यमुनानगर में गंदे पानी से फैली बीमारी: तेजली गांव में बुखार के 78 संदिग्ध मामले, स्वास्थ्य तंत्र में हड़कंप
प्रकाशन: The Airnews | The Airnews Haryana
संकट की जड़: नालियों से रिसते संक्रमण और टूटी पाइपलाइन
हरियाणा का यमुनानगर जिला इन दिनों एक गंभीर स्वास्थ्य संकट से गुजर रहा है। जिले के तेजली गांव में जलजनित बीमारियों ने धीरे-धीरे पैर पसारना शुरू कर दिया है। गांव में फैली गंदगी, ओवरफ्लो होती नालियां, और दूषित पेयजल आपूर्ति ने बीमारी के लक्षणों को जन्म दिया है। बीते दो दिनों में यहां बुखार के 78 संदिग्ध मामले सामने आए हैं, जिससे गांव में डर और चिंता का माहौल है।
तेजली गांव में पीने के पानी की पाइपलाइनें नालियों के साथ गुजर रही हैं। कई जगहों पर पाइपलाइन में रिसाव पाया गया है। इसी कारण पानी में बैक्टीरियल संक्रमण की आशंका जताई जा रही है।
रैपिड रिस्पॉन्स टीम की तैनाती
यमुनानगर जिला स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को जैसे ही सूचना मिली, 29 अप्रैल को एक रैपिड रिस्पॉन्स टीम (RRT) गांव में भेजी गई। टीम ने दो दिन के भीतर 380 घरों का सर्वेक्षण किया। इस दौरान 26 पुरुष और 52 महिलाएं बुखार के लक्षणों के साथ मिलीं। इनमें से कई लोग उल्टी, पेट दर्द और सिरदर्द की शिकायत भी कर रहे हैं।
इस स्वास्थ्य संकट को लेकर RRT ने इसे संभावित जलजनित संक्रमण (Waterborne Disease Outbreak) माना है।
गंदगी बनी बीमारी की जड़
तेजली गांव में नालियां जगह-जगह से ओवरफ्लो हो रही हैं और खुले में गंदगी फैली है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि सीवरेज लाइन कई साल पुरानी है और जर्जर अवस्था में है। यही कारण है कि गांव में साफ-सफाई नहीं हो पा रही है और गंदा पानी अक्सर सड़कों पर बहता दिखाई देता है।
गांववासियों ने यह भी आरोप लगाया कि कई बार अधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया।
शुरुआती जांच: दूषित पानी का संदेह
RRT की शुरुआती रिपोर्ट में यह स्पष्ट हुआ कि गांव में पेयजल की पाइपलाइन दो स्थानों पर क्षतिग्रस्त मिली, जिससे नाली का गंदा पानी पाइपलाइन में मिल गया। इन रिसावों को प्राथमिक स्तर पर ठीक किया गया है।
इसके अलावा 11 घरों से लिए गए पानी के नमूने पीने योग्य नहीं पाए गए। अगले दिन दोबारा 11 और नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। रिपोर्ट से संकेत मिला है कि गांव का पीने का पानी गंभीर रूप से दूषित हो चुका है।
गंभीर बीमारियों की जांच के लिए सैंपल एकत्र
रैपिड रिस्पॉन्स टीम ने एहतियातन 40-40 खून के नमूने एकत्र किए हैं। इनकी जांच निम्नलिखित बीमारियों के लिए की जा रही है:
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हेपेटाइटिस A, B, C और E
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टाइफाइड (Widal टेस्ट)
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लेप्टोस्पायरोसिस
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स्क्रब टायफस
सभी नमूने जिला लैब में भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही बीमारी के मूल कारण की पुष्टि होगी।
स्थानीय प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा,
“तेजली गांव की स्थिति चिंताजनक है। प्रारंभिक संकेत जलजनित संक्रमण की ओर इशारा करते हैं। RRT लगातार निगरानी कर रही है। प्रभावित लोगों को आवश्यक दवाइयां और ओआरएस वितरित की गई हैं। जल आपूर्ति को स्वच्छ बनाने हेतु अस्थायी व्यवस्था की जा रही है।”
जल आपूर्ति विभाग द्वारा टैंकरों के माध्यम से वैकल्पिक पेयजल की आपूर्ति शुरू की गई है, लेकिन गांव के कई हिस्सों तक यह अब तक नहीं पहुंच पाई है।
जनता का आक्रोश और सरकारी उदासीनता
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या नई नहीं है। वर्षों से तेजली गांव में साफ-सफाई की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। नालियों की सफाई सिर्फ कागजों में होती है, और पाइपलाइनों की मरम्मत समय पर नहीं होती।
ग्रामीण रामपाल ने कहा:
“हमारे बच्चे रोज बीमार पड़ते हैं। न पानी साफ है, न हवा। डॉक्टर कहते हैं कि पानी उबालकर पियो, लेकिन हर घर में गैस नहीं है। गरीब आदमी क्या करे?”
खतरा सिर्फ तेजली तक सीमित नहीं
स्वास्थ्य विभाग को आशंका है कि यदि समय रहते हालात पर काबू नहीं पाया गया, तो यह संक्रमण अन्य गांवों या यमुनानगर शहर के बाहरी इलाकों तक फैल सकता है। यही कारण है कि आसपास के क्षेत्रों की भी निगरानी की जा रही है।
सरकार और प्रशासन के सामने चुनौती
यह घटना केवल तेजली गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश में नगर निगमों, पंचायतों और जलापूर्ति विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाती है।
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क्या हरियाणा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान को सही तरीके से लागू किया?
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क्या जल परीक्षण और सीवरेज में लीकेज को लेकर कोई सतत निरीक्षण हो रहा है?
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क्या प्रशासन हर गांव में RRT जैसी टीमें तैनात कर सकता है?
समाधान की राह: विशेषज्ञों की राय
1. पाइपलाइन निरीक्षण और तत्काल मरम्मत
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जलापूर्ति लाइनों का मासिक निरीक्षण अनिवार्य होना चाहिए। जहां भी रिसाव मिले, उसे तुरंत ठीक किया जाए।
2. जल शुद्धिकरण इकाइयों की स्थापना
गांवों में जल शुद्धिकरण संयंत्र लगाए जाएं, ताकि हर घर में साफ पानी पहुंचे।
3. जन जागरूकता अभियान
साफ पानी पीने, हाथ धोने और उबले पानी का सेवन करने जैसे उपायों को लेकर ग्रामीणों में जागरूकता फैलाना जरूरी है।
4. प्रशासनिक जवाबदेही
पंचायत, नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की सामूहिक जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। लापरवाही पर सख्त कार्रवाई भी सुनिश्चित की जाए।
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