
दिल्ली-पानीपत में 20 लग्जरी कारें चुराने वाला गिरफ्तार: दिल्ली पुलिस का कॉन्स्टेबल है मास्टरमाइंड, चोरी के लिए टैब में सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करता था
The Airnews | पानीपत, 13 अप्रैल 2025 | रिपोर्टर: यश
पानीपत पुलिस ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो दिल्ली और पानीपत में 20 लग्जरी कारों की चोरी में शामिल था। यह गिरोह दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल द्वारा चलाया जा रहा था, जिसने अपने साथियों के साथ मिलकर चोरी की वारदातों को अंजाम दिया। आरोपी ने चोरी के लिए एक टैब में सॉफ्टवेयर का उपयोग किया था, जिससे वह कारों को आसानी से स्टार्ट करके ले जा सकते थे।
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी कार चोर
पानीपत पुलिस ने 15 मिनट पहले इस गिरोह के एक आरोपी को गिरफ्तार किया। आरोपी ने पानीपत के 2 और दिल्ली के 18 चोरी की वारदातों का खुलासा किया है। पुलिस की एवीटी सेल प्रभारी सब इंस्पेक्टर रोहताश और उनकी टीम ने सोमवार को सोनीपत के कामी चौक के पास से आरोपी असीम को गिरफ्तार किया। आरोपी का संबंध मेरठ यूपी के किठौर क्षेत्र से है।
पुलिस पूछताछ में खुलासा
प्रारंभिक पूछताछ में असीम ने बताया कि उसने और उसके साथियों ने मिलकर पानीपत के देशवाल चौक से एक हुंडई वेन्यू कार और दिल्ली के विभिन्न स्थानों से 18 कारें चुराई थीं। उसने यह भी कबूल किया कि गिरोह ने 5 फरवरी को मॉडल टाउन स्थित एक घर के बाहर से फॉरच्यूनर कार चोरी की थी।
गिरोह के एक अन्य सदस्य अजय ने इस चोरी में भाग लिया था, और वह दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात है। डीएसपी राजबीर सिंह के अनुसार, पुलिस ने आरोपी असीम को कोर्ट से 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया है।
आरोपी की पिछली पहचान
आसीम ने बताया कि उसने अपने साथी अजय के साथ मिलकर इस गिरोह को स्थापित किया था। दोनों ने मिलकर दिल्ली और पानीपत में चोरी की कई घटनाओं को अंजाम दिया था। दिलचस्प बात यह है कि अजय पहले भी 2024 में दिल्ली पुलिस की एटीएस सेल द्वारा गिरफ्तार हुआ था, लेकिन जेल से बाहर आने के बाद उसने आसीम से संपर्क किया और दोनों ने मिलकर यह चोरी का गिरोह बनाया।
चोरी का तरीका
आरोपी आसीम और उसके साथी चोरी करने के लिए खास तकनीकी तरीकों का इस्तेमाल करते थे। पूछताछ में यह बात सामने आई कि वे अपनी कार चोरी करने के लिए टैबलेट में एक सॉफ्टवेयर का उपयोग करते थे। यह सॉफ्टवेयर उन्हें कार को स्टार्ट करने में मदद करता था। आरोपी और उसके साथी रात के समय में गाड़ी चोरी करने के लिए निकलते थे और कॉलोनियों में या सेक्टरों में खड़ी लग्जरी गाड़ियों को ढूंढते थे। इसके बाद वे गाड़ी के ड्राइवर साइड का शीशा तोड़ते और टैबलेट सॉफ्टवेयर की मदद से गाड़ी को स्टार्ट कर चोरी कर लेते थे।
गाड़ी चोरी के बाद क्या करते थे?
गिरोह के सदस्य चोरी की गई गाड़ियों को पहले कॉलोनियों में छिपाकर रखते थे और बाद में इन गाड़ियों को यूपी के मेरठ निवासी वसीम नामक युवक को बेच देते थे। यह प्रक्रिया काफी सटीक और प्रभावी थी, जिससे पुलिस के लिए इन आरोपियों तक पहुंचना मुश्किल हो गया था।
पुलिस ने क्या कदम उठाए?
पानीपत पुलिस ने इस गिरोह के बारे में जानकारी मिलने के बाद एक त्वरित कार्रवाई की। पुलिस ने पहले गौरव नामक आरोपी को 18 फरवरी को गिरफ्तार किया था, जिसके पास एक देसी पिस्तौल और चोरी की बलेनो कार मिली थी। रिमांड के दौरान, पुलिस ने और भी चोरी की कारें और एक देसी पिस्तौल बरामद की थी। इस गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने आरोपी असीम को गिरफ्तार किया और उसके साथियों के बारे में पता लगाया।
गिरोह का मास्टरमाइंड दिल्ली पुलिस का कॉन्स्टेबल
गिरोह का मास्टरमाइंड अजय नामक आरोपी था, जो दिल्ली पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात था। उसने शार्टकट तरीके से पैसे कमाने के लिए यह गिरोह बनाया। दिल्ली पुलिस का एक सिपाही होने के बावजूद अजय ने चोरी की वारदातों को अंजाम दिया और चोरी की गाड़ियों के संबंध में अपनी पुलिस नौकरी का फायदा उठाया।
गिरोह के अन्य सदस्य
आसीम के साथ-साथ, गिरोह के अन्य सदस्य भी इसमें शामिल थे। इसमें सोनीपत के थारू गांव के अजय, खुबडू गांव के सुदीप धनखड़, और अन्य आरोपियों का नाम सामने आया है। इनमें से कुछ आरोपी अब भी फरार हैं, और पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है।
पुलिस की जांच और कार्रवाई
पानीपत पुलिस के द्वारा किए गए इस ऑपरेशन ने न केवल चोरी के मामलों में पुलिस की सफलता को दिखाया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि चोरी के गिरोहों को पकड़ने के लिए कड़ी और सटीक रणनीति की आवश्यकता है। डीएसपी राजबीर सिंह ने बताया कि पुलिस अब अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है और इनकी संपत्ति की जांच भी की जा रही है।
भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर काबू पाने के लिए कदम
पानीपत पुलिस की यह कार्रवाई यह भी दर्शाती है कि अब पुलिस चोरी और अपराधों से निपटने के लिए नए तकनीकी उपायों का उपयोग कर रही है। पुलिस विभाग इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए अपनी तकनीकी ताकत और रणनीतियों का इस्तेमाल कर रहा है। इसके साथ ही, पुलिस का मानना है कि जनता को भी इस प्रकार के अपराधों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए, ताकि वे खुद ही सतर्क रहें और अपराधियों की पहचान कर सकें।