The Airnews | Jammu — जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल देश को दहला दिया, बल्कि सैंकड़ों निर्दोष परिवारों की किस्मत भी बदल दी। इस हमले के जवाब में भारत सरकार ने एक कड़ा कदम उठाते हुए लगभग सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए। यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था, परंतु इसके परिणामस्वरूप अनेक मानवीय कहानियाँ उजागर हुईं – जिनमें से एक है मीनल खान की।
CRPF जवान से ऑनलाइन निकाह: जब सरहदों ने भी हिम्मत हार मान ली
मीनल खान, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला से हैं। उनकी कहानी तब शुरू हुई जब वे इंटरनेट पर जम्मू के घरोटा निवासी सीआरपीएफ जवान मुनीर खान से मिलीं। धीरे-धीरे बातचीत ने दोस्ती, और फिर प्रेम का रूप ले लिया। दोनों देशों के बीच लंबे समय से जारी तनाव और वीज़ा प्रक्रिया की जटिलताओं के बावजूद, उन्होंने मई 2024 में वीडियो कॉल के माध्यम से निकाह किया।
जम्मू पहुंची बहू, हुआ पारंपरिक स्वागत
मार्च 2025 में जब मीनल भारत पहुंची, तो जम्मू में उनके ससुराल ने पूरे रीति-रिवाजों के साथ उनका स्वागत किया। बैंड-बाजे और पारिवारिक भोज के साथ यह विवाह भारत-पाक संबंधों के बीच उम्मीद की किरण बन गया। लेकिन यह खुशी स्थायी न रह सकी।
27 अप्रैल: सरकार का ऐलान और एक गृहस्थी का बिखराव
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। हमले की जिम्मेदारी सीमा पार के आतंकियों पर ठहराई गई। इसके बाद भारत सरकार ने 27 अप्रैल को बड़ा फैसला लेते हुए सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए, सिवाय कुछ विशिष्ट श्रेणियों के।
इस फैसले से मीनल खान जैसी शांति-पसंद नागरिकों को भी देश छोड़ने का आदेश मिल गया। उन्हें 29 अप्रैल तक भारत से निकलने का निर्देश दिया गया।
पिया का घर छोड़ते हुए छलका मीनल का दर्द
29 अप्रैल को जब मीनल को उनके पति के साथ जम्मू से अमृतसर के वाघा बॉर्डर की ओर रवाना किया गया, तो उन्होंने मीडिया से कहा:
“जिसने भी हमले को अंजाम दिया है, उसे सख्त सजा मिलनी चाहिए। लेकिन मैं भारत और पाकिस्तान दोनों सरकारों से अपील करती हूं कि शादीशुदा जोड़ों को अलग न किया जाए। हम आतंक के नहीं, प्रेम और परिवार के पक्षधर हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें नहीं पता कि अब वे अपने पति से दोबारा कब मिल पाएंगी।
“माँ को भी जाना पड़ेगा पाकिस्तान”: शहीद पुलिसकर्मी मुदासिर की मां शमीमा की पीड़ा
इस पूरे घटनाक्रम का सबसे भावुक पहलू शहीद मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर का निर्वासन है। मुदासिर मई 2022 में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए थे और उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। उनके परिवार को दिल्ली में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया था।
शहीद की मां की अपील
मुदासिर के चाचा मोहम्मद यूनुस ने कहा:
“मेरी भाभी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से हैं, जो हमारा ही क्षेत्र है। उन्हें पाकिस्तानियों की तरह निर्वासित करना गलत है। यह हमारे जले पर नमक छिड़कने जैसा है।”
अमित शाह और उपराज्यपाल ने की थी मुलाकात
गृह मंत्री अमित शाह ने स्वयं शहीद मुदासिर के परिवार से मुलाकात की थी और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल भी दो बार इस परिवार से मिल चुके थे। इसके बावजूद उनकी मां को वापस भेजने के निर्णय ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
वीज़ा रद्दीकरण की पृष्ठभूमि
भारत सरकार के निर्णय के पीछे आतंकवाद को खत्म करने की मंशा थी। पहलगाम हमले के बाद भारत ने:
सिंधु जल संधि को निलंबित किया
पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध घटाए
अल्पकालिक वीजा पर रह रहे पाकिस्तानियों को 27 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया
इस आदेश से प्रभावित 60 से अधिक पाकिस्तानी नागरिकों को भारत से वापस भेजा गया। इनमें पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां, बच्चे और कुछ आम नागरिक शामिल हैं।
मानवीय बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा: सवालों के घेरे में नीति
जहां एक ओर यह कदम देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक था, वहीं दूसरी ओर कई मानवीय पहलुओं पर प्रश्नचिह्न भी खड़े हुए। क्या किसी शहीद की मां को निर्वासित करना उचित है? क्या विवाह जैसे रिश्ते को भी राजनीतिक सीमा से जोड़ा जाना चाहिए?
विशेषज्ञ मानते हैं कि ‘आतंक और प्रेम’ को एक ही तराजू पर तौलना नाइंसाफी है। मीनल खान और शमीमा अख्तर जैसे उदाहरण दर्शाते हैं कि हर पाकिस्तानी नागरिक भारत विरोधी नहीं होता।
सोशल मीडिया पर उबाल: “हमारी बहू है, आतंकवादी नहीं”
इस घटनाक्रम पर सोशल मीडिया में भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। ट्विटर और फेसबुक पर लोगों ने #JusticeForMinal और #RespectShaheedFamily जैसे हैशटैग ट्रेंड किए।
एक यूजर ने लिखा:
“मीनल को इसलिए सज़ा मिल रही है क्योंकि वह पाकिस्तानी है, न कि इसलिए कि वह अपराधी है। हमारे जवानों की पत्नियों को सम्मान मिलना चाहिए।”
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