डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों ने महिला के पेट में छोड़े गर्भनाल के टुकड़े, इलाज के दौरान हुई मौत

डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों ने महिला के पेट में छोड़े गर्भनाल के टुकड़े, इलाज के दौरान हुई मौत

The Airnews | Haryana | Edited by Sahil Kasoon

हरियाणा के कैथल जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक निजी अस्पताल की कथित चिकित्सकीय लापरवाही ने एक महिला की जान ले ली। यह मामला न केवल एक परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि चिकित्सा व्यवस्था पर भी गहरे सवाल खड़े करता है। घटना कैथल के करनाल रोड स्थित सृष्टि नामक निजी अस्पताल में हुई, जहां खेड़ी रायवाली गांव निवासी अजय सिंह ने 15 अप्रैल को अपनी गर्भवती पत्नी को डिलीवरी के लिए भर्ती कराया था।


ऑपरेशन के बाद बिगड़ी हालत, परिजनों को दी गई गलत जानकारी

अजय सिंह का आरोप है कि ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के चलते उसकी पत्नी के गर्भाशय में गर्भनाल के कुछ टुकड़े छोड़ दिए गए, जिससे उसके शरीर में विषाक्तता फैलने लगी। परिजनों ने जब महिला की हालत बिगड़ती देखी, तो डॉक्टर ने उन्हें यह कहकर गुमराह किया कि महिला को ‘अटैक’ आ रहा है और उसे तुरंत किसी दूसरे अस्पताल में ले जाना होगा। जबकि सच्चाई यह थी कि महिला को कभी भी अटैक जैसी कोई बीमारी नहीं रही थी।


दिल्ली में हुआ सच का खुलासा

डॉक्टरों की बात मानकर अजय सिंह अपनी पत्नी को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में ले गया, जहां जांच में सामने आया कि महिला के गर्भाशय में गर्भनाल के कुछ अवशेष रह गए थे। यही अवशेष संक्रमण का कारण बने, जिससे पूरे शरीर में गंभीर संक्रमण फैल गया। डॉक्टर्स ने कोशिशें कीं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई।


परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

महिला की मौत ने पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। अजय सिंह ने बताया कि उसकी पत्नी पूरी तरह स्वस्थ थी और गर्भावस्था भी सामान्य चल रही थी। उसे उम्मीद थी कि वह जल्द ही एक स्वस्थ बच्चे की मां बनेगी। लेकिन अस्पताल की लापरवाही ने उसकी ये उम्मीदें और सपने चकनाचूर कर दिए।


अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप

अजय सिंह ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने इस पूरे मामले को छुपाने की कोशिश की और परिजनों को सही जानकारी नहीं दी। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर डॉक्टरों ने सच्चाई बताई होती और इलाज में तत्परता दिखाई होती, तो उसकी पत्नी की जान बचाई जा सकती थी। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई सहायता न मिलने और असंवेदनशील व्यवहार का भी आरोप लगाया।


पुलिस में दी शिकायत, जांच जारी

इस पूरे मामले की शिकायत अजय सिंह ने सिविल लाइन थाना कैथल में दर्ज करवाई है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने डॉक्टर और अस्पताल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया है। मामले की जांच एसआई कर्मबीर को सौंपी गई है, जो अब घटनास्थल, चिकित्सकीय दस्तावेजों और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई कर रहे हैं।


ग्रामीणों में आक्रोश, न्याय की मांग तेज

घटना के बाद खेड़ी रायवाली गांव समेत आसपास के ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए दोषी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि इस मामले को दबाया न जाए और दोषियों को सजा दी जाए ताकि भविष्य में कोई और परिवार ऐसी त्रासदी का शिकार न हो।


चिकित्सा लापरवाही: एक बढ़ती समस्या

हरियाणा समेत पूरे देश में चिकित्सा लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे मामलों में सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि पीड़ित परिवारों को न्याय पाने में वर्षों लग जाते हैं। कानून होने के बावजूद कई बार दोषियों को सजा नहीं मिल पाती और इस बीच कई परिवार बिखर जाते हैं।


विशेषज्ञों की राय: सख्त नियमन की जरूरत

चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में चिकित्सकीय जवाबदेही तय करने की सख्त जरूरत है। किसी डॉक्टर की गलती किसी की जान ले सकती है और ऐसी घटनाओं से लोगों का स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा उठ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हर अस्पताल में एक निगरानी तंत्र होना चाहिए जो इस प्रकार की लापरवाही पर तुरंत संज्ञान ले।


स्वास्थ्य विभाग की भूमिका

स्वास्थ्य विभाग की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली की समय-समय पर जांच करे और मानकों का पालन सुनिश्चित करे। इस मामले में भी विभागीय जांच की मांग उठ रही है। अगर प्रारंभिक जांच में आरोप सिद्ध होते हैं तो अस्पताल का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।


महिला अधिकार संगठनों की प्रतिक्रिया

महिला अधिकार संगठनों ने इस घटना को अत्यंत दुखद बताया है और सरकार से मांग की है कि महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। संगठन यह भी चाहते हैं कि डॉक्टरों की ट्रेनिंग और अस्पतालों की मान्यता प्रक्रिया को और कठोर बनाया जाए ताकि ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।


राजनीतिक प्रतिक्रिया और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी

जहां इस मुद्दे पर आम जनता और सामाजिक संगठन खुलकर सामने आ रहे हैं, वहीं अब तक किसी भी प्रमुख जनप्रतिनिधि या स्थानीय नेता की ओर से कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है। इस तरह की चुप्पी पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या आम जनता की पीड़ा पर राजनीतिक वर्ग अब भी मौन ही रहेगा?


कानूनी प्रक्रिया और लंबी लड़ाई

इस तरह के मामलों में कानूनी प्रक्रिया अक्सर लंबी होती है और कई बार पीड़ित परिवार को न्याय के लिए वर्षों इंतजार करना पड़ता है। हालांकि, इस केस में पुलिस द्वारा तत्परता से की गई कार्रवाई उम्मीद की किरण जरूर दिखाती है, लेकिन मुकदमा अदालत तक पहुंचकर क्या परिणाम देगा, यह देखना बाकी है।


समाज में भरोसे की बहाली

चिकित्सा जैसे पवित्र पेशे में जब इस प्रकार की घटनाएं होती हैं, तो समाज में डॉक्टरों और स्वास्थ्य संस्थानों के प्रति अविश्वास बढ़ता है। ऐसे में यह आवश्यक हो गया है कि राज्य और केंद्र सरकारें मिलकर एक ऐसा ढांचा तैयार करें, जिसमें पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिले और दोषियों को समयबद्ध दंड मिले।


न्याय की आस में अजय सिंह

अजय सिंह का कहना है कि वह अपनी पत्नी को तो वापस नहीं ला सकता, लेकिन वह चाहता है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिले। ताकि भविष्य में किसी और की पत्नी, बहन या बेटी ऐसी लापरवाही की शिकार न हो। उसने प्रशासन और मीडिया से न्याय दिलाने में सहयोग की अपील की है।


 

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