ASI के आदेश से हिला ऐतिहासिक गांव पोलड़: घर खाली करने के निर्देश के बाद महिला की मौत, गांव में तनाव का माहौल

कैथल | 18 May | Sahil Kasoon हरियाणा के कैथल जिले के ऐतिहासिक गांव पोलड़ में इन दिनों भारी तनाव और दुख का माहौल है। कारण है – भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा दिए गए घर खाली करने के आदेश। इन आदेशों ने न केवल 206 परिवारों के सिर से छत छीनने का खतरा पैदा कर दिया है, बल्कि एक आंगनवाड़ी वर्कर महिला की जान भी ले ली है। गांव की जनता सरकार और प्रशासन के फैसले के विरोध में सड़कों पर उतर आई है।
206 घरों को भेजे गए नोटिस
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने गांव पोलड़ के 206 घरों को नोटिस भेजकर जल्द से जल्द मकान खाली करने के निर्देश जारी किए हैं। यह कार्रवाई उस आधार पर की जा रही है कि यह गांव पुरातात्विक दृष्टि से संरक्षित क्षेत्र घोषित किया जा चुका है।
ग्रामीणों का आरोप है कि बिना पूर्व सूचना, चर्चा या पुनर्वास योजना के अचानक ऐसे नोटिस भेजना मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
टेंशन में गई जान: 65 वर्षीय महिला की मौत
गांव की 65 वर्षीय आंगनवाड़ी वर्कर गुरमीत कौर, पत्नी महेंद्र सिंह, इन नोटिसों से मानसिक रूप से बहुत प्रभावित थीं। परिजनों ने बताया कि शनिवार को नोटिस मिलने के बाद से वे बेहद तनाव में थीं, उन्हें पूरी रात नींद नहीं आई। रविवार तड़के 3 बजे उन्हें हार्ट अटैक आया और मौके पर ही उनका निधन हो गया।
यह घटना पूरे गांव में रोष और शोक का कारण बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की लापरवाही और विभाग की जल्दबाज़ी ने एक जान ले ली।
गांव में बना उबाल: “हम अपनी पूर्वजों की जमीन नहीं छोड़ेंगे”
ग्रामीणों का कहना है कि वे भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय यहां आकर बसे थे। तब से यह गांव उनकी पहचान, इतिहास और अस्तित्व का हिस्सा रहा है।
उनका दावा है कि पुरातत्व विभाग यहां पहले भी तीन बार खुदाई कर चुका है, लेकिन कोई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवशेष नहीं मिले।
फिर भी, अब उन्हें जबरन बेघर किया जा रहा है, जो न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि संवेदनहीन भी।
गुहला विधायक को सौंपा ज्ञापन, कार्रवाई की मांग
गांववासियों ने कांग्रेस विधायक देवेंद्र हंस को ज्ञापन सौंपते हुए इस कार्रवाई को रद्द कराने की मांग की है। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा –
“हम अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे, यह हमारे पूर्वजों की धरोहर है। चाहे कुछ भी हो जाए, हम यहां से नहीं हटेंगे।“
गांव की ऐतिहासिक और धार्मिक पृष्ठभूमि
गांव पोलड़ केवल रहने का स्थान नहीं है, यह एक धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर भी है।
पौराणिक महत्व: पुलस्त्य मुनि की तपोभूमि
इतिहासकारों और पुराणों के अनुसार, यह स्थान रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोभूमि रहा है। माना जाता है कि उन्होंने यहां सरस्वती नदी के किनारे इक्षुपति तीर्थ पर तपस्या की थी।
रावण का बचपन यहीं बीता
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, रावण का बचपन इसी क्षेत्र में बीता था। यहां सैकड़ों वर्ष पुराना शिवलिंग और सरस्वती मंदिर इसकी ऐतिहासिकता की पुष्टि करते हैं।
मंदिर और साधुओं का साक्ष्य
गांव के सरस्वती मंदिर की देखरेख कर रहे नागा साधु महंत देवीदास के अनुसार –
“इस मंदिर का निर्माण महंत राघवदास ने एक स्वप्न के आधार पर करवाया था। यह केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि ऐतिहासिक प्रतीक भी है।”
प्रशासन का रुख: कार्रवाई के पीछे की मंशा
ASI का कहना है कि पोलड़ गांव एक संरक्षित पुरातात्विक क्षेत्र है और यहां किसी भी प्रकार का निर्माण अवैध है। विभाग का दावा है कि उन्हें ऐतिहासिक प्रमाण मिले हैं, जो इस क्षेत्र को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने के लिए पर्याप्त हैं।
हालांकि, विभाग की ओर से अब तक कोई पुनर्वास योजना या वैकल्पिक आवास की घोषणा नहीं की गई है, जिससे ग्रामीणों की नाराजगी और बढ़ गई है।
ग्रामीणों की मांगें और संभावित समाधान
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:
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नोटिस तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाएं।
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यदि जमीन वाकई पुरातात्विक घोषित होती है, तो पुनर्वास की पक्की व्यवस्था की जाए।
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गांव के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों की संरक्षा के साथ गांव का अस्तित्व भी बरकरार रखा जाए।
संभावित समाधान:
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सरकार विशेष समिति बनाकर मामले की स्थल निरीक्षण और सामाजिक समीक्षा करे।
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प्रभावित परिवारों के लिए वैकल्पिक बसाहट योजना घोषित की जाए।
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धार्मिक स्थलों को हेरिटेज साइट घोषित कर, गांव को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए।
क्या ASI का कदम सही है? विशेषज्ञों की राय
कई इतिहासकार मानते हैं कि यदि वास्तव में क्षेत्र पुरातात्विक महत्व का है, तो उसका संरक्षण जरूरी है। लेकिन संरक्षण का अर्थ जबरन विस्थापन नहीं होता।
प्रो. रामकुमार राणा (पुरातत्व विशेषज्ञ) कहते हैं –
“किसी भी विरासत स्थल को संरक्षित करने से पहले वहां रहने वाले समुदाय की सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना का ध्यान रखना आवश्यक है।”
राजनीतिक प्रतिक्रिया और अगली कार्रवाई
घटना ने अब राजनीतिक रूप भी ले लिया है। कांग्रेस ने इसे मानवाधिकार और जन विरोधी कार्रवाई करार दिया है, वहीं सत्तापक्ष की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है।
The Airnews को मिली जानकारी के अनुसार, विधायक देवेंद्र हंस जल्द ही मुख्यमंत्री से इस विषय में मिलेंगे और समाधान की मांग करेंगे।




