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Saturday, November 8, 2025

कैथल में पराली के गट्‌ठरों में लगी आग: करोड़ों का स्टॉक जला, 25 एकड़ में रखी थी पराली, शरारती तत्वों ने लगाई आग

पराली के स्टॉक में लगी आग - Dainik Bhaskar
                                                 पराली के स्टॉक में लगी आग

कैथल में पराली के गट्‌ठरों में लगी आग: करोड़ों का स्टॉक जला, 25 एकड़ में रखी थी पराली, शरारती तत्वों ने लगाई आग

कैथल, 15 अप्रैल 2025 – हरियाणा के कैथल जिले में पराली के गट्‌ठरों में लगी आग ने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। यह घटना गांव तितरम और कैलरम के बीच हुई, जहां दर्जनों एकड़ में पराली का स्टॉक रखा गया था। आग की लपटों ने रातों-रात करोड़ों रुपये के नुकसान को जन्म दिया, और अभी तक आग के कारणों का पूरी तरह से खुलासा नहीं हो पाया है, लेकिन अनुमान है कि शरारती तत्वों ने यह घटना अंजाम दी है। इस आंच की तपिश ने न केवल किसानों और व्यापारियों को नुकसान पहुँचाया, बल्कि एक बड़े पर्यावरणीय संकट को भी जन्म दिया है।

आगजनी की घटना का विवरण

कैथल जिले के तितरम और कैलरम गांवों के बीच, 25 एकड़ में फैले पराली के गट्‌ठरों में अचानक आग लग गई। जैसे ही आग ने अपने पांव पसारे, आसपास के क्षेत्र में हड़कंप मच गया। यह स्टॉक कई छोटे और बड़े किसानों द्वारा इकट्ठा किया गया था, जिनका उद्देश्य उसे अगले कृषि सत्र में इस्तेमाल करने का था। परंतु इस दुर्घटना ने न केवल इन किसानों का उत्पादन छीन लिया, बल्कि पर्यावरण को भी गहरा नुकसान पहुँचाया है।

ग्रामीणों के अनुसार, आग की लपटें इतनी तेज़ थीं कि वो दिन में भी देखी जा रही थीं। तुरंत ही आग की सूचना फायर ब्रिगेड को दी गई, और स्थानीय लोग अपनी ट्रैक्टर और जेसीबी मशीनों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। लेकिन आग के फैलने के कारण उन्हें आग बुझाने में कठिनाई का सामना करना पड़ा।

आग बुझाने का प्रयास

जब आग की खबर फायर ब्रिगेड को मिली, तो उसकी टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। दमकल विभाग के अधिकारी रामेश्वर ने बताया कि घटना देर रात की है। वे जब मौके पर पहुंचे तो आग तेजी से फैल चुकी थी और 25 एकड़ में रखी पराली जलकर राख हो रही थी। फायर ब्रिगेड की टीमें पूरी रात भर आग बुझाने के प्रयासों में जुटी रही, लेकिन आग इतनी बड़ी थी कि उसे पूरी तरह से काबू में लाने में समय लग गया।

गांव के लोग भी अपनी पूरी कोशिश कर रहे थे। कई ट्रैक्टर और जेसीबी मशीनें आग बुझाने के प्रयास में जुटी थीं, लेकिन इस कोशिश में उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बावजूद, गांववासियों और फायर ब्रिगेड की टीमों की मेहनत ने आग को कुछ हद तक काबू में किया, लेकिन नुकसान तो हो ही चुका था।

शरारती तत्वों का संदेह

अग्निशमन विभाग और पुलिस के अनुसार, आग के कारणों का अभी तक स्पष्ट पता नहीं चल सका है, लेकिन अनुमान है कि किसी शरारती तत्व ने आग लगाई हो सकती है। शरारती तत्वों की इस हरकत के कारण किसानों का करोड़ों का नुकसान हुआ है, और अब तक कई सवाल खड़े हो गए हैं कि आखिरकार इस आगजनी का कारण क्या था।

फायर ब्रिगेड और पुलिस विभाग ने घटनास्थल पर जांच शुरू कर दी है, और इस मामले की गहन छानबीन की जा रही है। हालांकि, आग के फैलने की रफ्तार को देखकर यह कहा जा सकता है कि यह घटना किसी उद्देश्य से की गई हो सकती है।

आग में हुए नुकसान का आकलन

प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 4 करोड़ रुपये की पराली जलकर राख हो गई है। यह पराली किसानों और व्यापारियों ने कई वर्षों की मेहनत के बाद जमा की थी। इसके साथ ही, इस आग ने न केवल आर्थिक नुकसान पहुँचाया है, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी बड़ी समस्या पैदा की है। जलने वाली पराली से निकलने वाला धुंआ हवा में मिलकर प्रदूषण का कारण बन सकता है, जो कि पहले से ही हवा में मौजूद प्रदूषण को और बढ़ा सकता है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, अधिकारियों ने बताया कि वे अब तक के नुकसान का सही आकलन करने के लिए किसानों से बातचीत करेंगे और इसके बाद उचित मुआवजे का निर्धारण करेंगे।

स्थानीय प्रशासन और सरकारी प्रतिक्रिया

कैथल जिला प्रशासन और फायर ब्रिगेड द्वारा की जा रही कार्रवाइयों की सराहना की जा रही है, लेकिन अब सवाल यह है कि इस तरह की घटनाओं से कैसे निपटा जा सकता है। अधिकारियों ने कहा कि इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि गांवों में पराली जलाने की समस्या और उसके नियंत्रण के उपायों को लेकर गहरी चिंता है।

राज्य सरकार ने पहले ही यह घोषणा की थी कि वे पराली जलाने के खिलाफ ठोस कदम उठाएंगे, ताकि पर्यावरण और किसानों दोनों का भला हो सके। ऐसे में इस तरह की घटनाएँ न केवल किसानों को भारी नुकसान पहुँचाती हैं, बल्कि सरकार की योजनाओं पर भी सवाल खड़ा करती हैं।

कृषि और पर्यावरण पर असर

पराली जलाने से होने वाली प्रदूषण समस्या को लेकर कई विशेषज्ञों ने चिंता जताई है। जहां एक ओर यह आग करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान कर गई, वहीं दूसरी ओर जलने वाली पराली से उठने वाले धुंए ने आसपास के क्षेत्रों में हवा की गुणवत्ता को भी प्रभावित किया है। ऐसे मामलों में पर्यावरणीय प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, और इसके लिए तत्काल प्रभाव से समाधान की आवश्यकता है।

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