अंबाला-हिसार हाईवे पर टोल विवाद: सांसद नवीन जिंदल ने की ‘थाना’ टोल प्लाजा हटाने की मांग
Report: Yash, The Air News
हरियाणा में कैथल जिले के पिहोवा क्षेत्र में अंबाला-हिसार हाईवे पर स्थित ‘थाना’ टोल प्लाजा को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। क्षेत्रीय सांसद Naveen Jindal ने इस टोल प्लाजा को हटाने की मांग करते हुए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री Nitin Gadkari को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने टोल की अव्यवस्था और आम जनता पर इसके पड़ने वाले आर्थिक बोझ को प्रमुख मुद्दा बताया है।
क्या है पूरा मामला?
सांसद नवीन जिंदल ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि मार्च 2022 में संसद सत्र के दौरान नितिन गडकरी ने स्पष्ट रूप से कहा था कि 60 किलोमीटर की परिधि में केवल एक ही टोल प्लाजा संचालित रहेगा। यदि उस दायरे में दूसरा टोल प्लाजा मौजूद होगा तो उसे हटाया जाएगा। लेकिन वर्तमान में अंबाला-हिसार हाईवे पर गांव थाना के निकट और गांव सैनी माजरा के पास दो टोल प्लाजा चालू हैं, जिनके बीच की दूरी केवल 45 किलोमीटर है।
दोहरी टोल वसूली से जनता परेशान
यदि कोई वाहन चालक कैथल से अंबाला की ओर यात्रा करता है, तो उसे दो अलग-अलग स्थानों पर टोल देना पड़ता है।
- थाना टोल प्लाजा पर लगभग ₹135 (आने-जाने दोनों का)
- सैनी माजरा टोल प्लाजा पर भी लगभग ₹135
इस तरह से एक सामान्य यात्रा पर लगभग ₹270 का अतिरिक्त भार जनता पर पड़ता है।
सांसद की अपील और जनसमर्थन
सांसद जिंदल ने पत्र में लिखा:
“यह दोहरी टोल वसूली सरासर गलत है और नियमों का उल्लंघन है। जनता पहले से ही महंगाई की मार झेल रही है और इस तरह की नीतियां उनके लिए आर्थिक संकट का कारण बन रही हैं।”
उनकी इस अपील को पिहोवा और आसपास के गांवों में जबरदस्त समर्थन मिला है। ग्रामीणों का कहना है कि सांसद जिंदल क्षेत्र की समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं और हर बार उनकी आवाज़ सरकार तक पहुंचाते हैं।
जनता की प्रतिक्रिया
- सिकंदर बाखली (ग्रामवासी): “हमें सांसद जिंदल जैसे नेता की जरूरत है जो वास्तव में जनता की परवाह करता हो।”
- संदीप गर्ग (व्यापारी): “हर रोज़ टोल देने से आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ रहा है।”
- तनु गुप्ता (छात्र): “हमारे शहर में शिक्षा और स्वास्थ्य पहले से महंगे हैं, ऊपर से टोल भी। यह अन्याय है।”
टोल पॉलिसी पर उठे सवाल
यह मामला सिर्फ एक क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है, बल्कि यह भारत भर में टोल व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। अगर सरकार ने नियम तय किए हैं, तो उनका सख्ती से पालन भी जरूरी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि टोल वसूली का उद्देश्य सड़क रखरखाव और यातायात सुविधाएं बेहतर करना होता है, न कि जनता से अवैध रूप से पैसे वसूलना। अगर एक निर्धारित रेंज में दो टोल प्लाजा हैं, तो यह नीति का उल्लंघन है।
आगे की कार्रवाई
अब निगाहें केंद्र सरकार और सड़क परिवहन मंत्रालय पर टिकी हैं कि वे इस मुद्दे को कितनी प्राथमिकता से लेते हैं।
यदि सरकार द्वारा जल्द कोई कदम नहीं उठाया गया, तो यह जनआंदोलन का रूप भी ले सकता है, क्योंकि यह मुद्दा सीधे-सीधे जनता की जेब और सुविधा से जुड़ा हुआ है।