रिपोर्टर ( Sahil Kasoon )
हरियाणा के जींद जिले में बिजली निगम के अधीक्षक अभियंता (SE) हरिदत्त को उनके गैर-जिम्मेदाराना रवैये के चलते सस्पेंड कर दिया गया है। यह मामला सिर्फ एक अफसर की लापरवाही का नहीं, बल्कि सिस्टम में मौजूद उस उदासीनता का प्रतीक है, जो आम जनता के विश्वास को लगातार आघात पहुंचा रही है। इस प्रकरण में दो प्रमुख राजनेताओं – शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा और हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर डॉ. कृष्ण मिड्ढा – की नाराजगी और शिकायतों ने निर्णायक भूमिका निभाई।
क्या है पूरा मामला?
शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने एक किसान के खेत में बिजली कनेक्शन को लेकर SE हरिदत्त से संपर्क साधने का प्रयास किया। कई बार कॉल करने के बावजूद जब एसई ने फोन नहीं उठाया और बाद में भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, तो मंत्री जी ने इसे गंभीर माना। वहीं डिप्टी स्पीकर डॉ. मिड्ढा ने भी दो गांवों – अमरहेड़ी और अहिरका – को “जगमग योजना” में जोड़ने के निर्देश दिए थे, लेकिन इस पर भी एसई ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
इन दोनों मामलों में अनदेखी के चलते राज्य सरकार को सीधे दखल देना पड़ा और अंततः ऊर्जा मंत्री अनिल विज ने खुद कार्रवाई के आदेश दिए।
जगमग योजना का संदर्भ
“जगमग योजना” हरियाणा सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अंतर्गत चयनित गांवों को लगातार बिजली उपलब्ध कराई जाती है, ताकि वहां की उत्पादन क्षमता और जीवन स्तर बेहतर हो सके।
डिप्टी स्पीकर ने विशेष रूप से अमरहेड़ी और अहिरका को इस योजना से जोड़ने का निर्देश दिया था। इन गांवों में लंबे समय से ग्रामीणों की मांग थी कि उन्हें भी इस सुविधा का लाभ मिले। जब इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया, तो नाराजगी बढ़ना स्वाभाविक था।
अधिकारियों की जवाबदेही और राजनीतिक हस्तक्षेप
हरियाणा की राजनीति में कई बार देखा गया है कि जनप्रतिनिधि जब किसी जनहित के कार्य के लिए अफसरों को निर्देश देते हैं, तो कई बार अफसरशाही का अड़ियल रवैया काम में देरी का कारण बनता है। यह मामला भी उसी श्रेणी में आता है। जब एक राज्य मंत्री और डिप्टी स्पीकर को भी गंभीरता से नहीं लिया जाए, तो आम नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार होता होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
बिजली मंत्री अनिल विज की सख्ती
चंडीगढ़ में हुई बिजली अधिकारियों की समीक्षा बैठक में अनिल विज को जब यह पूरा मामला विस्तार से बताया गया, तो उन्होंने तुरंत इसे गंभीर माना और सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट किया कि जनप्रतिनिधियों की बातों को नज़रअंदाज़ करने वाले अधिकारी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
उसी शाम दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVNL) के हिसार जोन से SE हरिदत्त के निलंबन के आदेश जारी कर दिए गए। आदेश के अनुसार, निलंबन की अवधि में उन्हें दिल्ली स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय में रिपोर्ट करना होगा।
कर्मचारियों के प्रदर्शन और पुरानी शिकायतें
यह पहली बार नहीं है जब एसई हरिदत्त पर सवाल उठे हैं। बिजली निगम के कई कर्मचारियों ने पहले भी उनके व्यवहार और कार्यशैली को लेकर विरोध प्रदर्शन किए थे। ‘ऑल हरियाणा पावर कॉर्पोरेशन वर्कर यूनियन’ कई बार यह मांग कर चुकी थी कि हरिदत्त जैसे अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो ना तो टीम वर्क में विश्वास करते हैं और ना ही जनसेवा की भावना रखते हैं।
उनके खिलाफ यह भी आरोप हैं कि फाइलें महीनों तक लंबित पड़ी रहती थीं, और उपभोक्ताओं की शिकायतों पर कभी भी समय से सुनवाई नहीं होती थी।
बड़े अफसरों का रवैया और जनता की परेशानी
हरियाणा जैसे राज्य में जहां ग्रामीण विकास और बुनियादी ढांचे को मज़बूती देने की बात की जाती है, वहां अगर एक एसई स्तर का अधिकारी ही योजनाओं को समय से लागू नहीं करता तो वह न सिर्फ विभाग की साख को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि आमजन का सरकारी योजनाओं से भरोसा भी उठने लगता है।
जगमग योजना जैसी योजना को अगर अधिकारी निष्क्रियता की भेंट चढ़ा दें, तो उसका लाभ ग्रामीणों तक नहीं पहुंच पाता। ऐसे में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा बार-बार ‘जन सेवा और पारदर्शिता’ की जो बातें कही जाती हैं, वे धरातल पर नहीं उतर पातीं।
क्या कहता है सस्पेंशन लैटर?
साउथ हरियाणा पावर डिस्ट्रीब्यूशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DHBVNL) द्वारा जारी सस्पेंशन लैटर में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि SE हरिदत्त की ओर से राजनीतिक निर्देशों की अनदेखी की गई है और जनहित के कामों में बाधा पहुंचाई गई है। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सभी अधिकारियों को चेतावनी दी जाती है।