कैथल में अपराधी ने कोर्ट में किया सरेंडर: भरी पंचायत में सरपंच के भाई पर गोली चलाई थी, विवाद सुलझाने गया था
( Sahil Kasoon ) कैथल में एक जानलेवा हमले के आरोपी ने आखिरकार अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना तब हुई जब आरोपी ने एक पंचायत के दौरान विवाद सुलझाने गए सरपंच के भाई पर गोली चला दी थी। घटना के बाद से ही वह फरार था और पुलिस लगातार उसकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही थी। आखिरकार, बढ़ते पुलिस दबाव के कारण आरोपी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। गांव मंडवाल निवासी भूपेंद्र सिंह की शिकायत के अनुसार, 3 सितंबर को गांव के जश्न और गोगा के बीच झगड़ा हो गया था। विवाद को सुलझाने के लिए गांव में पंचायत बुलाई गई थी। इस दौरान गांव का मौजूदा सरपंच तरसेम किसी अन्य काम से बाहर गया हुआ था। इसलिए पंचायत में उसके भाई जरनैल और भूपेंद्र सिंह शामिल हुए थे।
जब पंचायत में विवाद सुलझाने की कोशिश की जा रही थी, तभी गांव के ही भूपेंद्र उर्फ चौनी ने पंचायत के फैसले को मानने से इनकार कर दिया। उसने गुस्से में आकर कहा कि वह किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं है। इसके बाद उसने अपनी जेब से देसी कट्टा (पिस्तौल) निकाला और बिना किसी चेतावनी के जरनैल पर गोली चला दी। गोली जरनैल की दाहिनी जांघ में लगी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
हमले के बाद गांव में अफरातफरी
गोली चलने के बाद पंचायत में अफरातफरी मच गई। इसी दौरान अन्य आरोपी लाठी-डंडों और कुल्हाड़ी से लैस होकर वहां पहुंचे और पंचायत में मौजूद लोगों पर हमला कर दिया।
जब गांव के अन्य लोग मौके पर पहुंचे तो आरोपी उन्हें जान से मारने की धमकी देते हुए फरार हो गए। इस घटना के बाद पूरे गांव में दहशत का माहौल बन गया था। ग्रामीणों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी और जरनैल को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।
पुलिस की जांच और कार्रवाई
इस मामले में राजौंद थाना में एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने तुरंत मामले की जांच शुरू की और आरोपियों को पकड़ने के लिए लगातार दबिश देने लगी।
- दो आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका था।
- मुख्य आरोपी जनक सिंह फरार था और पुलिस उसके ठिकानों पर लगातार छापेमारी कर रही थी।
- गांव वालों ने भी आरोपी की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को सहयोग दिया।
आखिरकार, जब आरोपी को लगा कि अब उसका बचना मुश्किल है, तो उसने कोर्ट में सरेंडर करने का फैसला किया।
कोर्ट में सरेंडर और न्यायिक हिरासत
सरेंडर करने के बाद आरोपी को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस अब इस मामले से जुड़े अन्य तथ्यों की भी जांच कर रही है।
पंचायत में गोलीकांड के पीछे की वजहें
गांवों में अक्सर झगड़ों को सुलझाने के लिए पंचायतें बुलाई जाती हैं। यह घटना भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा थी, लेकिन आपसी दुश्मनी और आक्रोश के कारण मामला हिंसक हो गया। इसके पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
- पुरानी रंजिश: आरोपी और पीड़ित परिवार के बीच पहले से कोई दुश्मनी हो सकती है।
- अहम की लड़ाई: ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों के फैसले को मानने या न मानने का विषय अहम का बड़ा कारण बन सकता है।
- गुंडागर्दी और दबंगई: कुछ लोग अपनी दबंगई को बनाए रखने के लिए पंचायतों के फैसलों को नहीं मानते और हिंसा का सहारा लेते हैं।
- कानूनी जागरूकता की कमी: कई बार लोग यह नहीं समझ पाते कि इस तरह की हिंसा उनके लिए कानूनी रूप से गंभीर परिणाम ला सकती है।
इस घटना का सामाजिक प्रभाव
इस घटना ने पूरे गांव में डर और असुरक्षा का माहौल बना दिया। ग्रामीणों का कहना है कि अब वे किसी भी पंचायत में जाने से पहले डर महसूस करेंगे। इस तरह की घटनाएं समाज में भय का वातावरण बनाती हैं और लोगों के बीच आपसी विश्वास को कमजोर करती हैं।
पुलिस की भूमिका और आगे की जांच
पुलिस इस मामले में अभी भी जांच कर रही है। आगे की कार्रवाई में:
- आरोपी के अन्य साथियों की तलाश जारी है।
- पुलिस यह भी जांच कर रही है कि हमले की योजना पहले से बनाई गई थी या नहीं।
- पंचायत में शामिल अन्य लोगों से पूछताछ की जा रही है कि कहीं यह हमला सुनियोजित साजिश तो नहीं थी।
सरकार और प्रशासन को क्या करना चाहिए?
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार और प्रशासन को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे:
- गांवों में कानून व्यवस्था को मजबूत किया जाए।
- पंचायतों में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस की मौजूदगी सुनिश्चित की जाए।
- अवैध हथियारों की तस्करी पर सख्त नियंत्रण लगाया जाए।
- गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को कानून का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए।