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Saturday, November 8, 2025

HRERA अधिकारियों को नहीं मिलेगा वसूली का अधिकार: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की अधिसूचना रद्द की

HRERA अधिकारियों को नहीं मिलेगा वसूली का अधिकार: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की अधिसूचना रद्द की

Sahil Kasoon The Airnews | Chandigarh  

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार की 11 मई 2024 को जारी उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसके तहत हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (HRERA) के अधिकारियों को कलेक्टर की तरह बकाया वसूलने के अधिकार दिए गए थे। हाईकोर्ट ने इस कदम को रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 का उल्लंघन माना है और इसे स्थापित कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ बताया है।

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: HRERA के अधिकार सीमित

न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति एचएस ग्रेवाल की खंडपीठ ने “वाटिका लिमिटेड” द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि HRERA अधिकारी केवल मुआवजे और ब्याज की राशि तय कर सकते हैं, लेकिन वे खुद बकाया वसूल नहीं सकते। वसूली की प्रक्रिया हरियाणा भूमि राजस्व अधिनियम, 1887 के तहत राजस्व अधिकारियों द्वारा ही की जानी चाहिए।

अधिसूचना को क्यों रद्द किया गया?

  • अधिनियम 2016 के प्रावधानों के अनुसार, वसूली केवल राजस्व अधिकारियों द्वारा भू-राजस्व के बकाया के रूप में की जा सकती है।

  • HRERA अधिकारियों को सीधे वसूली का अधिकार देना अधिनियम की भावना के विपरीत है।

  • न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जांच और प्रवर्तन अलग-अलग कार्य हैं और इन्हें एक साथ नहीं मिलाया जा सकता।

सरकार को हाईकोर्ट के निर्देश

  • हरियाणा सरकार को नियमों में आवश्यक संशोधन करने के निर्देश।

  • वसूली के लिए विशेष राजस्व अधिकारियों की नियुक्ति अनिवार्य।

  • वसूली प्रक्रिया को पूरी तरह कानूनी ढांचे के अनुरूप बनाना अनिवार्य।

सिंगल बेंच के पुराने फैसले की आलोचना

हाईकोर्ट ने पहले के सिंगल बेंच के उस फैसले की आलोचना की, जिसमें HRERA के आदेशों को सिविल न्यायालय के आदेशों की तरह लागू करने की अनुमति दी गई थी। अदालत ने जोर दिया कि वसूली भूमि राजस्व अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार होनी चाहिए, न कि सामान्य सिविल डिक्री के आधार पर।

सरकार का तर्क भी खारिज

राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि हरियाणा भूमि राजस्व अधिनियम, 1887 की धारा 27 के तहत HRERA अधिकारियों को वसूली के अधिकार दिए जा सकते हैं। लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को सिरे से खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि न्यायनिर्णयन और प्रवर्तन के कार्य अलग हैं और इन्हें मिलाया नहीं जा सकता।

आगे क्या होगा?

  • हरियाणा सरकार को अब नए सिरे से वसूली प्रक्रिया तैयार करनी होगी।

  • HRERA को अपनी कार्यप्रणाली में जरूरी बदलाव करने होंगे।

  • राजस्व विभाग को वसूली के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त करने होंगे।

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