
“नगर निगम में बड़ा उलटफेर: सोनीपत में 66 कर्मचारियों का एक साथ ट्रांसफर, भ्रष्टाचार की शिकायतों पर सख्त कमिश्नर की ताबड़तोड़ कार्रवाई!”
प्रस्तावना: प्रशासन की नई चेतावनी – अब नहीं चलेगा भ्रष्टाचार
हरियाणा के सोनीपत जिले में नगर निगम कार्यालय से जुड़ी एक बड़ी खबर ने शहर की प्रशासनिक कार्यशैली को लेकर चल रही चर्चाओं को फिर से हवा दे दी है। लंबे समय से एक ही पद पर जमे कर्मचारियों और क्लर्कों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच निगम कमिश्नर ने बड़ा कदम उठाते हुए 66 कर्मचारियों का एक साथ तबादला कर दिया है। यह केवल एक ट्रांसफर प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक संदेश है – कि अब कार्यशैली में बदलाव तय है, और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़ें और जनता की पीड़ा
सोनीपत नगर निगम में लंबे समय से जनता शिकायतें कर रही थी कि आम नागरिकों को अपने सामान्य कार्यों के लिए कई बार कार्यालय के चक्कर काटने पड़ते हैं। फाइलों को जानबूझकर रोका जाता है, और कई बार रिश्वत मांगे जाने की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। यह स्थिति तब और गंभीर हो गई जब चुनावों के दौरान भी नगर निगम की कार्यप्रणाली एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई।
कमिश्नर की कार्रवाई: 66 कर्मचारियों का स्थानांतरण
निगम आयुक्त हर्षित कुमार ने बिना किसी देरी के 40 क्लर्क, 2 सहायक और 13 डाटा एंट्री ऑपरेटरों का ट्रांसफर कर दिया। इसके अलावा, 11 नए कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है जिन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे लंबित फाइलों का त्वरित निपटान करें और पारदर्शी तरीके से कार्य करें।
तबादले किए गए कर्मचारियों की संख्या:
-
40 क्लर्क
-
2 सहायक कर्मचारी
-
13 डाटा एंट्री ऑपरेटर
-
11 नए कर्मचारी जो निगम में पहली बार शामिल किए गए हैं।
आम जनता को राहत दिलाने की कोशिश
इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य है – आम नागरिकों को राहत दिलाना। जिन कर्मचारियों के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं, उन्हें उनके पद से हटाकर नई जगहों पर ट्रांसफर कर दिया गया है। इससे न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि लोगों का प्रशासन पर भरोसा भी मजबूत होगा।
नए कर्मचारियों को सख्त निर्देश: लंबित फाइलों का निपटान प्राथमिकता पर
कमिश्नर ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि नए कर्मचारी यदि फाइलों को अनावश्यक रूप से लटकाते हैं तो उनसे लिखित में जवाब मांगा जाएगा। यह आदेश साफ करता है कि नई नियुक्तियां केवल पद भरने के लिए नहीं की गईं, बल्कि निगम की छवि को सुधारने की मंशा से की गई हैं।
मेयर चुनाव और भ्रष्टाचार का मुद्दा
हाल ही में संपन्न हुए मेयर चुनाव में भी नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने इसे प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया था।
प्रमुख वादे:
-
भाजपा प्रत्याशी राजीव जैन ने भ्रष्टाचार मुक्त नगर निगम का वादा किया था।
-
कांग्रेस नेता कमल दीवान ने भी लोगों से वादा किया था कि वह निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करेंगे।
अब जब आयुक्त ने कार्रवाई की है, तो इसे चुनावी वादों की दिशा में उठाया गया ठोस कदम माना जा रहा है।
ZTO विवाद और संभावित नई नियुक्ति
जोनल टैक्स ऑफिसर (ZTO) राजेंद्र सिंह चुघ के खिलाफ भी कई शिकायतें अधिकारियों को प्राप्त हुई थीं। यह भी बताया गया कि उन्होंने पंचायत गांव बैंयापुर की मतदाता सूची को नगर निगम चुनावों में इस्तेमाल किया। यह सीधे तौर पर प्रशासनिक मर्यादा का उल्लंघन था।
अन्य विवाद:
-
देर रात तक ऑफिस में बैठना और अनावश्यक गतिविधियां
-
दस्तावेजों से संबंधित अनियमितता की शिकायतें
अब फरीदाबाद से आईं नई ZTO अधिकारी सुनीता ने कार्यभार संभाल लिया है, जिससे यह संभावना और मजबूत हो गई है कि राजेंद्र चुघ का तबादला भी जल्द ही हो सकता है।
कमिश्नर का कड़ा संदेश: जनता के हित में कठोर निर्णय
हर्षित कुमार का कहना है कि यदि कोई भी कर्मचारी आम जनता को परेशान करता है या कार्यों में लापरवाही बरतता है, तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। यह केवल एक चेतावनी नहीं है, बल्कि सख्त प्रशासकीय नीति का हिस्सा है, जिससे नगर निगम की कार्यप्रणाली को सुचारू और भ्रष्टाचारमुक्त बनाया जा सके।