AAP सरकार ने हरियाणा का पानी क्यों रोका? पंजाब-हरियाणा के बीच पानी की लड़ाई का सियासी विश्लेषण
The Airnews | रिपोर्टर – साहिल शर्मा
स्थान: चंडीगढ़
समय: 2 घंटे पहले
मुख्य बिंदु:
- पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हरियाणा को मिलने वाले पानी को अचानक रोका।
- मान का तर्क: हरियाणा ने कोटे से अधिक पानी मार्च में ही खर्च कर लिया।
- पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स: CM नायब सैनी की पंजाब में बढ़ती एक्टिविटी इसके पीछे वजह।
- हरियाणा में सिंचाई और पेयजल संकट गहराने की आशंका।
पानी की कटौती: क्या है असली वजह? पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने अचानक हरियाणा को मिलने वाले पानी को रोक दिया। खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने वीडियो जारी कर कहा कि पंजाब के पास अब एक भी बूंद अतिरिक्त पानी नहीं बचा, जिसे हरियाणा को दिया जा सके।
मान के मुताबिक, 21 मई से अगले साल 21 मई तक हर राज्य को कोटा निर्धारित होता है। हरियाणा मार्च में ही अपना पूरा कोटा खर्च कर चुका है। इसी वजह से पहले मिल रहा साढ़े 9 हजार क्यूसिक पानी अब घटाकर 4 हजार क्यूसिक कर दिया गया है। इससे हरियाणा में पेयजल और सिंचाई संकट की स्थिति बन गई है।
राजनीतिक एंगल: क्या CM सैनी की बढ़ती सक्रियता बनी वजह? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पानी की कटौती का असली कारण हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी की पंजाब में बढ़ती सक्रियता है।
मोहाली के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भूपिंदर सिंह कहते हैं,
“पंजाब में नायब सैनी की बढ़ती मौजूदगी से भगवंत मान राजनीतिक रूप से असहज हो रहे हैं। वह खुद को पंजाब के हितों के सबसे बड़े रक्षक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।”
अमृतसर के वरिष्ठ पत्रकार एस. पुरुषोत्तम के अनुसार,
“यह AAP की रणनीति है। सैनी को घर में घेरने के साथ-साथ BJP को बैकफुट पर लाने की चाल है। पानी का मुद्दा AAP के लिए दोतरफा फायदा देने वाला है।”
सात मौके जब नायब सैनी पंजाब में सक्रिय नजर आए:
- 12 जनवरी: चंडीगढ़ भाजपा कार्यालय से मेंबरशिप अभियान में जुड़ाव।
- 23 मार्च: संगरूर के सरपंचों से मुलाकात और रोडवेज बस की शुरुआत।
- 8 अप्रैल: पूर्व मंत्री कालिया के घर ग्रेनेड हमले पर बयान।
- 13 अप्रैल: श्री आनंदपुर साहिब में माथा टेकना।
- 20 अप्रैल: ज़ीरकपुर में AAP पार्षदों को भाजपा में शामिल कराना।
- 25 अप्रैल: गुरदास मान से मुलाकात।
- 26 अप्रैल: डेराबस्सी रैली में भागीदारी।
AAP की रणनीति: पंजाब में पकड़ मजबूत करने की कोशिश दिल्ली में सत्ता से बाहर होने के बाद AAP का पूरा ध्यान अब पंजाब पर है। यहां 2027 में चुनाव होने हैं। कांग्रेस और अकाली दल की स्थिति कमजोर है लेकिन BJP का उभार AAP के लिए खतरा बन सकता है। ऐसे में पार्टी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, हरियाणा का पानी रोकना पंजाब के किसानों के हित में कठोर फैसला बताकर वोट बैंक को मजबूत करने का प्रयास है। साथ ही भाजपा को नुकसान पहुंचाने की रणनीति भी इसमें छिपी है।
पानी विवाद की पृष्ठभूमि 1981 में पंजाब और हरियाणा के बीच पानी का समझौता हुआ था। भाखड़ा नहर के जरिए पंजाब हरियाणा और राजस्थान को पानी देता है। अब तक हरियाणा को रोजाना साढ़े 9 हजार क्यूसिक पानी मिलता रहा है, जिसे अब घटाकर 4 हजार क्यूसिक कर दिया गया है।
मान ने स्पष्ट किया कि हरियाणा अपना कोटा पहले ही खर्च कर चुका है। पेयजल संकट से बचने के लिए पानी घटाना जरूरी हो गया।
हरियाणा की प्रतिक्रिया CM नायब सैनी ने मान से फोन पर बात की थी, लेकिन उनके अनुसार कोई कार्रवाई नहीं हुई। हरियाणा के सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने दिल्ली में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल से मुलाकात कर हस्तक्षेप की मांग की है।
सैनी ने बयान जारी कर कहा:
“पंजाब के CM का यह फैसला चौंकाने वाला है। उन्होंने तथ्यों की अनदेखी कर राजनीति चमकाने की कोशिश की है।”
हरियाणा पर प्रभाव सिंचाई विभाग के अनुसार, 22 मई तक स्थिति और बिगड़ सकती है। नया कोटा शुरू होने तक हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, रोहतक, महेंद्रगढ़ जैसे जिलों में पेयजल और सिंचाई संकट गहराएगा।