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Saturday, November 8, 2025

कैथल में 38 प्राइवेट स्कूलों को नोटिस: आदेशों के बाद भी नहीं ले रहे मान्यता, विभागीय कार्रवाई की तैयारी में प्रशासन

कैथल में 38 प्राइवेट स्कूलों को नोटिस: आदेशों के बाद भी नहीं ले रहे मान्यता, विभागीय कार्रवाई की तैयारी में प्रशासन

हरियाणा के कैथल जिले में शिक्षा विभाग ने 38 प्राइवेट स्कूलों को नोटिस जारी किए हैं क्योंकि ये स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं। यह कार्रवाई उन स्कूलों के खिलाफ की गई है जिन्होंने 2025-26 सत्र के लिए अपनी मान्यता को रिन्यू करवाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इन स्कूलों को आदेश दिए हैं कि वे अपनी मान्यता जल्द से जल्द रिन्यू करवा लें, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

नोटिस का जारी होना: प्रशासन का सख्त कदम

कैथल जिले में शिक्षा विभाग ने एक अप्रैल से इन 38 प्राइवेट स्कूलों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू की थी। इन स्कूलों को ये नोटिस इस संदर्भ में भेजे गए थे कि वे अपनी मान्यता रिन्यू करवाने के लिए संबंधित प्रक्रियाओं को पूरा करें। विभाग ने इन स्कूलों को समय-समय पर सूचित किया था कि वे अपनी मान्यता रिन्यू करवा लें, लेकिन अब तक किसी भी स्कूल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

मान्यता रिन्यू न करने पर स्कूलों पर हो सकती है कार्रवाई

इन 38 स्कूलों को शिक्षा विभाग ने एक चेतावनी दी है कि अगर वे अपनी मान्यता को रिन्यू करने के लिए कोई कदम नहीं उठाते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस कार्रवाई में स्कूलों का संचालन बंद करने का कदम भी शामिल हो सकता है। मार्च महीने के अंत में, जिला प्रशासन द्वारा इन स्कूलों की सूची जारी की गई थी, जो अपने सत्र 2025-26 के लिए मान्यता रिन्यू करवाने में नाकाम रहे थे। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि अगर ये स्कूल अपनी मान्यता रिन्यू नहीं कराते तो उन पर ताला भी जड़ दिया जाएगा।

शिक्षा विभाग का कड़ा रुख

शिक्षा विभाग ने इन स्कूलों को तीन से चार बार नोटिस भेजे हैं, लेकिन इन स्कूलों की तरफ से अब तक कोई उचित कदम नहीं उठाए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी रामदिया गागट ने कहा कि विभाग ने इन स्कूलों को समय सीमा के भीतर अपनी मान्यता रिन्यू करने के लिए सूचित किया था, लेकिन अब तक इन स्कूलों ने ना तो मान्यता रिन्यू करने के लिए आवेदन किया है और ना ही इस बारे में कोई प्रतिक्रिया दी है। ऐसे में अब विभागीय कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

सम्बंधित आदेशों का उल्लंघन

शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ये स्कूल, बिना मान्यता के चलकर सरकारी आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं। राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी प्राइवेट स्कूलों को हर वर्ष अपनी मान्यता रिन्यू करानी होती है। अगर ये स्कूल अपनी मान्यता रिन्यू करने में नाकाम रहते हैं, तो यह उनके शिक्षा संचालन के लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है।

प्रशासनिक उपाय और भविष्य की कार्रवाई

शहर के प्राइवेट स्कूलों के लिए यह चेतावनी कड़ी हो सकती है, क्योंकि अगर मान्यता रिन्यू नहीं की गई तो ये स्कूल लंबे समय तक संचालन करने के योग्य नहीं रहेंगे। प्रशासन ने पहले ही अपने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह ऐसे स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें, जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके लिए विभाग ने स्कूलों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है।

जिला शिक्षा अधिकारी का बयान

जिला शिक्षा अधिकारी रामदिया गागट ने स्पष्ट रूप से कहा कि इन स्कूलों को नोटिस दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिन स्कूलों ने अपना मान्यता रिन्यू करवा लिया है, उनका संचालन जारी रहेगा, लेकिन जो स्कूल बिना अनुमति के चल रहे हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

प्राइवेट स्कूलों के लिए चुनौती

ये घटनाक्रम प्राइवेट स्कूलों के लिए एक चेतावनी के रूप में सामने आया है। प्राइवेट स्कूलों को अपनी मान्यता समय पर रिन्यू करवानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े। इस मामले में शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई दिखाती है कि हरियाणा राज्य में शिक्षा के मानकों को बनाए रखने के लिए प्रशासन कितना गंभीर है।

आगे की कार्रवाई और ध्यान केंद्रित करना

जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य अधिकारियों ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले पर प्रशासन पूरी तरह से नजर बनाए रखेगा। अगर कोई स्कूल आदेशों का पालन नहीं करता है तो उन्हें कानूनी रूप से दंडित किया जाएगा। प्रशासन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी स्कूलों का संचालन मान्यता प्राप्त हो और वे बच्चों को गुणवत्ता शिक्षा प्रदान कर सकें।

समाज और छात्रों पर प्रभाव

इन स्कूलों के संचालन को लेकर जब प्रशासन गंभीर कदम उठाएगा, तो इसका समाज और छात्रों पर भी प्रभाव पड़ेगा। यदि स्कूलों को बंद किया जाता है, तो छात्रों की पढ़ाई में व्यवधान आ सकता है। इसके कारण माता-पिता को भी अपने बच्चों के लिए अन्य शिक्षा संस्थानों की तलाश करनी पड़ेगी, जो निश्चित रूप से उनके लिए चुनौतीपूर्ण होगा। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को इस मामले में सटीक योजना बनानी होगी।

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