
हरियाणा में अधिकारियों की दोहरी पोस्टिंग पर सख्ती: सरकार के नए आदेश से पारदर्शिता और दक्षता की उम्मीद
रिपोर्ट: The Airnews | स्थान: चंडीगढ़
हरियाणा सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था को और पारदर्शी, दक्ष और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने अधिकारियों की दोहरी पोस्टिंग (डुअल पोस्टिंग) पर सख्ती करते हुए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन आदेशों के अनुसार अब किसी भी अधिकारी को उसके गृह जिले में अतिरिक्त प्रभार (एक्स्ट्रा चार्ज) नहीं दिया जाएगा और न ही कम वेतनमान वाले अधिकारियों को उच्च वेतनमान की पोस्टिंग का चार्ज सौंपा जाएगा।
यह फैसला राज्य के वित्त विभाग द्वारा लिया गया है, जिसमें सभी विभागाध्यक्षों (HODs) और जिलों में कार्यरत नोडल अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। इसका मकसद प्रशासन में जवाबदेही बढ़ाना, जूनियर अधिकारियों को प्रमोशन के अवसर देना, और सरकारी संसाधनों के फिजूल खर्च पर लगाम लगाना है।
मुख्य बिंदु:
- गृह जिले में नहीं मिलेगा अतिरिक्त प्रभार
- कम वेतनमान वाले अफसरों को उच्च वेतनमान का अतिरिक्त चार्ज नहीं
- प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का प्रयास
- जूनियर अधिकारियों को प्रमोशन का मौका मिलेगा
- राज्य के खजाने पर होने वाला अनावश्यक खर्च रुकेगा
पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
मुख्यमंत्री सैनी के नेतृत्व में प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार को लेकर चल रही कवायद के तहत यह निर्णय प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ावा देने वाला है। पिछले कई वर्षों से यह देखा जा रहा था कि अनेक अधिकारी दो-दो पदों पर कार्यरत रहते हैं—एक पद मुख्यालय स्तर पर और दूसरा जिला स्तर पर। इसके चलते वे दो स्थानों से लाभ प्राप्त करते थे, जिनमें आधिकारिक आवास, यात्रा भत्ता, सरकारी वाहन आदि शामिल हैं।
गृह जिले में पोस्टिंग से बचा जाएगा टकराव
नई नीति के अनुसार, अधिकारियों को अब उनके गृह जिले में अतिरिक्त चार्ज नहीं मिलेगा। इसका उद्देश्य यह है कि अधिकारी अपने व्यक्तिगत संबंधों के चलते प्रशासनिक निर्णयों में पक्षपात न करें। साथ ही इससे यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि अधिकारी अपने गृहनगर में पोस्टिंग का फायदा उठाकर गैरजिम्मेदाराना निर्णय न लें।
वरिष्ठ अधिकारी बोले – प्रशासन में आएगी पारदर्शिता
हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कदम न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाएगा बल्कि जूनियर अधिकारियों के लिए भी पदोन्नति का मार्ग प्रशस्त करेगा। अभी तक वरिष्ठ अधिकारी दोहरी पोस्टिंग के चलते अपने अधीनस्थों को आगे बढ़ने का मौका नहीं देते थे। अब ऐसा नहीं होगा। इससे अधिकारियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और कार्यक्षमता में भी सुधार होगा।
दोहरी पोस्टिंग से होने वाला नुकसान
वर्तमान में सैकड़ों अधिकारी और कर्मचारी ऐसे हैं जो मुख्यालय और जिला स्तर पर एक साथ दो पदों का लाभ ले रहे हैं। वे एक जगह पदोन्नत होकर कार्यरत हैं और दूसरी जगह अतिरिक्त प्रभार भी संभाल रहे हैं। इससे जहां एक ओर शासन व्यवस्था पर बोझ बढ़ता है, वहीं दूसरी ओर सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग भी होता है। इस प्रकार की व्यवस्थाओं से न केवल वित्तीय नुकसान होता है, बल्कि पारदर्शिता और निष्पक्षता भी प्रभावित होती है।
दोहरी पोस्टिंग से लाभ उठाने की प्रवृत्ति
कुछ अधिकारियों द्वारा पंचकूला या चंडीगढ़ जैसे मुख्यालय स्थलों पर अपनी पोस्टिंग बनाए रखने की प्रवृत्ति देखी गई है, ताकि वे आवास, स्टाफ और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ ले सकें। साथ ही, वे जिला स्तर पर भी प्रभावशाली पदों पर बने रहकर स्थानीय राजनीति और तंत्र को प्रभावित करते हैं। सरकार के इस फैसले से अब ऐसी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगेगा।
प्रशासनिक खर्च में कटौती
राज्य के खजाने पर दोहरी पोस्टिंग की वजह से बढ़ते खर्च को भी यह निर्णय रोकने में सहायक होगा। जब एक अधिकारी दो जगह से भत्ते, आवास और सुविधाएं प्राप्त करता है, तो यह सीधा-सीधा राजकोष पर अतिरिक्त बोझ डालता है। सरकार ने इस फिजूलखर्ची को रोकने के लिए इस निर्णय को लागू किया है।
जूनियर अफसरों के लिए वरदान साबित होगा यह कदम
यह निर्णय उन सैकड़ों जूनियर अधिकारियों के लिए आशा की किरण बनकर आया है जो वर्षों से पदोन्नति की राह देख रहे थे। वरिष्ठ अधिकारी यदि दोहरी पोस्टिंग पर रहते हैं तो वे जूनियर स्टाफ को आगे नहीं बढ़ने देते। अब उन्हें अवसर मिलेगा, जिससे राज्य के प्रशासनिक तंत्र में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होगा।
उदाहरण के रूप में प्रभाव
पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां एक अधिकारी चंडीगढ़ में पदस्थ था और साथ ही किसी जिले में डीसी या एसडीएम का चार्ज भी संभाल रहा था। ऐसे मामलों में अधिकारी अपने दोनों पदों का लाभ उठाकर राजनीतिक और व्यक्तिगत हित साधते हैं। अब इस निर्णय से ऐसी प्रवृत्तियों पर नियंत्रण होगा।
जनता को भी मिलेगा लाभ
इस निर्णय से केवल प्रशासनिक सुधार ही नहीं होंगे, बल्कि इसका सीधा फायदा आम जनता को भी मिलेगा। जब अधिकारी एक जगह पूरी तरह समर्पित होंगे, तब वे बेहतर सेवाएं दे सकेंगे। अभी तक दोहरी जिम्मेदारी के चलते कई बार जनता की समस्याएं लंबित रह जाती थीं। अब अधिकारी एक पद और एक क्षेत्र पर फोकस कर सकेंगे।