
कैथल मंडियों में गेहूं का उठान बना संकट: चार लाख क्विंटल फसल आई, लेकिन उठान मात्र 9 हजार क्विंटल का | सात आढ़तियों को नोटिस, मंडी प्रशासन सख्त
The Airnews | रिपोर्ट: Yash (कैथल)
कैथल, अप्रैल 2025: हरियाणा के कैथल जिले की अनाज मंडियों में इस समय गेहूं की भारी आवक हो रही है, लेकिन इसके अनुरूप उठान नहीं हो पाने से संकट खड़ा हो गया है। अब तक मंडियों में करीब चार लाख क्विंटल गेहूं की आवक दर्ज की जा चुकी है, लेकिन केवल 9 हजार क्विंटल गेहूं का ही उठान हो पाया है। यह स्थिति न केवल मंडी में अव्यवस्था पैदा कर रही है, बल्कि किसानों और व्यापारियों के लिए भी बड़ी परेशानी बन गई है।
मंडी में गेहूं के ढेर, सड़कों पर फैली फसल
स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि मंडियों में जगह की भारी कमी के चलते कई आढ़तियों ने सड़कों पर ही गेहूं की फसल डाल दी है। इससे मंडी परिसर में आने-जाने वाले किसानों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैक्टर-ट्रॉली, बैलगाड़ी या पैदल चलने वाले किसान मंडी परिसर में सुचारू रूप से नहीं जा पा रहे हैं।
यह सब तब हो रहा है, जब स्पष्ट रूप से मंडी प्रशासन ने सड़कों पर फसल डालने पर मनाही की हुई है। बावजूद इसके कुछ आढ़ती अपने निजी स्वार्थों के चलते नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
सात आढ़तियों को जारी हुए नोटिस, लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी
मार्केट कमेटी ने ऐसे सात आढ़तियों को चिन्हित किया है जो बार-बार नियम तोड़कर सड़कों पर फसल डलवा रहे हैं। इन सभी को नोटिस जारी कर चेतावनी दी गई है कि यदि दोबारा ऐसा करते पाए गए, तो उनके आढ़ती लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।
मार्केट कमेटी के सचिव नरेंद्र कुमार ढुल ने बताया कि प्रशासन किसी भी हालत में मंडी के नियमों से समझौता नहीं करेगा। जिन आढ़तियों को नोटिस दिया गया है, उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे सड़कों पर फसल डालकर रास्ते बाधित न करें।
उठान न होने के पीछे ट्रांसपोर्ट की कमी मुख्य कारण
मार्केट कमेटी और जिला प्रशासन की मानें तो इस उठान संकट का सबसे बड़ा कारण ट्रांसपोर्ट की कमी है। गेहूं की खरीद तो सुचारू रूप से की जा रही है, लेकिन मंडी से गोदामों तक गेहूं पहुंचाने के लिए पर्याप्त ट्रकों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। फूड एंड सप्लाई विभाग, हरियाणा वेयरहाउस और हैफेड – तीनों प्रमुख एजेंसियां गेहूं की खरीद कर रही हैं, लेकिन उठान की प्रक्रिया में लगातार देरी हो रही है।
बारिश ने भी बढ़ाई मुसीबत
दो दिन पहले कैथल जिले में हुई तेज बारिश ने भी स्थिति को और बिगाड़ दिया। बरसात के कारण खेतों और मंडियों में आई फसल भीग गई, जिससे उसमें नमी की मात्रा बढ़ गई। इसके चलते खरीद भी धीमी हो गई और उठान की प्रक्रिया और भी बाधित हो गई। किसानों को न केवल फसल सुखाने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है, बल्कि मंडी में समय पर तौल न होने से उन्हें घंटों इंतजार करना पड़ रहा है।
प्रशासन का दावा – उठान अब होगा सुचारू
मार्केट कमेटी के सचिव नरेंद्र कुमार ढुल ने कहा कि अब उठान की प्रक्रिया को तेज करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था के लिए एजेंसियों को निर्देश दे दिए गए हैं। साथ ही मंडी में अतिरिक्त श्रमिक भी लगाए गए हैं ताकि तुलाई, भराई और उठान की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जा सके।
उन्होंने यह भी बताया कि किसानों से अपील की जा रही है कि वे मंडी में फसल लाने से पहले मंडी के हालात की जानकारी ले लें, ताकि उन्हें अनावश्यक इंतजार या असुविधा का सामना न करना पड़े।
मंडी में अव्यवस्था: किसान परेशान, आढ़ती दबाव में
किसानों का कहना है कि वे दिन-रात खेतों से फसल काटकर मंडी पहुंचा रहे हैं, लेकिन फसल मंडी में पड़ी-पड़ी सड़ रही है। कई बार उन्हें अपने ट्रैक्टर ट्रॉली में ही फसल भरकर दो-दो दिन मंडी के बाहर खड़ा रहना पड़ रहा है।
वहीं आढ़तियों का कहना है कि मंडी प्रशासन की ओर से ट्रांसपोर्ट की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई है। उनके गोदामों में भी जगह खत्म हो चुकी है, जिसके चलते मजबूरी में उन्हें सड़कों पर फसल डालनी पड़ रही है। प्रशासन से बार-बार निवेदन करने के बावजूद उठान की प्रक्रिया में कोई तेजी नहीं आई है।
नियमों की अनदेखी से और बढ़ी परेशानी
प्रशासन द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि मंडी परिसर में ही फसल रखी जाए और सड़कों को बाधित न किया जाए, लेकिन नियमों की अवहेलना कर रहे आढ़तियों के कारण अब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है।
आम नागरिकों और आसपास के दुकानदारों का कहना है कि मंडी में आने-जाने के लिए जो रास्ते बने हैं, उन पर भी अब फसल बिछी हुई है। इससे न केवल व्यापार प्रभावित हो रहा है, बल्कि संभावित दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है।
किसानों की मांग – उठान प्रक्रिया में तेजी लाएं
किसान संगठनों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की जाए और मंडी में उठान प्रक्रिया को तेज किया जाए। यदि यही हाल रहा, तो न केवल फसल खराब होगी बल्कि किसान आर्थिक रूप से भी बर्बाद हो जाएंगे।
कुछ किसानों ने यह भी मांग की कि मंडी में एक हेल्पलाइन स्थापित की जाए, ताकि उन्हें वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सके और वे अनावश्यक फसल लाने से बच सकें।
आर्थिक नुकसान की आशंका, फसल खराब होने का डर
लंबे समय तक फसल खुले में पड़ी रहने से उसमें नमी बढ़ जाती है, जिससे उसका वज़न कम हो सकता है और गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। यदि समय रहते उठान शुरू नहीं किया गया, तो मंडियों में पड़े लाखों क्विंटल गेहूं की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।