दादा काला पीर डेरे में उठा बवाल: महिलाओं से जबरन डांस, चंदे की रकम और राजनीति ने बढ़ाई चिंता, ग्रामीणों का धरना शुरू
The Airnews | नारनौंद (हिसार)
हरियाणा के हिसार जिले के नारनौंद क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध धार्मिक स्थल दादा काला पीर डेरे को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। कोथ कलां गांव के ग्रामीणों ने डेरे के मौजूदा महंत शुकराई नाथ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए धरने की शुरुआत कर दी है। इस मामले में कई गंभीर आरोप सामने आए हैं, जिनमें महिलाओं से जबरन डांस करवाना, डेरे की संपत्ति और आय का दुरुपयोग, और ग्राम समुदाय में फूट डालने जैसी बातें शामिल हैं।
महंत पर गंभीर आरोप, ग्राम सभा का विरोध प्रस्ताव
कोथ कलां गांव में ग्राम सभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसमें महंत शुकराई नाथ के खिलाफ आवाज उठाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले सात सालों से महंत डेरे की आय और चंदे की रकम का हिसाब नहीं दे रहे हैं। ग्राम सभा ने प्रशासन से मांग की है कि इन सात वर्षों की संपूर्ण ऑडिट करवाई जाए।
महिलाओं से जबरन डांस का आरोप
सबसे गंभीर आरोपों में से एक यह है कि महंत रात के समय बाहर की महिलाओं को डेरे में बुलाते हैं और उनसे जबरन डांस करवाते हैं। यह आचरण न केवल डेरे की धार्मिक परंपराओं के विरुद्ध है, बल्कि सामाजिक मर्यादाओं को भी ठेस पहुंचाता है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह सब महंत की निजी विलासिता और मनोरंजन के लिए किया जाता है।
डेरे की संपत्ति और आय पर सवाल
ग्रामीणों ने कहा कि डेरे के पास कृषि भूमि है, जिससे हर साल अच्छी खासी आय होती है, साथ ही ग्रामीण और अन्य श्रद्धालु भी चंदा देते हैं। लेकिन उस धन का कोई सार्वजनिक लेखा-जोखा नहीं है। महंत पर आरोप है कि वह उस पैसे को अपने ऐश-आराम और राजनीतिक संपर्कों को मजबूत करने में खर्च कर रहे हैं।
गांव में भाईचारा तोड़ने के आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि शुकराई नाथ गांव के भीतर राजनीति कर रहे हैं और ग्रामवासियों में फूट डालने का काम कर रहे हैं। यह आरोप तब और गंभीर हो जाता है जब धार्मिक स्थल पर राजनीति की छाया पड़ती है।
प्रशासन से की गई शिकायतें, नहीं हुई कार्रवाई
ग्रामीणों ने नारनौंद डीएसपी, हांसी एसपी, एसडीएम मोहित महाराणा, डीसी अनीश यादव और यहां तक कि मुख्यमंत्री से भी मुलाकात कर यह शिकायतें दर्ज करवाईं। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं होने के कारण, ग्रामीणों ने अंततः धरने का रास्ता चुना।
धरने में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी
गांव की महिलाएं भी इस आंदोलन में बराबर की भागीदार बन चुकी हैं। उनका कहना है कि धार्मिक स्थलों को पवित्र स्थान माना जाता है, लेकिन जब वहां पर स्त्रियों के सम्मान को ठेस पहुंचे, तो चुप रहना भी पाप है। महिलाओं की मांग है कि जब तक नए महंत की नियुक्ति देशभर के पीरों द्वारा नहीं हो जाती, तब तक प्रशासन डेरे की देखरेख अपने अधीन ले।
ग्राम सभा का प्रस्ताव: नया महंत आठ पीरों की सहमति से
ग्राम सभा द्वारा पारित प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया है कि दादा काला पीर डेरे की परंपरा के अनुसार, नया महंत केवल देशभर के आठ मान्यता प्राप्त पीरों की सहमति से ही नियुक्त किया जा सकता है। लेकिन मौजूदा महंत को केवल केयरटेकर के रूप में नियुक्त किया गया था। अब गांववाले उसे गद्दी पर बैठे महंत के रूप में नहीं मानते।
शुकराई नाथ की नियुक्ति की कहानी
सुरेश कोथ ने बताया कि बाबा शुकराई नाथ को वर्ष 2017 में दादा काला पीर डेरे में केवल देखरेख के लिए बैठाया गया था। उस समय आए महंतों ने कहा था कि यदि ग्रामीण चाहें तो बाद में उन्हें स्थायी रूप से गद्दी पर बैठाया जा सकता है। लेकिन अब सात साल बाद भी, ग्रामीणों की सहमति के बिना शुकराई नाथ खुद को महंत घोषित कर बैठे हैं।
ग्रामीणों की प्रमुख मांगें
- पिछले 7 वर्षों के चंदे और कृषि आय का ऑडिट कराया जाए।
- महिलाओं के शोषण की निष्पक्ष जांच हो।
- डेरे की संपत्ति और बैंक खातों की जांच करवाई जाए।
- देशभर के 8 पीरों की सहमति से ही नया महंत नियुक्त किया जाए।
- जब तक नया महंत नहीं चुना जाता, तब तक प्रशासन डेरे का नियंत्रण अपने हाथ में ले।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया। इससे ग्रामीणों में रोष और अविश्वास का माहौल बना हुआ है।
सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों का उल्लंघन
डेरे की पवित्रता और उसकी परंपराएं हर गांववासी के दिल से जुड़ी होती हैं। जब उन्हीं मूल्यों का अपमान होता है, तो आस्था को ठेस पहुंचती है। ग्रामीणों का कहना है कि धार्मिक स्थलों का राजनीतिकरण, निजी हितों की पूर्ति और महिलाओं का अपमान अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।