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Saturday, November 8, 2025

पूर्व पार्षद कमल मित्तल आज कोर्ट में होगा पेश

मामले में पकड़ा गया पूर्व पार्षद कमल मित्तल - Dainik Bhaskar
                                       मामले में पकड़ा गया पूर्व पार्षद कमल मित्तल

कैथल में रिश्वतखोरी का खुलासा: पूर्व पार्षद कमल मित्तल 4 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार, आज कोर्ट में होगा पेश

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कैथल जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एक बड़ा कदम उठाया है। कैथल नगर परिषद के पूर्व पार्षद कमल मित्तल को 4 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। आरोपी को आज कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां से उसे रिमांड पर लेकर विस्तृत पूछताछ की जाएगी। मामले की जांच में जुटी एसीबी अब यह जानने का प्रयास कर रही है कि आरोपी ने किन-किन लोगों से और कितनी बार रिश्वत ली है।

पूरा मामला: व्यापारी से वसूली की गई रकम और डराने-धमकाने की रणनीति

इस पूरे मामले की शुरुआत 18 अप्रैल को तब हुई जब कैथल निवासी एक व्यापारी संदीप गर्ग ने एंटी करप्शन ब्यूरो को एक विस्तृत शिकायत दी। शिकायत में उन्होंने बताया कि पुराने बस स्टैंड के पास स्थित उनकी जमीन पर बनाई गई बिल्डिंग को शिकायत के आधार पर सील करवा दिया गया था। इस शिकायतकर्ता की पहचान कमल मित्तल के रूप में हुई, जो पूर्व पार्षद रह चुका है।

व्यापारी के अनुसार, कमल मित्तल ने पहले बिल्डिंग की सील खुलवाने के नाम पर 5 लाख 20 हजार रुपए लिए थे। उस समय व्यापारी को विश्वास हो गया था कि मामला सुलझ गया है, क्योंकि उसकी बिल्डिंग की सील खोल दी गई थी। लेकिन कुछ समय बाद उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि उसी व्यक्ति ने एक बार फिर आरटीआई (RTI) और सीएम विंडो पर शिकायत दर्ज करवा दी है।

DC के नाम पर मांगी गई 4 लाख की रिश्वत

जब व्यापारी ने दोबारा संपर्क कर इस दोहराई गई शिकायत का कारण पूछा, तो आरोपी ने एक नया पैंतरा अपनाया। कमल मित्तल ने व्यापारी से साफ-साफ कहा कि अब उसे 4 लाख रुपए और देने होंगे क्योंकि यह पैसे डीसी के लिए हैं। इस डर और दवाब की स्थिति में व्यापारी ने दोबारा रिश्वत देने से इनकार करते हुए एसीबी का सहारा लिया।

रंगे हाथों पकड़ा गया आरोपी

एंटी करप्शन ब्यूरो ने पूरी योजना बनाकर आरोपी को पकड़ने के लिए व्यापारी को सहयोगी बनाया। व्यापारी को नकद 4 लाख 20 हजार रुपए देकर आरोपी के बताए गए एक होटल में भेजा गया। जैसे ही पैसे कमल मित्तल को दिए गए, उसी समय एसीबी की टीम ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया।

इस ऑपरेशन की सफलता से जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त संदेश गया है।

कमल मित्तल का इतिहास और भ्रष्टाचार का जाल

कमल मित्तल, जो कभी नगर परिषद का पार्षद रहा है, लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार वह अक्सर आरटीआई और सीएम विंडो जैसी जनहित की योजनाओं का दुरुपयोग करता था। वह आम नागरिकों से शिकायत वापसी या सेटलमेंट के नाम पर मोटी रकम ऐंठता था। यह पहला मामला नहीं है जब कमल मित्तल पर आरोप लगे हों, लेकिन पहली बार उसे रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।

अब तक कितनों से की वसूली, एसीबी कर रही गहराई से जांच

एसीबी की जांच इस दिशा में भी आगे बढ़ रही है कि आखिर कमल मित्तल ने अब तक कितने लोगों से इस तरह से वसूली की है। प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि आरोपी कई स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में भी था और उनके नाम का इस्तेमाल कर आम लोगों को डराया करता था। ऐसे में यह भी जांच की जा रही है कि कहीं इस पूरे मामले में अन्य कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी भी शामिल तो नहीं है।

डीसी प्रीति ने दी चेतावनी

कैथल की डिप्टी कमिश्नर प्रीति ने इस मामले पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी व्यक्ति आमजन से किसी अधिकारी के नाम पर पैसे मांगता है, तो इसकी शिकायत तुरंत डीसी कार्यालय में करें या समाधान दिवस में दर्ज करवाएं। उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

डीसी ने कहा, “हमारी प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता सर्वोपरि है। ऐसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ हम जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएंगे।”

सियासी हलचल और जनमानस में प्रतिक्रिया

इस मामले के सामने आने के बाद कैथल में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए एसीबी की कार्रवाई को सराहा है। वहीं आम जनता ने भी राहत की सांस ली है कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जा रही है जो जनता के अधिकारों का हनन कर रहे थे।

भविष्य की कार्रवाई: रिमांड के दौरान होंगे कई खुलासे

आज आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां एसीबी उसे रिमांड पर लेने की मांग करेगी। रिमांड अवधि में उससे यह जानने की कोशिश की जाएगी कि उसने अब तक किन-किन से पैसे लिए हैं, किन अधिकारियों से उसका संपर्क था, और क्या वाकई वह डीसी या अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के नाम पर पैसे वसूलता था या यह सिर्फ उसका स्वयं का षड्यंत्र था।

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