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Saturday, November 8, 2025

जींद जेल में मंत्री और डीजीपी का औचक निरीक्षण

जींद में जेल के अंदर सुविधाओं को लेकर बात करते डा. अरविंद शर्मा।
                                                                                जींद में जेल के अंदर सुविधाओं को लेकर बात करते डा. अरविंद शर्मा।

जींद जेल में मंत्री और डीजीपी का औचक निरीक्षण: फरार कैदी मामले पर फटकार, जेल अधीक्षक से मांगा गया स्पष्टीकरण

स्थान: जींद, हरियाणा
समय: 18 घंटे पहले
रिपोर्टर: The Airnews, Haryana Desk

हरियाणा की जेल व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जींद की जिला कारागार में हाल ही में एक गंभीर चूक सामने आने के बाद राज्य के जेल मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा और जेल डीजीपी मोहम्मद अकील ने रविवार शाम अचानक जेल का औचक निरीक्षण किया। यह निरीक्षण तब और महत्वपूर्ण हो गया जब पता चला कि हाल ही में जेल से एक खूंखार अपराधी फरार हो गया है।

औचक निरीक्षण के दौरान जेल अधीक्षक दीपक शर्मा मौके पर गैरहाजिर मिले, जिस पर जेल मंत्री ने नाराजगी व्यक्त करते हुए उनसे लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। निरीक्षण के दौरान कई खामियां सामने आईं, जिससे जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न लग गए हैं।


कैसे हुई फरारी की घटना? जानिए पूरी कहानी

8 अप्रैल 2025 की शाम, जींद की जिला जेल से एक खूंखार कैदी राकेश, जो पंजाब के संगरूर जिले के बनारसी गांव का रहने वाला था, जेल की दीवार फांदकर फरार हो गया। राकेश पर हत्या, डकैती, लूटपाट, जानलेवा हमला और शस्त्र अधिनियम जैसे कुल 21 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे।

जानकारी के अनुसार, जेलकर्मियों ने राकेश को जेल की मास्क लाइट खराब होने पर उसे ठीक करने के लिए लगाया था। इसी दौरान राकेश ने बैरक से सीढ़ी निकाल दीवार पर चढ़ाई की और चुपचाप भाग निकला। हैरानी की बात यह रही कि इतनी बड़ी सुरक्षा चूक के बावजूद, किसी गार्ड या कैमरे ने तत्काल इस हरकत को नहीं पकड़ा।

इस मामले में दो जेल कर्मचारियों को ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में सस्पेंड किया जा चुका है और जांच सिविल लाइन थाना पुलिस द्वारा की जा रही है।


जेल मंत्री का सख्त रुख: लापरवाही पर चेतावनी

जेल में निरीक्षण के दौरान मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने फरार कैदी राकेश के केस में जांच रिपोर्ट मांगी और कहा, “इस पूरे मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी विभागीय और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जेल जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की चूक किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

जेल अधीक्षक दीपक शर्मा की गैरमौजूदगी पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि “जिम्मेदार अधिकारी का मौके पर उपस्थित न होना एक गंभीर लापरवाही है। उनसे लिखित में स्पष्टीकरण मांगा गया है।”


डीजीपी मोहम्मद अकील का निरीक्षण और दिशा-निर्देश

जेल मंत्री से कुछ समय पहले ही डीजीपी (जेल) मोहम्मद अकील ने भी जेल का निरीक्षण किया था। उन्होंने तकरीबन 45 मिनट तक जेल में मौजूद अधिकारियों के साथ बातचीत की और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कड़े निर्देश दिए। डीजीपी ने यह भी कहा कि जेल के अंदर कोई भी गतिविधि अगर तय मानकों से अलग पाई जाती है, तो उस पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाएगी।


राजनीतिक दौरे से लौटते वक्त हुआ निरीक्षण

यह औचक निरीक्षण तब हुआ जब मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, सफीदों विधायक रामकुमार गौतम के चचेरे भाई एडवोकेट देवेंद्र गौतम के निधन पर शोक व्यक्त करके गोहाना लौट रहे थे। वापसी के दौरान वह अचानक जींद जिला कारागार पहुंचे और सीधे निरीक्षण शुरू किया।


कैदियों को दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा

निरीक्षण के दौरान मंत्री ने कैदियों और हवालातियों से बातचीत कर उन्हें दी जा रही सुविधाओं का भी जायजा लिया। उन्होंने जेल परिसर में साफ-सफाई, भोजन की गुणवत्ता, स्वास्थ्य सेवाओं, पेयजल व्यवस्था और सुरक्षा मानकों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को यह निर्देश दिया कि हर कैदी को उसके अधिकारों के तहत मानवीय सुविधाएं दी जाएं, लेकिन साथ ही सुरक्षा व्यवस्था में कोई कोताही न बरती जाए।


प्रशासनिक चूक या व्यवस्थागत विफलता?

इस घटना ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ तो ऐसे अपराधियों की सुरक्षा और निगरानी को लेकर सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, दूसरी तरफ एक अकेला अपराधी जेल की दीवार फांदकर भाग जाता है। CCTV कैमरे, वॉच टावर, गार्ड्स की तैनाती – ये सब तब सवालों के घेरे में आ जाते हैं जब ऐसी घटनाएं बार-बार दोहराई जाती हैं।


कब-कब भागे कैदी: हरियाणा की जेलों पर एक नजर

हरियाणा की जेलों में कैदियों के फरार होने की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं:

  • 2023, रोहतक जेल: दो विचाराधीन कैदी चुपचाप टॉयलेट की खिड़की से भाग निकले थे।

  • 2022, अंबाला जेल: जेल में कार्यरत एक सिपाही की मिलीभगत से कैदी फरार हुआ था।

  • 2021, गुरुग्राम: गार्ड्स की नाक के नीचे से एक गैंगस्टर फरार हो गया था।

इन घटनाओं से साफ है कि राज्य की जेलों में सुरक्षा व्यवस्थाएं कागजों में भले मजबूत दिखें, जमीनी स्तर पर गंभीर खामियां मौजूद हैं।


मंत्री के बयान से बनी उम्मीद या डर का माहौल?

डॉ. अरविंद शर्मा का यह सख्त रुख जेल कर्मचारियों के बीच एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, जनता के बीच यह उम्मीद जगी है कि सरकार अब जेलों में अनुशासन और सुरक्षा को लेकर गंभीरता से कदम उठाएगी। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इस तरह के औचक निरीक्षण सिर्फ दिखावा बनकर न रह जाएं।

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