कैथल में सब-इंस्पेक्टर पारस का निलंबन: आरोपी मेहमान, पीड़ित परेशान – जानिए पूरा मामला
The Airnews | रिपोर्टर – Yash | Haryana Bureau
हरियाणा के कैथल जिले में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने प्रशासनिक कार्यप्रणाली और पुलिस तंत्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ओबीसी मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष राजेश कुमार पर हुए हमले के बाद, आरोपियों के साथ थाने में अपनाए गए विशेष व्यवहार ने जनमानस को हैरानी में डाल दिया। पीड़ित को न्याय मिलने के बजाय आरोपियों को थाने में चाय पिलाई गई, और यही लापरवाही सब-इंस्पेक्टर पारस को भारी पड़ गई।
मुख्यमंत्री की फटकार के बाद फौरन हुई कार्रवाई
इस घटना में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि पूरा मामला हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के संज्ञान में आते ही प्रशासन ने फुर्ती दिखाई। मुख्यमंत्री द्वारा सख्त निर्देश देने के बाद, कैथल एसपी राजेश कालिया ने सीआईए-1 इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर पारस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और उन्हें पुलिस लाइन में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके साथ ही उनके विरुद्ध विभागीय जांच के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह घटना 28 मार्च 2025 की है। पीड़ित राजेश कुमार, जो भाजपा ओबीसी मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष हैं, अपने गांव सेरधा में पुराने मकान को देखने के लिए अपनी बेटी शिवानी के साथ जा रहे थे। रास्ते में रानी नामक महिला से बातचीत के दौरान विवाद की स्थिति बनी। इसी बीच रानी का नौकर शेषा वहां आ गया और गाली-गलौज करने लगा। कुछ ही देर में अजय पुत्र गोरा और विक्रम पुत्र टोली हाथों में डंडे और गंडासी लेकर वहां पहुंचे और उन्होंने राजेश कुमार पर हमला कर दिया।
राजेश कुमार ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि जब वह किसी तरह वहां से बचकर भागने लगा तो आरोपियों ने उसे घसीटकर एक घर के अंदर बंधक बना लिया। बाद में उसके परिजनों ने मौके पर पहुंचकर उसे छुड़ाया और घायल अवस्था में अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद वह पुलिस के पास पहुंचा और घटना की जानकारी दी।
पुलिस की प्रारंभिक कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने एफआईआर नंबर 50, दिनांक 28-03-2025 को बीएनएस की धाराओं 115, 126, 127(2), 3(5) के तहत मामला दर्ज किया। जांच की जिम्मेदारी सीआईए-1 को सौंपी गई, जिसके प्रभारी सब-इंस्पेक्टर पारस थे। लेकिन यहीं से पूरा मामला मोड़ लेने लगा।
आरोप: थाने में चाय पिलाई गई, कोई गिरफ्तारी नहीं
पीड़ित राजेश कुमार ने आरोप लगाया कि एसआई पारस ने न तो आरोपियों को गिरफ्तार किया, और न ही किसी प्रकार की सख्त कार्रवाई की। उल्टा, आरोपियों को थाने बुलाकर चाय पिलाई गई और उन्हें मेहमानों जैसा व्यवहार दिया गया। इस बीच, शिकायतकर्ता को न तो किसी कार्रवाई की जानकारी दी गई और न ही उसे पुलिस से कोई सहयोग मिला।
जांच में लापरवाही की पुष्टि
कैथल पुलिस ने जब मामले की जांच की तो डीएसपी क्राइम सुशील कुमार को जांच का जिम्मा सौंपा गया। उनकी जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सब-इंस्पेक्टर पारस ने मामले की जांच में गंभीरता नहीं दिखाई और अपनी कर्तव्यों में लापरवाही बरती। इसी आधार पर एसपी राजेश कालिया ने उन्हें निलंबित कर दिया और पुलिस लाइन में स्थानांतरित कर दिया।
वेतन और नियमावली के अनुसार कार्रवाई
एचसीएस (सामान्य) नियम 2016 के तहत, निलंबन की अवधि में एसआई पारस को आधे वेतन के बराबर निर्वाह भत्ता और अन्य स्वीकृत सामान्य भत्ते प्रदान किए जाएंगे। साथ ही विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है जिसमें एसआई पारस से पूछताछ की जाएगी और साक्ष्यों के आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री के आदेश से बना दबाव
सूत्रों की मानें तो यह मामला जब सीधा मुख्यमंत्री के संज्ञान में पहुंचा, तो उन्होंने बिना किसी देरी के एसपी को कड़े निर्देश जारी किए। इस निर्देश के बाद ही तेजी से कार्रवाई हुई और पुलिस प्रशासन ने अपनी लापरवाही की भरपाई करते हुए पारस को निलंबित कर दिया।
पारदर्शिता और न्याय की मांग
राजेश कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, “एक जनप्रतिनिधि होते हुए भी जब मुझे ही न्याय नहीं मिल रहा था, तो आमजन का क्या होगा? आरोपियों के साथ इस तरह का व्यवहार हमारी पुलिस प्रणाली की गंभीर समस्या को दर्शाता है।” उन्होंने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया कि उनकी फौरन दखल के चलते उन्हें न्याय मिलने की आशा जगी है।