
करनाल में घरेलू कलह के बाद आत्महत्या: स्कूल से लौटकर हुई कहासुनी, फिर खुदकुशी; उत्तराखंड के युवक की दर्दनाक कहानी
The Airnews | करनाल | रिपोर्टर: Yash
हरियाणा के करनाल जिले के सदर बाजार क्षेत्र स्थित जनकपुरी कॉलोनी में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां उत्तराखंड निवासी एक युवक ने शुक्रवार सुबह घरेलू झगड़े के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान दुर्गेश उर्फ देव (30) के रूप में हुई है, जो मूल रूप से उत्तराखंड के ज्वालापुर का रहने वाला था और पिछले चार से पांच साल से करनाल में अपने परिवार के साथ रह रहा था।
घटना के बाद पूरे इलाके में शोक की लहर फैल गई है। पड़ोसी, परिजन और स्थानीय लोग इस आत्मघाती कदम से स्तब्ध हैं। मृतक का शांत और मिलनसार स्वभाव, उसकी जिम्मेदारियों को निभाने की कोशिशें, और एक पिता के रूप में उसका कर्तव्यबोध – सबकुछ अचानक थम गया, जब मानसिक तनाव और घरेलू कलह ने उसकी जिंदगी छीन ली।
बच्चों को स्कूल छोड़कर लौटे थे, फिर हुआ झगड़ा
शुक्रवार सुबह लगभग साढ़े 8 बजे दुर्गेश अपने दोनों बच्चों को स्कूल छोड़ने के बाद घर लौटे थे। इसके बाद उनकी पत्नी से किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। यह झगड़ा इतना गंभीर नहीं माना जा रहा था, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि लंबे समय से चले आ रहे तनाव और रिश्तों में खटास ने स्थिति को भयावह बना दिया।
झगड़े के दौरान दुर्गेश ने पत्नी से कहा कि वह जान दे देगा, जिस पर पत्नी ने प्रतिक्रिया दी, “तुम तो हमेशा यही कहते हो।” इसके बाद वह गुस्से में घर से बाहर चली गई। शायद वह सोच भी नहीं पाई थी कि यह झगड़ा अब अंतिम साबित होगा। उसके जाते ही दुर्गेश ने गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली।
बंद दरवाजा और भयावह मंजर
पत्नी जब कुछ समय बाद वापस लौटी, तो दरवाजा अंदर से बंद मिला। आवाजें देने और खटखटाने पर कोई जवाब नहीं मिला। दरवाजा जबरन खुलवाया गया, तो भीतर का दृश्य देखकर वह चीख पड़ी। दुर्गेश पंखे से फंदा लगाकर झूल रहा था। उसकी मौत हो चुकी थी। महिला की चीख-पुकार सुनकर पड़ोसी एकत्रित हो गए और तुरंत पुलिस को सूचना दी गई।
पुलिस और एफएसएल टीम मौके पर पहुंची
घटना की सूचना मिलते ही सिटी थाना पुलिस और एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी) टीम मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव को फंदे से उतारा और पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। सिटी थाना के एएसआई सतीश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि मृतक की पहचान उत्तराखंड के निवासी दुर्गेश के रूप में हुई है। आत्महत्या के कारणों की विस्तृत जांच की जा रही है और परिजनों को सूचित कर दिया गया है।
शांत स्वभाव का था युवक, झगड़ों से था मानसिक तनाव
स्थानीय निवासी कृष्ण और अन्य पड़ोसियों के अनुसार, दुर्गेश बेहद शांत स्वभाव का व्यक्ति था। वह किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं करता था और सभी से मिलनसार व्यवहार रखता था। पति-पत्नी के बीच झगड़े जरूर होते थे, लेकिन उसने कभी किसी से अपनी पीड़ा साझा नहीं की।
पड़ोसियों ने बताया कि वह सुबह बच्चों को छोड़ने जाता था, शाम को काम से लौटने के बाद परिवार के साथ समय बिताता था। लेकिन पिछले कुछ समय से उसके व्यवहार में बदलाव देखा जा रहा था। वह चुपचाप रहने लगा था और चेहरे पर तनाव साफ दिखता था।
पारिवारिक झगड़े की कीमत जिंदगी से चुकाई
मृतक के चाचा टिंकू ने मीडिया को बताया कि उन्हें ज्वालापुर से फोन आया था कि दुर्गेश ने फांसी लगा ली है। वे तुरंत करनाल पहुंचे और वहां पहुंचकर पूरी घटना की जानकारी ली। चाचा के अनुसार, दुर्गेश और उसकी पत्नी के बीच अक्सर तकरार होती थी, लेकिन किसी ने नहीं सोचा था कि वह आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठा लेगा।
टिंकू ने बताया, “वह हमेशा अपने बच्चों की पढ़ाई और भविष्य को लेकर चिंतित रहता था। उसने कभी किसी को आर्थिक या मानसिक परेशानी के बारे में नहीं बताया, लेकिन अब लगता है कि भीतर ही भीतर वह बहुत कुछ झेल रहा था।”
सामाजिक जिम्मेदारी और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी
यह घटना समाज के लिए एक गंभीर प्रश्न खड़ा करती है – क्या हम अपने आसपास के लोगों के मानसिक तनाव को पहचानते हैं? क्या हम घरेलू कलह को केवल सामान्य मानकर अनदेखा कर देते हैं? दुर्गेश जैसे व्यक्ति, जो बाहर से सामान्य दिखते हैं, अंदर से कितने टूट चुके होते हैं – इसका अंदाजा तब लगता है जब वह अंतिम निर्णय ले लेते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, परिवार में तनाव, आर्थिक दबाव, और भावनात्मक उपेक्षा आत्महत्या जैसे कदमों की ओर ले जा सकती है। यह बेहद जरूरी है कि ऐसे लक्षणों को समय रहते पहचाना जाए और उचित सलाह व परामर्श लिया जाए।
पुलिस की जांच और आगे की कार्रवाई
सिटी थाना पुलिस ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी पहलुओं की जांच शुरू कर दी है। एएसआई सतीश कुमार ने बताया कि आत्महत्या के पीछे के कारणों की गहराई से जांच की जा रही है। अभी तक परिजनों की ओर से कोई शिकायत नहीं दी गई है, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पारिवारिक पक्षों के बयान के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बच्चों का भविष्य और पारिवारिक स्तिथि
घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल उठता है – इन मासूम बच्चों का क्या जो सुबह अपने पिता के साथ स्कूल गए थे, और लौटने पर उनका साया सिर से उठ चुका था। ये बच्चे अब किस मानसिक स्थिति से गुजरेंगे? यह घटना ना केवल एक जीवन की समाप्ति है, बल्कि एक पूरे परिवार की संरचना को झकझोर देने वाली है।
परिवार की महिला अब खुद को दोषी मानकर टूट चुकी है। पड़ोसियों का कहना है कि महिला भी पिछले कुछ महीनों से मानसिक रूप से परेशान चल रही थी, और दोनों के बीच समझ की कमी लगातार बढ़ रही थी।