हरियाणा बिजली निगमों में कच्चे कर्मचारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, छह हफ्तों में नियमित करने का आदेश
चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के बिजली निगमों में लंबे समय से कार्यरत कच्चे कर्मचारियों को लेकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि इन कर्मचारियों को छह हफ्तों के भीतर नियमित किया जाए, अन्यथा अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की बेंच ने कहा कि कुछ कर्मचारी 1995 से लगातार सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें 30 वर्षों में नौ बार अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा। यह स्थिति उनके शोषण का प्रतीक है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि छह सप्ताह के भीतर नियमितीकरण का आदेश पारित नहीं होता, तो याचिकाकर्ताओं को उनके सहकर्मी वीर बहादुर की तरह सभी लाभ, वरिष्ठता और बकाया राशि सहित नियमित माना जाएगा।
सरकार के तर्क खारिज
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि वे 1995 से तदर्थ और अस्थायी आधार पर काम कर रहे हैं। 2005 के आदेश और 2025 के पुनर्विचार निर्देशों के बावजूद मई 2025 में सरकार ने पदों की अनुपलब्धता का हवाला देकर उनका दावा खारिज कर दिया।
कोर्ट ने इस तर्क को अस्थायी और अस्वीकार्य ठहराया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के उन फैसलों का हवाला दिया, जिनमें कहा गया है कि प्रशासनिक कारणों से नियमितीकरण से इनकार नहीं किया जा सकता।
राज्य की नीतियों पर सख्त टिप्पणी
हाईकोर्ट ने सरकार की उस प्रवृत्ति की आलोचना की जिसमें केवल अदालत के आदेशों से बचने के लिए नीतियां बनाई जाती हैं। जस्टिस बराड़ ने कहा कि कर्मचारियों को वर्षों तक अस्थायी रखकर नियमित कार्य कराना न केवल असंवैधानिक है बल्कि समानता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन भी है।
उन्होंने कहा कि राज्य केवल एक बाजार भागीदार नहीं, बल्कि एक संवैधानिक नियोक्ता है और वह सार्वजनिक कार्यों में लगे लोगों की कीमत पर बजट संतुलन नहीं बना सकता।




