सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम को फिर मिली फरलो, सुनारिया जेल से 21 दिन के लिए रिहा
हरियाणा की रोहतक स्थित सुनारिया जेल में बलात्कार और हत्या के मामलों में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आ गया है। इस बार उसे 21 दिन की फरलो (Furlough) मिली है। बुधवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच वह सिरसा डेरा के लिए रवाना हुआ।
गौरतलब है कि राम रहीम को वर्ष 2017 में दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराते हुए 20 साल की सजा सुनाई गई थी। उसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति और डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या के मामलों में भी उसे उम्रकैद की सजा मिली थी।
डेरे के स्थापना दिवस में भाग लेने की तैयारी
राम रहीम के इस बार बाहर आने के पीछे डेरे का 77वां स्थापना दिवस प्रमुख कारण माना जा रहा है। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 29 अप्रैल 1948 को संत शाह मस्ताना ने की थी। हर वर्ष इसे भव्य रूप से मनाया जाता है और बड़ी संख्या में अनुयायी एकत्र होते हैं। माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए ही राम रहीम को फरलो दी गई है।
इस बार राम रहीम पूरे 21 दिन सिरसा डेरा में ही रहेगा और किसी अन्य स्थान पर नहीं जाएगा। इससे पहले जब वह जनवरी 2025 में बाहर आया था, तब उसने 10 दिन सिरसा डेरा और 20 दिन उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बरनावा आश्रम में बिताए थे।
अब तक कुल 13 बार जेल से बाहर आया राम रहीम
राम रहीम को अब तक 12 बार पैरोल या फरलो दी जा चुकी है। यह 13वां मौका है जब वह जेल से बाहर आया है। नीचे इसकी पूरी सूची दी गई है:
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24 अक्टूबर 2020 – मां से मिलने के लिए 1 दिन की पैरोल
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21 मई 2021 – फिर से मां से मिलने के लिए 12 घंटे की पैरोल
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7 फरवरी 2022 – 21 दिन की फरलो
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जून 2022 – 30 दिन की पैरोल, यूपी के बागपत आश्रम गया
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14 अक्टूबर 2022 – 40 दिन की पैरोल, म्यूजिक वीडियो भी जारी किए
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21 जनवरी 2023 – 40 दिन की पैरोल, डेरा संस्थापक की जयंती में हिस्सा
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20 जुलाई 2023 – 30 दिन की पैरोल
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21 नवंबर 2023 – 21 दिन की फरलो
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19 जनवरी 2024 – 50 दिन की फरलो
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13 अगस्त 2024 – 21 दिन की फरलो
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2 अक्टूबर 2024 – 20 दिन की पैरोल
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28 जनवरी 2025 – 30 दिन की पैरोल
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9 अप्रैल 2025 – 21 दिन की फरलो (वर्तमान)
कानून में पैरोल और फरलो का क्या मतलब होता है?
पैरोल क्या होती है?
पैरोल (Parole) एक विशेष परिस्थिति में दी जाने वाली सशर्त रिहाई होती है, जो कैदी के व्यवहार और उसकी परिस्थितियों के आधार पर दी जाती है। आमतौर पर यह पारिवारिक आपात स्थिति, विवाह, मृत्यु, बीमारी जैसी विशेष स्थितियों में दी जाती है। इसमें कैदी को:
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समय-समय पर प्रशासन को रिपोर्ट करना होता है।
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अपराध या गैरकानूनी गतिविधियों से दूर रहना होता है।
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पैरोल एक अधिकार नहीं, बल्कि विवेकाधीन राहत है।
पैरोल दो प्रकार की होती है:
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रेगुलर पैरोल – जिसमें कैदी स्वतंत्र रूप से बाहर रह सकता है।
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कस्टडी पैरोल – जिसमें कैदी को पुलिस की निगरानी में बाहर जाने की अनुमति दी जाती है।
फरलो क्या होती है?
फरलो (Furlough) एक निश्चित अवधि की छुट्टी होती है, जो कैदी के कानूनी अधिकार के रूप में दी जाती है। इसका उद्देश्य कैदी को सामाजिक संपर्क बनाए रखने और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करना होता है।
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फरलो के लिए किसी आपात स्थिति की आवश्यकता नहीं होती।
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यह कैदी का कानूनी अधिकार है।
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इसका मकसद सजा के बीच कैदी को राहत देना है ताकि वह अपने पारिवारिक और सामाजिक संबंधों को बनाए रख सके।
पैरोल और फरलो में क्या है अंतर?
बिंदु | पैरोल | फरलो |
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अधिकार | यह कैदी का अधिकार नहीं है | यह कैदी का कानूनी अधिकार है |
अवधि | अधिकतम एक माह तक | अधिकतम 14 दिन (राज्य अनुसार बदलाव संभव) |
गिनती | सजा की अवधि में शामिल नहीं | सजा की अवधि में शामिल होती है |
कारण | आवश्यक परिस्थिति होना जरूरी | किसी कारण की आवश्यकता नहीं |
स्वीकृति | डिविजनल कमिश्नर | जेल डीआईजी |
उद्देश्य | पारिवारिक आपातकाल आदि | मानसिक तनाव से राहत, सुधार उद्देश्य |
फरलो और पैरोल का दुरुपयोग या व्यवस्था का हिस्सा?
राम रहीम को बार-बार मिलने वाली फरलो और पैरोल को लेकर समाज में कई सवाल उठते हैं। उसके ऊपर बलात्कार, हत्या और षड्यंत्र जैसे गंभीर अपराधों की सजा है। इसके बावजूद उसे कई बार जेल से बाहर आने की अनुमति मिली है, जिससे कई बार यह आलोचना होती है कि क्या यह कानून का दुरुपयोग है?
कई विशेषज्ञों का मानना है कि हर अपराधी को कानूनी अधिकारों के तहत पैरोल और फरलो की अनुमति दी जा सकती है, लेकिन जब ये लगातार और लंबी अवधि तक दी जाती हैं, तो सवाल उठते हैं। विशेष रूप से तब जब समाज में उसका प्रभाव और फॉलोइंग बनी हुई हो।
राम रहीम की रिहाई पर सियासी हलचल भी तेज
राम रहीम की हर बार की रिहाई के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो जाती है। चुनावों से पहले या सामाजिक आयोजनों के वक्त उसकी पैरोल या फरलो को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिलते हैं।
इस बार भी जब वह डेरा सच्चा सौदा के स्थापना दिवस के मौके पर बाहर आया है, तब सियासी हलचल की संभावना बनी हुई है। खासकर जब हरियाणा में पंचायत और नगर निकाय चुनाव की चर्चाएं शुरू हो रही हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राम रहीम की मौजूदगी का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जाएगी?
डेरा सच्चा सौदा का प्रभाव और अनुयायी वर्ग
डेरा सच्चा सौदा सिर्फ हरियाणा ही नहीं, बल्कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और देश के कई हिस्सों में व्यापक प्रभाव रखता है। इसके अनुयायियों की संख्या लाखों में है और सामाजिक-धार्मिक कार्यों के माध्यम से यह संस्था खुद को समाजसेवी संगठन के रूप में प्रस्तुत करती है।
हालांकि, डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर लगे आरोपों और उसके दोष सिद्ध होने के बाद डेरे की छवि को भारी नुकसान पहुंचा है। बावजूद इसके, उसके अनुयायी आज भी उसकी पूजा और श्रद्धा से करते हैं। यही कारण है कि हर बार उसके बाहर आने पर डेरों में उत्सव जैसा माहौल बन जाता है।