
अंबाला मंडी में किसानों से मिले MLA निर्मल सिंह:CM सैनी को दी पीएम से सीख लेने की नसीहत, असीम गोयल के खिलाफ चलाएंगे मुहिम
भूमिका: अंबाला में बढ़ती राजनीतिक गरमाहट
हरियाणा की राजनीति इन दिनों नई करवट ले रही है। खासकर अंबाला शहर से जुड़ी घटनाओं ने राज्य की सत्ता में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच एक नई बहस को जन्म दे दिया है। ताजा मामला अंबाला शहर के कांग्रेस विधायक और पूर्व राजस्व मंत्री निर्मल सिंह द्वारा मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व विधायक असीम गोयल के खिलाफ दिए गए तीखे बयानों का है।
किसानों के बीच पहुंचे विधायक निर्मल सिंह
कांग्रेस विधायक निर्मल सिंह हाल ही में अंबाला शहर की नई अनाज मंडी पहुंचे। उनके साथ सैकड़ों समर्थक भी थे। वहां उन्होंने किसानों, आढ़तियों और मजदूरों से बातचीत की और उनकी समस्याएं सुनीं। इस दौरे के दौरान उन्होंने मौके पर ही कई समस्याओं का समाधान करवाने का प्रयास किया। जनता के बीच उनका यह संवादात्मक रुख एक बार फिर से उन्हें क्षेत्र के सक्रिय नेता के रूप में स्थापित करता है।
मुख्यमंत्री पर तीखा हमला: पीएम मोदी से सीख लेने की नसीहत
विधायक निर्मल सिंह ने मीडिया से बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री नायब सैनी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लोकतंत्र की सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी प्रोटोकॉल और लोकतांत्रिक मर्यादाओं का पालन करते हैं, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी इस मामले में असफल साबित हो रहे हैं।
वरुण चौधरी का उदाहरण देकर सीएम को घेरा
निर्मल सिंह ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यमुनानगर थर्मल प्लांट के उद्घाटन पर पहुंचे, तो उन्होंने वहां शिलान्यास पट्टिका पर कांग्रेस सांसद वरुण चौधरी का नाम प्रमुखता से अंकित करवाया। इससे यह साबित होता है कि पीएम मोदी लोकतंत्र का सम्मान करते हैं। लेकिन इसके विपरीत हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी अंबाला शहर में हार चुके पूर्व विधायक असीम गोयल के साथ घूमते हैं और उनसे उद्घाटन करवाकर लोकतंत्र की मर्यादा को ठेस पहुंचा रहे हैं।
शिलान्यास पट्टिका पर नाम को लेकर विवाद
निर्मल सिंह ने खुलासा किया कि अंबाला में एक सरकारी योजना के उद्घाटन में लगाए गए पत्थर पर हारे हुए पूर्व विधायक असीम गोयल का नाम अंकित किया गया है, जो न केवल गलत है बल्कि क्षेत्र की जनता का भी अपमान है। उन्होंने इसे साफ-साफ लोकतंत्र का अपमान करार दिया और सवाल उठाया कि यह किस प्रोटोकॉल के तहत किया गया।
मुख्यमंत्री से मांगा श्वेत पत्र
इस मुद्दे पर गंभीर प्रतिक्रिया देते हुए निर्मल सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की कि वह एक श्वेत पत्र जारी करें और स्पष्ट करें कि आखिर किस आधार पर एक हार चुके विधायक का नाम विकास कार्यों के शिलान्यास पत्थरों पर अंकित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि यह निर्णय प्रशासनिक है या राजनीतिक दबाव में लिया गया।
असीम गोयल के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी
निर्मल सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह पूर्व विधायक असीम गोयल के खिलाफ मुहिम चलाएंगे। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी या कर्मचारी इस तरह की साजिश में शामिल हैं और पत्थरों पर असीम गोयल का नाम लिखवा रहे हैं, उनके खिलाफ विधानसभा में आवाज उठाई जाएगी। साथ ही प्रशासनिक कार्रवाई की भी मांग की जाएगी।
जनता के अपमान का मुद्दा बनाया
निर्मल सिंह ने यह बात जोर देकर कही कि अंबाला शहर विधानसभा की जनता ने 2024 के चुनावों में असीम गोयल को नकारा है। ऐसे में उनके नाम से कोई शिलान्यास या उद्घाटन करवाना जनता के मत और लोकतंत्र दोनों का अपमान है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक नाम का मामला नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मर्यादा और जनता के फैसले की अवहेलना का गंभीर उदाहरण है।
भविष्य की रणनीति: सड़क से सदन तक लड़ाई
निर्मल सिंह ने अपने समर्थकों के सामने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई वह सड़क से लेकर विधानसभा तक लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि अंबाला की जनता के मत का सम्मान होना चाहिए और वे इसे लेकर कोई भी समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो राज्यपाल से भी मिलकर इस मुद्दे को उठाया जाएगा।
क्या कहता है प्रोटोकॉल?
सरकारी कार्यक्रमों में शिलान्यास या उद्घाटन करने का अधिकार आमतौर पर उसी जनप्रतिनिधि को दिया जाता है जो उस क्षेत्र से निर्वाचित होता है। इस मामले में अंबाला शहर से वर्तमान में कांग्रेस विधायक निर्मल सिंह हैं, जबकि असीम गोयल पिछले चुनाव में हार चुके हैं। ऐसे में पत्थर पर उनका नाम अंकित किया जाना स्वाभाविक रूप से विवाद का विषय बन गया है।
विपक्ष की सख्ती: भाजपा के लिए मुश्किलें
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस अब सीधा-सीधा सत्ता पक्ष को कठघरे में खड़ा कर रही है। अंबाला जैसे शहरी और राजनीतिक रूप से जागरूक क्षेत्र में इस मुद्दे को हवा देना भाजपा के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर सकता है। खासतौर से तब जब यह बात प्रदेश स्तर तक तूल पकड़ ले।
असीम गोयल की चुप्पी सवालों के घेरे में
इस मामले में अभी तक पूर्व विधायक असीम गोयल की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उनकी चुप्पी भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है। सवाल उठ रहे हैं कि अगर वह इस विवाद में शामिल नहीं हैं, तो वह सामने आकर स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं कर रहे?
जनता की प्रतिक्रिया
अंबाला की जनता में भी इस मुद्दे को लेकर नाराजगी देखी जा रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब विधायक निर्वाचित निर्मल सिंह हैं, तो उद्घाटन से लेकर शिलान्यास तक का सारा कार्य उनके नाम से होना चाहिए। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि हार चुके किसी नेता का नाम सरकारी कार्यक्रम में जोड़ा जाए।