
स्रोत: The Airnews
संपादन: Yash, The Airnews
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले की जेल एक बार फिर चर्चा में है, इस बार वजह है जेल के अंदर से रची गई वसूली की साजिश। मोबाइल कारोबारी आशीष गोयल से रंगदारी मांगने की यह योजना एक शातिर अपराधी दिलबाग उर्फ बाग्गा ने जेल के भीतर बैठकर बनाई थी। इस योजना को अंजाम देने के लिए उसने अपने दो साथियों – मित्रपाल उर्फ काली और अंकित – को बाहर भेजा और मोबाइल फोन के जरिये धमकी दिलवाकर हर महीने 1 लाख रुपये की मांग की गई।
यह मामला न केवल कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोलता है। जेल में बंद कैदियों के पास मोबाइल फोन पहुंचना, गैंगस्टर के इशारे पर बाहर वसूली होना और उसका पूरा नेटवर्क जेल के अंदर से ऑपरेट करना – ये सारी बातें बेहद गंभीर हैं और प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं।
पूरा मामला: जेल में तैयार हुआ वसूली का खाका
सूत्रों के अनुसार, दिलबाग उर्फ बाग्गा, जो कि कोल्ड ड्रिंक कारोबारी अमित बंसल के मर्डर केस में जेल में बंद है, ने अपने दो साथी कैदियों से संपर्क साधा – मित्रपाल उर्फ काली (जाजनपुर, कैथल निवासी) और अंकित कुमार (अरनैचा निवासी)। दिलबाग की काली से जान-पहचान पुरानी थी, जो पिहोवा के मॉडल टाउन में 2017 में हुई सुरिंद्र उर्फ पारस की हत्या की कोशिश के केस में उम्रकैद की सजा काट रहा था और हाल ही में बेल पर बाहर आया था।
इसी तरह अंकित, जो लड़ाई-झगड़े के मामले में जेल में बंद था, की भी दिलबाग से मुलाकात जेल में हुई। बाग्गा ने दोनों को बाहर जाकर आशीष गोयल नामक मोबाइल कारोबारी से फिरौती मांगने के लिए भेजा। उसने कहा कि “मेरा नाम चलता है, बाहर जाकर वसूली करो।”
बाग्गा ने ये साफ कर दिया था कि जेल में रहना महंगा है, खर्चे पूरे करने के लिए पैसे की जरूरत है, और इसके लिए हर महीने 1 लाख रुपये आशीष से वसूलने होंगे। इसके बाद दोनों आरोपी दुकान पर पहुंचे और बाग्गा से मोबाइल पर आशीष की बात करवाई, ताकि रंगदारी की धमकी दी जा सके।

कुरुक्षेत्र जेल में कारोबारी से वसूली का प्लान: जेल में बंद गैंगस्टर ने रंगदारी के लिए दिया था आदेश, हर महीने 1 लाख रुपये की मांग
स्रोत: The Airnews
संपादन: Yash, The Airnews
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले की जेल एक बार फिर चर्चा में है, इस बार वजह है जेल के अंदर से रची गई वसूली की साजिश। मोबाइल कारोबारी आशीष गोयल से रंगदारी मांगने की यह योजना एक शातिर अपराधी दिलबाग उर्फ बाग्गा ने जेल के भीतर बैठकर बनाई थी। इस योजना को अंजाम देने के लिए उसने अपने दो साथियों – मित्रपाल उर्फ काली और अंकित – को बाहर भेजा और मोबाइल फोन के जरिये धमकी दिलवाकर हर महीने 1 लाख रुपये की मांग की गई।
यह मामला न केवल कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोलता है। जेल में बंद कैदियों के पास मोबाइल फोन पहुंचना, गैंगस्टर के इशारे पर बाहर वसूली होना और उसका पूरा नेटवर्क जेल के अंदर से ऑपरेट करना – ये सारी बातें बेहद गंभीर हैं और प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं।
पूरा मामला: जेल में तैयार हुआ वसूली का खाका
सूत्रों के अनुसार, दिलबाग उर्फ बाग्गा, जो कि कोल्ड ड्रिंक कारोबारी अमित बंसल के मर्डर केस में जेल में बंद है, ने अपने दो साथी कैदियों से संपर्क साधा – मित्रपाल उर्फ काली (जाजनपुर, कैथल निवासी) और अंकित कुमार (अरनैचा निवासी)। दिलबाग की काली से जान-पहचान पुरानी थी, जो पिहोवा के मॉडल टाउन में 2017 में हुई सुरिंद्र उर्फ पारस की हत्या की कोशिश के केस में उम्रकैद की सजा काट रहा था और हाल ही में बेल पर बाहर आया था।
इसी तरह अंकित, जो लड़ाई-झगड़े के मामले में जेल में बंद था, की भी दिलबाग से मुलाकात जेल में हुई। बाग्गा ने दोनों को बाहर जाकर आशीष गोयल नामक मोबाइल कारोबारी से फिरौती मांगने के लिए भेजा। उसने कहा कि “मेरा नाम चलता है, बाहर जाकर वसूली करो।”
बाग्गा ने ये साफ कर दिया था कि जेल में रहना महंगा है, खर्चे पूरे करने के लिए पैसे की जरूरत है, और इसके लिए हर महीने 1 लाख रुपये आशीष से वसूलने होंगे। इसके बाद दोनों आरोपी दुकान पर पहुंचे और बाग्गा से मोबाइल पर आशीष की बात करवाई, ताकि रंगदारी की धमकी दी जा सके।
कैसे हुआ खुलासा?
