हरियाणा में शिक्षा प्रणाली पर उठते सवाल
(Sahil Kasoon ) हरियाणा में बिना मान्यता के चल रहे 282 निजी स्कूलों को बंद करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए थे। लेकिन 10 दिन बीतने के बावजूद इन आदेशों पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई है। जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को निर्देश दिया गया था कि वे तीन दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करें, लेकिन अभी तक न तो कोई रिपोर्ट सौंपी गई है और न ही इन स्कूलों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं।
यह मुद्दा तब और गंभीर हो जाता है जब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट भी इस मामले में शिक्षा विभाग को स्पष्ट आदेश जारी कर चुका है। इसके बावजूद, शिक्षा विभाग की ओर से किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
अवैध स्कूलों की सूची और रिपोर्टिंग में देरी
शिक्षा निदेशालय द्वारा सभी जिला शिक्षा अधिकारियों (DEO) को आदेश दिए गए थे कि वे बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों की सूची तैयार करें और उनके खिलाफ की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। साथ ही, इन स्कूलों के नाम स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के भी निर्देश दिए गए थे ताकि अभिभावकों को जागरूक किया जा सके। लेकिन अब तक न तो कोई रिपोर्ट निदेशालय को भेजी गई और न ही इन स्कूलों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं।
यह देरी शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा की सक्रियता, फिर भी ठोस कार्रवाई नहीं
हरियाणा के शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा भी इन अवैध स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर लगातार शिक्षा अधिकारियों से फीडबैक ले रहे हैं। लेकिन, ज़मीनी स्तर पर इस संबंध में कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाया गया है। शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा था कि बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों को बंद किया जाएगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी। लेकिन, प्रशासन की सुस्ती के कारण अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
हाईकोर्ट का अंतिम चेतावनी आदेश
हरियाणा में बिना मान्यता के चल रहे निजी स्कूलों के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में मांग की गई थी कि:
- बिना मान्यता के चल रहे सभी निजी स्कूलों को तुरंत बंद किया जाए।
- हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
- ऐसे स्कूलों की सूची सार्वजनिक की जाए ताकि अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला उनमें न कराएं।
हाईकोर्ट ने 26 फरवरी 2024 तक शिक्षा विभाग को हलफनामा प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर दिया था। हलफनामे में यह स्पष्ट करना था कि इन स्कूलों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।
कार्रवाई न होने पर 20,000 रुपये का जुर्माना
यदि शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया जाता, तो हरियाणा सरकार को 20,000 रुपये का जुर्माना भरना होगा। इसके अलावा, शिक्षा निदेशालय ने भी सभी DEO को आदेश दिए थे कि वे इस संबंध में जानकारी उपलब्ध कराएं। रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में 282 स्कूल बिना मान्यता या अनुमति के चल रहे हैं।
बच्चों के हितों की अनदेखी और अभिभावकों के लिए चेतावनी
शिक्षा विभाग ने यह भी कहा है कि:
- बच्चों को अवैध स्कूलों में प्रवेश न दिया जाए।
- अभिभावकों को सतर्क किया जाए कि वे बिना मान्यता प्राप्त स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला न कराएं।
- बिना मान्यता वाले स्कूलों की सूची समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाई जाए ताकि माता-पिता सतर्क रहें।
लेकिन, अब तक इन निर्देशों का पालन नहीं किया गया है।
क्या कहते हैं अभिभावक और शिक्षा विशेषज्ञ?
इस मुद्दे पर अभिभावकों में काफी नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि यदि शिक्षा विभाग समय रहते इन स्कूलों की सूची जारी कर देता, तो वे अपने बच्चों का दाखिला सही स्कूल में कर सकते थे।
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि बिना मान्यता वाले स्कूल बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इसके अलावा, इन स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता भी संतोषजनक नहीं होती।
क्या होगा आगे?
यदि अगले कुछ दिनों में शिक्षा विभाग द्वारा हलफनामा प्रस्तुत नहीं किया जाता, तो:
- राज्य सरकार को हाईकोर्ट के जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
- DEO और शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।
- अवैध स्कूलों की लिस्ट सार्वजनिक करने के लिए कोर्ट खुद हस्तक्षेप कर सकता है।