
खालसा साजना दिवस पर पवित्र यात्रा: कुरुक्षेत्र से 342 श्रद्धालुओं का जत्था रवाना, पाकिस्तान के ऐतिहासिक गुरुद्वारों के होंगे दर्शन
कुरुक्षेत्र | The Airnews | 9 अप्रैल 2025
हरियाणा के पवित्र धार्मिक नगर कुरुक्षेत्र से आज 342 सिख श्रद्धालुओं का एक विशेष जत्था पाकिस्तान के ऐतिहासिक गुरुद्वारा साहिबान के दर्शन के लिए रवाना हुआ। यह यात्रा खालसा साजना दिवस (बैसाखी) के शुभ अवसर पर आयोजित की जा रही है, जिसमें श्रद्धालु 14 अप्रैल को बैसाखी के प्रमुख समागम में शामिल होंगे।
गुरुद्वारा पातशाही 6वीं से शुरू हुआ जत्था
इस धार्मिक यात्रा की शुरुआत गुरुद्वारा पातशाही 6वीं, कुरुक्षेत्र से की गई। श्रद्धालुओं ने यात्रा से पहले विशेष अरदास की। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (HSGMC) के प्रधान जत्थेदार भूपिंदर सिंह असंध और अन्य सदस्य इस मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि यह यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक अनुभूति का माध्यम है बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच धार्मिक संवाद का प्रतीक भी है।
देश विभाजन के बाद दुर्लभ हुए दर्शन अब संभव
जत्थेदार भूपिंदर सिंह ने जानकारी दी कि देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारों के दर्शन करना आम श्रद्धालुओं के लिए लगभग असंभव हो गया था। लेकिन भारत सरकार और पाकिस्तान दूतावास के संयुक्त प्रयासों से अब संगत को यह पवित्र सौभाग्य प्राप्त हो रहा है।
ऐतिहासिक गुरुद्वारों की यात्रा: दिन-प्रतिदिन का कार्यक्रम
जत्था बाघा बॉर्डर से पाकिस्तान में प्रवेश करेगा। वहां से यात्रा के प्रमुख पड़ाव निम्नलिखित होंगे:
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10 अप्रैल: गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब — यह वही स्थान है जहां सिख धर्म के प्रथम गुरु, श्री गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था।
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11 अप्रैल: ननकाना साहिब के स्थानीय गुरुद्वारों के दर्शन।
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12 अप्रैल: गुरुद्वारा सच्चा सौदा, फारूकाबाद — यहां गुरु नानक देव जी ने पहला कारोबार किया था।
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13 अप्रैल: गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब — यह वह स्थान है जहां गुरु नानक देव जी ने एक चमत्कारिक कार्य करते हुए एक विशाल शिला पर पंजा छोड़ा था।
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14 अप्रैल: बैसाखी के अवसर पर खालसा साजना दिवस का मुख्य समागम — संगत इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लेगी।
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15 अप्रैल: गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर — यहीं पर गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे।
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17 अप्रैल: गुरुद्वारा रोडी साहिब, गुजरांवाला और गुरुद्वारा डेहरा साहिब, लाहौर के दर्शन।
HSGMC की ओर से नि:शुल्क सेवा और व्यवस्थाएं
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य हरमनप्रीत सिंह ने बताया कि इस बार SGPC के बजाय HSGMC खुद इस यात्रा की सभी व्यवस्थाएं कर रही है। यात्रियों के लिए कुरुक्षेत्र से बाघा बॉर्डर तक निशुल्क बस सेवा उपलब्ध करवाई गई है।
श्रद्धालुओं की रहने, खाने और सुरक्षा की संपूर्ण व्यवस्था भी कमेटी द्वारा की गई है। इसके अलावा यात्रा के दौरान पाकिस्तान में स्थानीय प्रशासन, भारतीय दूतावास और अन्य संबंधित एजेंसियां श्रद्धालुओं को हर संभव सहयोग दे रही हैं।
श्रद्धालुओं की भावना और उत्साह
342 श्रद्धालुओं का जत्था अत्यधिक उत्साहित है और सभी लोग इसे अपने जीवन का एक विशेष अवसर मान रहे हैं। गुरबाणी का पाठ, कीर्तन, अरदास और संगत के साथ समय बिताना इस यात्रा को और भी पावन बना रहा है।
श्रद्धालु जसविंदर कौर कहती हैं, “मैंने अपने जीवन में पहली बार इस पवित्र भूमि पर जाने का अवसर पाया है, यह हमारे लिए एक सपना सच होने जैसा है।”
धार्मिक सौहार्द और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक
यह यात्रा न केवल धार्मिक महत्व की है बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक व धार्मिक जुड़ाव का भी संदेश देती है। यह सिख समुदाय की उस भावना को भी दर्शाती है जिसमें पूरी दुनिया को एक गुरुद्वारा माना गया है — “ਨਾਨਕ ਨਾਮ ਚੜ੍ਹਦੀ ਕਲਾ, ਤੇਰੇ ਭਾਣੇ ਸਰਬਤ ਦਾ ਭਲਾ।”