश्रा की पुष्टि
वित्त आयुक्त और अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) सुमिता मिश्रा ने इस आदेश की पुष्टि करते हुए बताया कि,
“हरियाणा में दिसंबर 2024 में ही कलेक्टर रेट का संशोधन किया गया था। ऐसे में अभी नए संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में जो दरें लागू हैं, वे ही अगले आदेश तक प्रभावी रहेंगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की ओर से फिलहाल जिलों से कोई नया डेटा या रिपोर्ट नहीं मांगा गया है, इसलिए आगे की कोई कवायद शुरू नहीं की गई है।
जनता को होगा सीधा लाभ
हरियाणा के लाखों नागरिक, जो मकान, दुकान या भूमि खरीदने की योजना बना रहे थे, उनके लिए यह फैसला राहत लेकर आया है। आम तौर पर कलेक्टर रेट बढ़ने के साथ ही स्टांप शुल्क भी बढ़ जाता है, जिससे रजिस्ट्री का खर्च काफी बढ़ जाता है। लेकिन अब पुरानी दरों पर रजिस्ट्री होने से लोगों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा।
दिसंबर 2024 में हो चुका था संशोधन
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने दिसंबर 2024 में ही पिछली बार कलेक्टर दरों में संशोधन किया था। उस समय भी नई सरकार बनने के बाद यह पहला संशोधन था। आमतौर पर कलेक्टर रेट में हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल में बदलाव किया जाता है। लेकिन वर्ष 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के चलते यह प्रक्रिया देर से हुई थी।
जिलों ने खुद ही बना डाले थे प्रस्ताव
हालांकि कुछ जिलों ने सरकार से किसी निर्देश के बिना ही अपने स्तर पर 10 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी वाले कलेक्टर रेट के प्रस्ताव तैयार कर लिए थे। इतना ही नहीं, उन्होंने इन प्रस्तावों को सार्वजनिक करने और आपत्तियां आमंत्रित करने की तैयारी भी कर ली थी।
सूत्रों के मुताबिक, कई जिलों में प्रशासन ने मार्च 2025 तक यह मानकर तैयारियां शुरू कर दी थीं कि हर साल की तरह अप्रैल में संशोधन होगा। लेकिन सरकार की ओर से स्पष्ट आदेश न होने के बावजूद स्थानीय स्तर पर तेजी दिखाई गई।
लोकसभा और विधानसभा चुनावों का पड़ा असर
राजस्व विभाग के सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2024 में अप्रैल महीने में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी थी। उस दौरान आचार संहिता लागू हो जाने के कारण वार्षिक संशोधन नहीं किया जा सका। बाद में जब नई सरकार अक्टूबर में बनी, तो दिसंबर में संशोधन किया गया।
इस प्रकार, चार महीने पहले ही दरों में बदलाव हो चुका था, इसलिए मुख्यमंत्री ने इसे दोबारा संशोधित करने की प्रक्रिया को फिलहाल स्थगित कर दिया है।
प्रॉपर्टी बाजार में आई स्थिरता
कलेक्टर दरों के स्थगन से हरियाणा के रियल एस्टेट सेक्टर में स्थिरता बनी रहेगी। बाजार में यह आशंका थी कि यदि दरें बढ़ा दी गईं, तो प्रॉपर्टी की लागत बढ़ेगी और लेनदेन में गिरावट आएगी। लेकिन अब सरकार के इस फैसले से बाजार में संतुलन बना रहेगा और निवेशकों का भरोसा भी कायम रहेगा।
सरकार का उद्देश्य: जनता को राहत, राजस्व में स्थिरता
राज्य सरकार ने यह फैसला केवल आम जनता को राहत देने के लिए नहीं, बल्कि राजस्व संग्रहण में स्थिरता बनाए रखने के लिए भी लिया है। स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री से राज्य सरकार को सालाना हजारों करोड़ रुपये की आय होती है। यदि दरें अचानक बढ़ा दी जातीं तो लेनदेन घट सकता था, जिससे राजस्व प्रभावित होता।
राजस्व अधिकारियों के अनुसार,
“दरें स्थिर रहने से जनता का रुझान प्रॉपर्टी खरीदने की ओर बना रहेगा और सरकार को भी स्थिर राजस्व प्राप्त होता रहेगा।”
कलेक्टर रेट क्या होता है?
कलेक्टर रेट को सर्कल रेट या गाइडलाइन वैल्यू भी कहा जाता है। यह वह न्यूनतम मूल्य होता है, जिस पर किसी अचल संपत्ति की रजिस्ट्री की जाती है। किसी भी क्षेत्र में जमीन, मकान, दुकान या अन्य संपत्ति की कीमत का आकलन इसी दर से किया जाता है और इसी के आधार पर स्टांप शुल्क वसूला जाता है।
हर वर्ष प्रशासन इन दरों की समीक्षा करता है और जमीन की लोकेशन, बाज़ार भाव और अन्य कारकों के आधार पर इसे संशोधित करता है।
स्टांप ड्यूटी से राज्य को बड़ा राजस्व
हरियाणा सरकार को स्टांप शुल्क और पंजीकरण फीस से हर साल लगभग 6,000 करोड़ रुपये तक का राजस्व मिलता है। यह आय राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक योजनाओं में निवेश के लिए उपयोग होती है।
दरें बढ़ने पर आम नागरिकों को अधिक राशि चुकानी पड़ती, जिससे रजिस्ट्री की संख्या में गिरावट आ सकती थी। इस कारण सरकार ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय लिया।
आगे क्या होगा?
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वर्तमान दरें अगले आदेश तक लागू रहेंगी। इसका अर्थ है कि जब तक नई अधिसूचना नहीं जारी होती, तब तक सभी जिलों में रजिस्ट्री पुराने रेट पर ही होती रहेगी।
राजस्व विभाग ने सभी डीसी और रजिस्ट्रार ऑफिस को निर्देश दे दिए हैं कि कोई भी नया प्रस्ताव ना बनाया जाए और न ही कोई संशोधन प्रक्रिया चलाई जाए।
राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम फैसला
विधानसभा चुनाव के बाद नायब सिंह सैनी सरकार की यह दूसरी बड़ी प्रशासनिक घोषणा है जो सीधे तौर पर जनता को राहत देती है। विपक्ष जहां महंगाई और टैक्स वृद्धि जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है, वहीं यह निर्णय सरकार को आम जनता के करीब लाने में सहायक साबित हो सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर की प्रतिक्रिया
राज्य के रियल एस्टेट डेवलपर्स और प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि कलेक्टर रेट स्थिर रहने से बाजार में गतिविधि बनी रहेगी और खरीददारों की संख्या में इजाफा होगा।
गुरुग्राम के एक बड़े रियल एस्टेट कंसल्टेंट ने बताया,
“यदि दरें बढ़तीं तो मिडिल क्लास की पहुंच से घर और दुकानें बाहर हो जातीं। सरकार ने समय रहते राहत दी है