
क्लास रूम में मोबाइल बैन: हरियाणा शिक्षा विभाग का बड़ा फैसला, शिक्षकों को मोबाइल स्टाफ रूम में जमा करना होगा
The Airnews | रिपोर्टर: Yash
भूमिका: शिक्षकों की जिम्मेदारी और तकनीकी हस्तक्षेप
हरियाणा के जींद जिले में शिक्षा व्यवस्था को और अधिक अनुशासित और प्रभावी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। जिला शिक्षा अधिकारी (D.E.O.) कार्यालय की ओर से जारी एक आदेश में शिक्षकों को कक्षा में मोबाइल फोन लेकर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि शिक्षकों का ध्यान केवल पढ़ाई पर केंद्रित हो और विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
पिछले कुछ समय से यह देखा जा रहा था कि कुछ शिक्षक क्लास रूम में मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए पाए जाते हैं। कई बार शिक्षक पढ़ाई के समय भी फोन में व्यस्त रहते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ऐसे में विभाग ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि मोबाइल फोन अब स्टाफ रूम में जमा कराना अनिवार्य होगा।
फैसले का औचित्य: क्यों जरूरी था ये कदम?
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बच्चों की शिक्षा में बाधा:
कक्षा में मोबाइल फोन के उपयोग से छात्रों का ध्यान भटकता है। जब शिक्षक स्वयं मोबाइल में व्यस्त होते हैं, तो विद्यार्थी भी असहज महसूस करते हैं और पढ़ाई से जुड़ाव कम हो जाता है। -
डिजिटल डिस्ट्रैक्शन पर रोक:
आज के दौर में मोबाइल फोन पर सोशल मीडिया, गेम्स और अन्य मनोरंजन ऐप्स का प्रभाव इतना अधिक है कि वह किसी भी व्यक्ति का ध्यान पढ़ाई से भटका सकता है। शिक्षक भी इससे अछूते नहीं हैं। -
बच्चों से बेहतर संवाद:
मोबाइल फोन के अभाव में शिक्षक और विद्यार्थी के बीच संवाद और जुड़ाव बेहतर हो सकता है। इससे बच्चे खुलकर अपनी पढ़ाई से जुड़ी समस्याएं साझा कर सकते हैं।
आदेश का विवरण: क्या-क्या निर्देश दिए गए हैं?
खंड शिक्षा अधिकारी (B.E.O.) द्वारा सभी सरकारी स्कूलों को जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है:
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क्लास रूम में मोबाइल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
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शिक्षक को मोबाइल फोन स्टाफ रूम में जमा कराना अनिवार्य होगा।
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अगर किसी निरीक्षण के दौरान कोई शिक्षक कक्षा में मोबाइल का उपयोग करता हुआ पाया गया, तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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खाली पीरियड के समय शिक्षक को स्टाफ रूम में बैठकर ही डेली डायरी भरनी होगी।
MIS पोर्टल पर टीचर्स डायरी की अनिवार्यता
इसके अलावा शिक्षा विभाग ने एक और अहम निर्देश जारी किया है जो डिजिटल निगरानी से जुड़ा है। अब सभी शिक्षकों को अपनी टीचर्स डायरी हर हाल में MIS पोर्टल पर अपडेट करनी होगी। यह नियम सभी शिक्षकों पर लागू होगा चाहे वे:
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सामान्य ड्यूटी पर हों,
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चुनाव या परीक्षा ड्यूटी में हों,
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प्रशिक्षण/वर्कशॉप में भाग ले रहे हों,
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या किसी भी प्रकार के अवकाश पर हों।
दैनिक या साप्ताहिक आधार पर डायरी लिखना अनिवार्य होगा। शिक्षक द्वारा डायरी सबमिट करने के बाद स्कूल के DDO (ड्रॉइंग एंड डिसबर्सिंग ऑफिसर)/प्रधानाचार्य/प्रभारी द्वारा उस डायरी का सत्यापन MIS पोर्टल पर किया जाएगा।
शिक्षकों की जवाबदेही तय
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी डा. सुभाष वर्मा ने कहा है कि यह स्कूल प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि सभी शिक्षक नियमित रूप से अपनी डायरी पोर्टल पर भरें। यदि किसी कारणवश कोई शिक्षक डायरी नहीं भर पाता तो उसे 15 दिन का समय मिलेगा।
प्रमुख बातें:
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शिक्षकों को अब हर हाल में अपनी गतिविधियां और कक्षा संचालन MIS पोर्टल पर दर्शानी होंगी।
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यह व्यवस्था पारदर्शिता लाने और शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए की गई है।
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इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि शिक्षक सही समय पर और सही तरीके से शिक्षण कार्य कर रहे हैं।
विभागीय कार्रवाई की चेतावनी
जिला शिक्षा विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई शिक्षक इन निर्देशों की अवहेलना करता है, तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई लिखित चेतावनी, वेतन में कटौती, अथवा निलंबन तक हो सकती है।
निरीक्षण के दौरान इन बिंदुओं को देखा जाएगा:
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क्या शिक्षक कक्षा में मोबाइल लेकर आया है?
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क्या डेली डायरी समय पर पोर्टल पर भरी गई है?
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क्या स्टाफ रूम में बैठकर डायरी लिखी जा रही है?
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क्या प्रधानाचार्य डायरी की समीक्षा कर रहे हैं?
शिक्षा क्षेत्र से प्रतिक्रियाएं
कुछ शिक्षकों का पक्ष:
शिक्षकों के एक वर्ग ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा और शिक्षक अधिक अनुशासित होंगे।
कुछ शिक्षकों की आपत्तियां:
हालांकि, कुछ शिक्षकों का कहना है कि मोबाइल फोन कई बार आवश्यक होते हैं, जैसे समय देखने, नोट्स पढ़ने, या छात्र की उपस्थिति दर्ज करने के लिए। ऐसे में पूर्ण प्रतिबंध व्यावहारिक नहीं है।