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Saturday, November 8, 2025

हरियाणवी गानों पर बैन के विवाद ने पकड़ा तूल: पंजाब तक पहुंची गूंज, बब्बू मान ने मासूम शर्मा का किया समर्थन, गजेंद्र फोगाट ने किया पलटवार

हरियाणवी गानों पर बैन के विवाद ने पकड़ा तूल: पंजाब तक पहुंची गूंज, बब्बू मान ने मासूम शर्मा का किया समर्थन, गजेंद्र फोगाट ने किया पलटवार
Author: The Airnews | Edited by: Yash


परिचय: एक कला संस्कृति पर सवाल या सियासी साजिश?

हरियाणा में इन दिनों सांस्कृतिक अस्मिता और संगीत की अभिव्यक्ति को लेकर गहरा विवाद खड़ा हो गया है। हरियाणवी गानों पर प्रतिबंध और उन्हें सोशल मीडिया से हटाए जाने को लेकर कलाकारों में भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। इस विवाद ने अब राज्य की सीमाएं लांघते हुए पंजाब तक पहुंच बना ली है, जहां से मशहूर पंजाबी गायक बब्बू मान ने हरियाणवी गायक मासूम शर्मा का खुलकर समर्थन किया है। वहीं, हरियाणा सरकार के ओएसडी और कलाकार गजेंद्र फोगाट ने इस मुद्दे पर तीखा पलटवार किया है।


मुद्दा क्या है?

दरअसल, पिछले कुछ दिनों में हरियाणवी कलाकार मासूम शर्मा के कई गाने इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया से डिलीट कर दिए गए हैं। उनका आरोप है कि यह कार्रवाई सरकार की ओर से जानबूझकर करवाई गई है और खासतौर पर गजेंद्र फोगाट इस प्रक्रिया में शामिल हैं। मासूम शर्मा ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे कलाकारों की आज़ादी पर हमला बताया।


बब्बू मान का खुला समर्थन: “गाना अगर सेंसर से पास है तो रोकना क्यों?”

पंजाबी सिंगर बब्बू मान ने मासूम शर्मा के समर्थन में बयान देते हुए कहा कि अगर कोई गाना सेंसर बोर्ड से पास होकर टीवी पर चल रहा है तो उसे रोकना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, “हर कलाकार को अपनी कला प्रदर्शित करने का अधिकार है। हरियाणवी संगीत संस्कृति को रोकना गलत है।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि हरियाणा के युवाओं में पंजाबी संगीत का काफी प्रभाव रहा है और यही कारण है कि उन्होंने हरियाणवी भाषा में म्यूजिक बनाने की प्रेरणा ली।


गजेंद्र फोगाट का जवाब: “दो-चार गाने हटे तो भैं-भैं क्यों?”

गजेंद्र फोगाट ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि मासूम शर्मा बेवजह उन्हें निशाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, “दो चार गाने हटे तो भैं-भैं क्यों कर रहे हो? अगर गाने इंस्टाग्राम ने गाइडलाइन के तहत हटाए हैं तो उसमें मेरा क्या रोल?”

गजेंद्र का तर्क है कि गाने में यदि माइनर बच्चे को अनुचित गतिविधियों में दिखाया गया है, तो इंस्टाग्राम की गाइडलाइन के अनुसार वह सामग्री हटाई जाती है। उन्होंने कहा, “पहली बात, आपने बच्चे से वो काम करवाया ही क्यों?”


जातिगत रंग और राजनीति: प्रदीप बूरा का बयान

कलाकार प्रदीप बूरा ने इस विवाद को जातिगत रंग देने की कोशिश की और कहा कि ब्राह्मण समाज को इस मुद्दे पर सामने आना चाहिए। उन्होंने गजेंद्र फोगाट के पक्ष में बात करते हुए कहा कि समाज को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।


गंभीर आरोपों पर सफाई: “अगर चोरी करोगे तो पुलिस पकड़ेगी ही”

गजेंद्र ने स्पष्ट किया कि कानून का पालन जरूरी है। उनका कहना था कि अगर आप ट्रैफिक सिग्नल तोड़ते हैं और चालान होता है, तो क्या पुलिस को गालियां दोगे? उन्होंने कहा, “कानून के हिसाब से चलो, कौन तंग करेगा?”


पंजाब की तुलना और चेतावनी: “खालिस्तानी मूवमेंट ऐसे ही शुरू हुआ था”

गजेंद्र फोगाट ने पंजाब में पिछले 20-30 साल में हुए सामाजिक और सांस्कृतिक बदलावों की ओर इशारा करते हुए चेतावनी दी कि हरियाणा में भी ऐसी स्थिति बन सकती है। उन्होंने कहा कि पंजाब में पहले नशा आया, फिर गन कल्चर, और फिर आतंकवाद। अब वही चक्र हरियाणा में दोहराया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “जो गन कल्चर और नशे को बढ़ावा दे रहे हैं, वो समझ लें कि इसका अंत विनाश ही है।”


पंजाबी सिंगर्स की हालत पर टिप्पणी: “आधे सिंगर विदेशों में रहते हैं”

गजेंद्र ने कहा कि पंजाब के हालात इतने खराब हो चुके हैं कि वहां के अधिकांश गायक अब दुबई, कनाडा और इंग्लैंड में रहते हैं। उन्होंने सिद्धू मूसेवाला की हत्या का उदाहरण देते हुए कहा कि पंजाब अब फिरौती और गोलीकांडों के लिए बदनाम हो चुका है।


बब्बू मान की सोच: “मूल भाषा और संस्कृति का सम्मान जरूरी”

बब्बू मान ने यह भी कहा कि उन्होंने हरियाणवी कलाकारों को शुरुआत में ही कहा था कि जिस भाषा में जन्मे हो, उसी में म्यूजिक करो। उन्होंने कहा, “पहले रागनी होती थी, अब कास्ट के नाम पर विभाजन किया जा रहा है। पहले एक शहरी और एक ग्रामीण जमात थी, अब हर चीज जातियों में बंट गई है।”


मनोरंजन के नए स्वरूपों की बात: “हर किसी का तरीका अलग होता है”

बब्बू मान ने कहा कि आज पंजाब में लोग बाहुबली और पुष्पा जैसी फिल्में भी देख रहे हैं। हर किसी का अपना मनोरंजन का तरीका होता है। अगर कोई गाना सेंसर से पास हो चुका है, तो उसे टीवी पर चलने से रोका नहीं जाना चाहिए।


कलाकारों की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक जिम्मेदारी

यह विवाद केवल सेंसरशिप या व्यक्तिगत बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कलाकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज में कला की भूमिका पर भी सवाल खड़े करता है। क्या सरकार को इस हद तक दखल देना चाहिए? क्या कलाकारों को पूरी छूट मिलनी चाहिए या उन्हें भी सामाजिक जिम्मेदारियों के दायरे में रहना चाहिए?

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