इस पूरे मामले की भनक जब पुलिस को लगी तो CIA-2 की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों – काली और अंकित – को गिरफ्तार किया और पांच दिन के रिमांड पर लिया। पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि यह सब प्लान जेल में बंद बाग्गा ने बनाया था। उन्होंने बताया कि बाग्गा ने ही उन्हें आशीष से संपर्क करने को कहा था।
CIA-2 के इंचार्ज मोहन लाल ने बताया कि पुलिस ने 1 अप्रैल को जेल में रेड कर बाग्गा के पास से मोबाइल फोन बरामद कर लिया है। अब कॉल डिटेल्स की जांच की जा रही है, ताकि यह पता चल सके कि बाग्गा किन-किन लोगों से संपर्क में था और कितने लोगों से उसने वसूली की कोशिश की। काली और अंकित के पास से भी मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।
प्रोडक्शन वारंट पर होगी बाग्गा की गिरफ्तारी
पुलिस अब बाग्गा को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर गिरफ्तार करने की तैयारी कर रही है। उसके खिलाफ रंगदारी की साजिश रचने, धमकी देने, और जेल से आपराधिक गतिविधियों को संचालित करने के आरोप में केस दर्ज किया जाएगा। जेल में बाग्गा तक मोबाइल फोन कैसे पहुंचा, इसकी जांच भी गहनता से की जा रही है।
मोबाइल फोन का जेल में होना गंभीर लापरवाही का संकेत है। यह सवाल उठता है कि जेल के अंदर इतनी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद मोबाइल फोन कैसे और किसकी मिलीभगत से कैदी तक पहुंचा? क्या जेल कर्मचारी इस साजिश में शामिल हैं? या फिर यह एक बड़ी आपराधिक लॉबी का हिस्सा है?
जेल में बंद अपराधियों की आपराधिक नेटवर्किंग
यह कोई पहला मामला नहीं है जब जेल से अपराध संचालित किए गए हों। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तर भारत के कई राज्यों में यह देखा गया है कि संगठित गैंगस्टर्स जेल से ही वसूली, सुपारी किलिंग और नशा तस्करी जैसे अपराध चला रहे हैं। जेलें अब ‘सुरक्षित ठिकाना’ बनती जा रही हैं, जहां से अपराधियों को बाहर से ज्यादा डर नहीं रहता।
बाग्गा का यह मामला भी इसी तरह की योजना का हिस्सा है, जिसमें जेल में बैठा अपराधी अपनी धमक और संपर्कों के बल पर व्यापारियों से पैसे वसूलना चाहता है।
रंगदारी के लिए चुना गया कारोबारी क्यों था निशाने पर?
आशीष गोयल, जो कुरुक्षेत्र की नवदीप मार्केट में मोबाइल की दुकान चलाते हैं, पहले भी बाग्गा के निशाने पर आ चुके हैं। अमित बंसल की हत्या से पहले भी बाग्गा ने आशीष से रंगदारी की मांग की थी। इसलिए बाग्गा को लगा कि वह दोबारा उसे धमकाकर पैसे वसूल सकता है।
यहां यह भी ध्यान देने वाली बात है कि ऐसे कारोबारी, जो पहले धमकी झेल चुके हैं, अक्सर डर के कारण पुलिस में शिकायत नहीं करते। लेकिन इस बार पुलिस की सजगता और खुफिया सूचना के आधार पर पूरा प्लान नाकाम हो गया।
प्रशासन के लिए चेतावनी
यह मामला हरियाणा की जेल प्रणाली के लिए एक चेतावनी है। यह साफ हो गया है कि अपराधी जेल में भी अपने नेटवर्क और धमकी के बल पर कारोबारियों को टारगेट कर रहे हैं। यदि जेल प्रशासन ने अब भी कड़े कदम नहीं उठाए, तो यह समस्या और गहराएगी।
आवश्यक है कि:
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सभी जेलों में मोबाइल जैमर की सख्ती से निगरानी हो।
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जेल स्टाफ की नियमित रूप से जांच हो, ताकि कोई अंदरूनी सांठगांठ न हो।
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हाई-प्रोफाइल कैदियों की गतिविधियों की 24×7 मॉनिटरिंग हो।
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जेलों में CCTV सिस्टम को अपडेट किया जाए और उनकी नियमित ऑडिट हो।