Water Dispute: हरियाणा-पंजाब की लड़ाई में हिमाचल की एंट्री, सीएम सुक्खू ने दिया ये बड़ा बयान
The Airnews | Haryana Desk
हरियाणा और पंजाब के बीच पानी के बंटवारे को लेकर वर्षों से चला आ रहा विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। जहां एक ओर हरियाणा सरकार ने इस मामले में आक्रामक रुख अपनाते हुए सर्वदलीय बैठक बुलाई है, वहीं दूसरी ओर अब हिमाचल प्रदेश भी इस विवाद में कूद पड़ा है। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पष्ट रूप से कहा है कि “पानी हिमाचल का है, लेकिन लड़ाई पंजाब और हरियाणा कर रहे हैं।” उनका यह बयान इस विवाद को एक नई दिशा देता नजर आ रहा है।
हरियाणा सरकार की सर्वदलीय बैठक
हरियाणा सरकार ने पानी के मुद्दे पर चंडीगढ़ में आज दोपहर 2 बजे सर्वदलीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, और सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता हिस्सा ले रहे हैं। बैठक का मुख्य उद्देश्य है—पंजाब द्वारा हरियाणा को मिलने वाले पानी में कटौती के खिलाफ एकजुट राजनीतिक रणनीति बनाना।
हरियाणा लंबे समय से एसवाईएल (सतलुज-यमुना लिंक) नहर के निर्माण और पानी के बंटवारे को लेकर पंजाब से विवाद में है। पंजाब, अपने संसाधनों की कमी और जल संकट का हवाला देते हुए, नहर निर्माण में टालमटोल करता रहा है। वहीं हरियाणा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी पंजाब ने आदेशों का पालन नहीं किया।
हिमाचल की एंट्री और सीएम सुक्खू का बयान
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस मुद्दे पर बड़ा बयान देते हुए कहा:
“पानी हिमाचल का है, लेकिन लड़ाई पंजाब और हरियाणा कर रहे हैं। हम तो बीबीएमबी (भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड) से बिजली की रॉयल्टी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वह भी नहीं बढ़ाई जाती। जब भी हम अपने अधिकारों की बात करते हैं, पंजाब और हरियाणा कोई सहयोग नहीं करते। अब जब पानी की लड़ाई हो रही है तो सब सामने आ गया है।”
सीएम सुक्खू का यह बयान एक ओर हिमाचल के अधिकारों की बात करता है, तो दूसरी ओर यह भी दर्शाता है कि भाखड़ा बांध के निर्माण में सबसे ज्यादा नुकसान हिमाचल के लोगों को झेलना पड़ा। कई गांव उजड़ गए, हजारों लोग विस्थापित हो गए, लेकिन आज तक उनकी भरपाई नहीं हुई।
भाखड़ा डैम और हिमाचल का योगदान
भाखड़ा बांध, जो सतलुज नदी पर स्थित है, केवल पंजाब और हरियाणा ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश के भूभाग और संसाधनों पर भी आधारित है। इस परियोजना से उत्पन्न बिजली और पानी का लाभ मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा को मिलता है, जबकि हिमाचल प्रदेश को उसके हिस्से की रॉयल्टी आज भी पूरी नहीं मिलती।
हिमाचल सरकार की लंबे समय से मांग रही है कि बीबीएमबी में उन्हें बराबर का हिस्सा दिया जाए और रॉयल्टी की राशि भी समयानुसार बढ़ाई जाए। इस संबंध में बार-बार केंद्र सरकार और संबंधित राज्यों से आग्रह किया गया है, लेकिन समाधान आज तक नहीं निकल पाया।
राजनीतिक पहलू और कांग्रेस की भूमिका
सीएम सुक्खू ने हाल ही में हुई कांग्रेस की CWC (Congress Working Committee) बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी केंद्र की भाजपा सरकार की नीति और पाकिस्तान को लेकर रुख पर स्पष्ट है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि:
“पाकिस्तान के खिलाफ और सबसे ज्यादा देश में कुर्बानियां कांग्रेस ने दी हैं। सरकार के साथ कांग्रेस पार्टी इस जल विवाद के हर पहलू पर अपनी भूमिका निभाएगी।”
इस बयान से यह भी संकेत मिलता है कि पानी के मुद्दे को कांग्रेस आगामी चुनावों में बड़ा मुद्दा बना सकती है, खासकर हिमाचल और हरियाणा जैसे राज्यों में।