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Saturday, November 8, 2025

करनाल में महिला रेप केस में आया नया मोड़: आढ़ती पर टॉर्चर और पुलिस से मिलीभगत के गंभीर आरोप, पीड़िता ने जताया जान का खतरा

 

 

करनाल में महिला रेप केस में आया नया मोड़: आढ़ती पर टॉर्चर और पुलिस से मिलीभगत के गंभीर आरोप, पीड़िता ने जताया जान का खतरा

The Airnews | करनाल | 9 अप्रैल 2025

करनाल जिले के घरौंडा क्षेत्र में एक महिला द्वारा लगाए गए रेप, ब्लैकमेलिंग, धमकी, और मारपीट जैसे गंभीर आरोपों ने पुलिस प्रशासन और समाज दोनों को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले ने उस समय एक नया मोड़ ले लिया जब पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक (SP) से मिलकर आढ़ती द्वारा की जा रही प्रताड़ना और पुलिस से मिलीभगत के आरोप लगाए।

महिला की शिकायत: एक सामाजिक और कानूनी त्रासदी

पीड़ित महिला ने जो कहानी बयां की है, वह न केवल एक महिला के साथ किए गए अत्याचार की दुखद तस्वीर है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि किस प्रकार से सत्ता, प्रभाव और पुलिसिया ढील के चलते आरोपी खुलेआम घूम रहा है। महिला ने पुलिस अधीक्षक को दी अपनी शिकायत में विस्तार से बताया कि कैसे एक मंडी के आढ़ती ने उसे शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया।

महिला का आरोप है कि आरोपी उसे होटल में ले जाकर शराब पिलाता था और फिर कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करवाता था। उसने उसे भरोसा दिलाया था कि वह उसकी जिम्मेदारी उठाएगा और हमेशा साथ रखेगा। इस झूठे वादे के कारण महिला अपने घरवालों से भी कट गई। लेकिन जब उसका पति भी उसे घर से निकाल देता है, तब उसकी असल मुश्किलें शुरू होती हैं।

पुराने केस का उल्लेख: पुलिसिया मिलीभगत?

महिला के अनुसार, उसने 28 दिसंबर 2024 को महिला थाना करनाल में आरोपी के खिलाफ रेप, मारपीट और मोबाइल छीनने का केस दर्ज करवाया था (FIR नं. 0085)। लेकिन जब उसे महिला थाने बुलाया गया तो उस पर दबाव डाला गया कि वह आरोपी के साथ समझौता करे या लिव-इन रिलेशनशिप को स्वीकार कर ले। जब उसने ऐसा करने से इनकार किया तो उसके केस में कोई कार्रवाई नहीं हुई। महिला को शक है कि आरोपी ने महिला थाना पुलिस के साथ साठगांठ करके केस को रद्द करवा दिया।

16 फरवरी की घटना: जान से मारने की धमकी

महिला ने अपनी शिकायत में लिखा कि 16 फरवरी को आरोपी ने उसे बार-बार फोन कर के घर के नीचे बुलाया। जब वह नहीं आई तो आरोपी ने धमकी दी कि वह उसे सीढ़ियों से घसीटकर नीचे लाएगा और जबरन गाड़ी में बैठाकर ले जाएगा। जब महिला अपने दूसरे दरवाजे से बाहर आई तो आरोपी वहीं खड़ा था और उसने उसके साथ मारपीट की। सौभाग्यवश उस समय महिला का पति और बेटा वहां से गुजर रहे थे। आरोपी ने उनके साथ भी गाली-गलौच की।

पारिवारिक टूटन और सामाजिक बहिष्कार

यह मामला केवल शारीरिक हिंसा का ही नहीं, बल्कि मानसिक प्रताड़ना और सामाजिक बहिष्कार का भी है। महिला का कहना है कि 2021 में ही आरोपी ने उसके बेटे को धमकाया था, जिसके कारण वह अपने पिता के पास रहने लगा और महिला पिछले तीन सालों से अकेली रह रही है। अब जब उसका पति भी उसे घर से निकाल चुका है, तो वह पूरी तरह से असहाय हो गई है।

सड़क पर हंगामा और सामाजिक डर

एक और गंभीर आरोप में महिला ने बताया कि आरोपी ने एक बार सड़क पर लोगों के बीच हंगामा किया, सड़क तोड़ दी और मजदूरों पर गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की। इस घटना का वीडियो भी लोगों ने बनाया और गाड़ी का नंबर नोट किया। इसके बाद आरोपी ने धमकी दी कि वह पहले ही केस कैंसिल करवा चुका है, और अब अगर महिला ने शिकायत या मीडिया से बात की तो वह उसे और उसकी बेटी को जान से मार देगा।

मीडिया के सामने दर्द बयां करती महिला

मीडिया से बातचीत में महिला ने साफ-साफ कहा कि आरोपी ने उसे बार-बार झूठे वादे किए और अब वह उसे टॉर्चर कर रहा है। साथ ही, उसके घरवाले भी अब उसे बदनामी के डर से घर में घुसने नहीं दे रहे हैं। महिला का कहना है कि वह कहीं की नहीं रही – न घर की, न समाज की। अब उसका सहारा केवल न्याय है।

आरोपी की गिरफ्तारी की मांग और जान का खतरा

महिला ने साफ तौर पर कहा है कि अगर भविष्य में उसे, उसकी बेटी या बहन को कोई नुकसान होता है, तो इसका जिम्मेदार वही आरोपी आढ़ती होगा। उसने पुलिस और प्रशासन से अपील की है कि आरोपी को तुरंत गिरफ्तार किया जाए और उसे न्याय दिलाया जाए।

पुलिस की कार्रवाई और केस की स्थिति

घरौंडा थाना के एसआई सुदर्शन ने जानकारी दी कि महिला की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ BNS की धारा 115, 351(3), और 296 के तहत केस दर्ज किया गया है। यह मामला 25 मार्च को दर्ज हुआ और 2 अप्रैल को आरोपी को जांच में शामिल किया गया। आरोपी को कच्ची जमानत पर छोड़ दिया गया है और कोर्ट में जल्द ही चालान पेश किया जाएगा। आगे की कार्रवाई अब कोर्ट के अधीन है।

सामाजिक प्रश्न: कब तक सहती रहेंगी महिलाएं?

यह मामला केवल एक महिला का नहीं, बल्कि एक ऐसे समाज का आईना है जहां सत्ता और पैसे के प्रभाव में कानून की पकड़ ढीली हो जाती है। पीड़िता आज भी अकेली है, डरी हुई है और उसे अपने तथा अपने बच्चों के लिए जान का खतरा है। सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थिति में एक आम महिला कहां जाए? क्या पुलिस, जो उसकी रक्षक होनी चाहिए, वह भी सत्ता और पैसे के सामने झुक गई है?

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