



टोहाना में आसमानी बिजली गिरने से मां की मौत, बेटी गंभीर रूप से घायल
टोहाना 12 अप्रैल: टोहाना उपमंडल के गांव नागला में एक दुखद घटना घटी, जिसमें एक मां की असमय मौत हो गई और उसकी बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई। घटना उस समय घटी जब मां-बेटी खेतों में मजदूरी करने के बाद घर लौट रही थीं और अचानक आसमानी बिजली गिर गई। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए दुखद है, बल्कि समाज को यह भी याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाएं किस तरह मानव जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।
घटना का विवरण
टोहाना उपमंडल के गांव नागला में रहने वाली 40 वर्षीय राधा, जो कि चार बेटियों और एक बेटे की मां थीं, और उनकी 13 वर्षीय बेटी संजना खेतों में मजदूरी करने के बाद शाम को अपने घर लौट रही थीं। वे खेत में दिनभर मेहनत कर लौट रही थीं, उसी समय अचानक मौसम ने करवट ली और आसमानी बिजली गिरने से यह घटना घटित हो गई।
बिजली गिरने से राधा की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसकी बेटी संजना गंभीर रूप से घायल हो गई। संजना के पांव में गंभीर चोटें आई हैं, जिससे उसे तुरंत इलाज की आवश्यकता थी। उसे तुरंत नागरिक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है। इस दुर्घटना से राधा के परिवार में शोक की लहर दौड़ गई है।
परिवार की स्थिति
मृतका राधा के पति सुभाष ने बताया कि उनका परिवार बेहद साधारण जीवन जीता है। वे मजदूरी करके अपना गुजर-बसर करते थे। राधा की चार बेटियां और एक बेटा हैं। राधा का निधन उनके परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है। सुभाष ने बताया कि उनकी पत्नी राधा ने हमेशा अपने बच्चों की देखभाल की और परिवार की कठिनाइयों को नजरअंदाज करते हुए अपने कर्तव्यों को निभाया।
सुभाष ने प्रशासन और सरकार से मदद की गुहार लगाई है, ताकि उनकी पत्नी की मौत के बाद उनके परिवार को किसी भी प्रकार की मदद मिल सके। साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि राधा की बेटी संजना का इलाज चल रहा है, और वह उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी बेटी जल्द ठीक हो जाएगी।
प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव
यह घटना एक बार फिर से हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे प्राकृतिक आपदाएं बिना किसी चेतावनी के मानव जीवन को प्रभावित कर सकती हैं। इस तरह की घटनाओं में किसी की भी जान जा सकती है, और कभी-कभी, ऐसे हादसों से बचने के लिए पर्याप्त तैयारी भी नहीं हो पाती।
भारत में मानसून के दौरान बिजली गिरने की घटनाएं आम हो जाती हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां कृषि कार्य अधिक होता है। गांवों में लोग खुले मैदानों में काम करते हैं, और इस प्रकार की प्राकृतिक आपदाएं उनके जीवन को खतरे में डाल सकती हैं।