बड़ौली-रॉकी मित्तल कथित गैंगरेप केस में नया मोड़: पीड़िता ने दी पुलिस क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती, केस फिर से खुलने की संभावना
The Airnews | शिमला | ब्यूरो रिपोर्ट
प्रस्तावना:
हरियाणा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और हरियाणवी सिंगर रॉकी मित्तल एक बार फिर कानूनी पेंच में उलझते नजर आ रहे हैं। कसौली के एक होटल में हुए कथित गैंगरेप मामले में पीड़िता ने पुलिस द्वारा दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट को सोलन के सेशन कोर्ट में चुनौती दी है। इससे पहले कसौली कोर्ट इस रिपोर्ट को स्वीकार कर चुका था। लेकिन अब पीड़िता ने न्याय के लिए आवाज उठाई है और केस को फिर से खोलने की मांग की है।
मामले की पृष्ठभूमि
पूरा मामला 23 जुलाई 2024 का है, जब पीड़िता अपनी सहेली और बॉस अमित बिंदल के साथ कसौली घूमने गई थी। पीड़िता का आरोप है कि होटल रोज कॉमन में मोहन लाल बड़ौली और रॉकी मित्तल ने उसे जबरन शराब पिलाकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। साथ ही जान से मारने की धमकी दी गई और पंचकूला बुलाकर झूठे केस में फंसाने की कोशिश भी की गई।
यह एफआईआर 13 दिसंबर 2024 को कसौली पुलिस थाने में दर्ज की गई थी, लेकिन इसकी प्रतिलिपि सार्वजनिक रूप से 14 जनवरी 2025 को सामने आई। तब तक काफी समय बीत चुका था और इसी देरी ने मामले की जांच को कमजोर कर दिया।
कसौली पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट
कसौली पुलिस ने मामले की जांच करते हुए कई साक्ष्य जुटाने की कोशिश की, लेकिन एफआईआर में देरी के कारण होटल के सीसीटीवी फुटेज, शराब के गिलास, बेडशीट और अन्य भौतिक सबूत नहीं मिल सके। इतना ही नहीं, पीड़िता ने मेडिकल जांच करवाने से भी इनकार कर दिया। होटल स्टाफ ने भी घटना को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं दी।
इन सभी कारणों से पुलिस ने केस में पर्याप्त सबूत न मिलने के आधार पर क्लोजर रिपोर्ट तैयार की और 12 मार्च 2025 को कसौली कोर्ट में जमा की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
क्लोजर रिपोर्ट पर सवाल और चुनौती
अब इस रिपोर्ट को लेकर पीड़िता ने सोलन के सेशन कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि मोहन लाल बड़ौली ने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर क्लोजर रिपोर्ट तैयार करवाई है और जांच को प्रभावित किया गया है। पीड़िता ने कोर्ट से इस मामले को फिर से खोलने और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
सेशन कोर्ट ने पिछली सुनवाई में कसौली कोर्ट से इस केस की क्लोजर फाइल तलब की थी और अब मामले पर सुनवाई की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। आज कोर्ट इस पर निर्णय दे सकता है कि केस को फिर से खोला जाए या नहीं।
क्लोजर रिपोर्ट से पहले की अदालती प्रक्रिया
गौरतलब है कि क्लोजर रिपोर्ट फाइल होने से पहले कसौली कोर्ट ने पीड़िता को दो बार समन भेजकर उसका पक्ष जानने की कोशिश की थी। समन अलग-अलग पते पर भेजे गए, लेकिन हर बार पीड़िता उस पते पर नहीं मिली। इस गैर-हाजिरी के आधार पर अदालत ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था।
होटल स्टाफ और तकनीकी सबूतों की कमी
पुलिस के अनुसार, होटल रोज कॉमन के जिस कमरे में घटना होने का दावा किया गया, वहां के स्टाफ ने किसी भी तरह की आपत्तिजनक घटना की पुष्टि नहीं की। साथ ही, घटना के कई महीनों बाद एफआईआर दर्ज होने के कारण होटल के सीसीटीवी डेटा और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी मिटा दिए गए थे।
रॉकी मित्तल की ओर से हनी ट्रैप का आरोप
इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आया जब रॉकी मित्तल ने 6 फरवरी 2025 को पंचकूला में हनीट्रैप की शिकायत दर्ज कराई। उनका दावा है कि यह पूरी साजिश उन्हें और बड़ौली को फंसाने के लिए रची गई थी। रॉकी मित्तल ने कहा कि पीड़िता, उसकी सहेली और अमित बिंदल ने मिलकर उन्हें एआई (AI) टेक्नोलॉजी की मदद से वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने की कोशिश की।
रॉकी की शिकायत के आधार पर पंचकूला पुलिस ने महिला, उसकी सहेली और अमित बिंदल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।
दोनों पक्षों की दलीलें
पीड़िता की दलीलें:
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राजनीतिक दबाव में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की।
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जांच में लापरवाही बरती गई।
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समन की प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं रही।
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साक्ष्य की कमी का दोष पुलिस की लचर कार्यशैली पर है, न कि पीड़िता पर।
बचाव पक्ष की दलीलें:
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मामला पूरी तरह से झूठा और बदनामी फैलाने की कोशिश है।
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पीड़िता ने खुद मेडिकल जांच से इनकार किया।
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कोई भी प्रत्यक्ष या परोक्ष सबूत नहीं मिले।
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पीड़िता के पीछे राजनीतिक प्रेरणा हो सकती है।
मीडिया में वायरल हुआ पीड़िता का वीडियो
इस पूरे प्रकरण में पीड़िता ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी जारी किया था, जिसमें उसने अपने ऊपर हुए अत्याचार को विस्तार से बताया। उसने इसमें मोहन लाल बड़ौली और रॉकी मित्तल का नाम लेकर आरोप लगाए थे और न्याय की मांग की थी।
इस वीडियो के वायरल होने के बाद जनता और राजनीतिक हलकों में भी इस मामले की काफी चर्चा हुई थी। कुछ संगठनों ने महिला के समर्थन में आवाज उठाई तो कुछ ने इसे राजनीतिक साजिश बताया।
मामले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
बीजेपी खेमे में इस मुद्दे पर फिलहाल चुप्पी है, लेकिन विपक्षी दलों ने इस मामले को उठाते हुए जांच की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इसे बीजेपी के नेताओं की ‘राजनीतिक ताकत’ का दुरुपयोग बताया है।
आगे क्या?
अब सबकी निगाहें सोलन सेशन कोर्ट पर टिकी हैं। यदि कोर्ट पीड़िता की याचिका को स्वीकार कर केस को फिर से खोलने का आदेश देता है, तो बड़ौली और रॉकी मित्तल की मुश्किलें फिर से बढ़ सकती हैं।