पानीपत में करंट लगने से छात्र की दर्दनाक मौत: लापरवाही ने छीन ली मासूम जान
The Airnews | पानीपत, 13 अप्रैल 2025 | रिपोर्टर: यश
हरियाणा के पानीपत जिले के बापौली कस्बे में एक बेहद दर्दनाक हादसा सामने आया है, जहां एक 15 वर्षीय स्कूली छात्र की करंट लगने से मौत हो गई। घटना की जड़ में बिजली विभाग की घोर लापरवाही उजागर हुई है। ट्यूबवेल पर लगी आग को बुझाने के दौरान लाइनमैन की कथित लापरवाही ने एक परिवार से उनका बेटा छीन लिया। मृतक की पहचान शोएब के रूप में हुई है, जो सातवीं कक्षा का छात्र था।
हादसे की पृष्ठभूमि:
घटना 12 अप्रैल की शाम करीब 6 बजे की है, जब गांव नांगल खेड़ी में एक खेत में लगे ट्यूबवेल में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई। पास ही रह रहे किसान इंतजार का परिवार, जो मूल रूप से शामली (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला है और पिछले सात वर्षों से पानीपत के इस गांव में रह रहा है, इस ट्यूबवेल के पास स्थित खेत में कार्यरत था।
लाइनमैन को दी गई सूचना
आग लगते ही शोएब के बड़े भाई सुहेल ने तुरंत बिजली निगम के लाइनमैन रामनिवास को कॉल कर लाइन काटने का अनुरोध किया। रामनिवास ने फोन पर ही जवाब दिया कि लाइन काट दी गई है और अब आप लोग आग बुझा सकते हैं। इसी आश्वासन पर भरोसा करते हुए शोएब मौके पर पहुंचा और आग बुझाने की कोशिश में पोल के पास गया।
करंट से झुलसकर मौत
जैसे ही शोएब ने पोल के पास मौजूद एक तार को छुआ, उसे तेज़ झटका लगा और वह वहीं गिर पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बिजली की ताकत ने उसे दूर से खींच लिया। जब तक परिवार और आस-पास के लोग कुछ समझ पाते, शोएब की मौके पर ही मौत हो चुकी थी।
परिवार का दर्द और गुस्सा
शोएब दो भाइयों में छोटा था। बड़ा भाई सुहेल 12वीं कक्षा का छात्र है। हादसे के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पिता इंतजार का कहना है कि बिजली विभाग को समय पर सूचित किया गया था, लेकिन कर्मचारियों ने लापरवाही दिखाई। लाइनमैन द्वारा यह झूठा दावा करना कि लाइन काट दी गई है, सीधी-सी बात है कि यह जानबूझकर की गई घोर लापरवाही है।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
बापौली थाना पुलिस ने मृतक के पिता की शिकायत पर बिजली निगम के कर्मचारी रामनिवास के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 के तहत केस दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहता है BNS की धारा 106?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 के तहत ऐसे मामलों में उन व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है, जिनकी लापरवाही से किसी की जान चली जाती है। यह धारा गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आती है और इसके तहत दोषी को जेल की सज़ा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है।
प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
इस घटना के बाद गांव में आक्रोश की लहर है। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली विभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली के कारण कई बार हादसे हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस बार एक मासूम की जान गई है, ऐसे में केवल कर्मचारी नहीं बल्कि पूरी व्यवस्था को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
सुरक्षा के उपायों की कमी
बिजली से जुड़े कार्यों में सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन अनिवार्य है, लेकिन जमीन पर स्थिति इसके उलट है। ग्रामीण इलाकों में बिजली के खंभे, तारों और ट्रांसफॉर्मरों की स्थिति अक्सर दयनीय होती है। विभागीय उदासीनता के कारण हादसे होते रहते हैं। इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जमीनी स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था केवल कागजों तक सीमित है।
क्या केवल लाइनमैन दोषी है?
यह सवाल अब उठना लाज़मी है कि क्या केवल लाइनमैन रामनिवास ही इस मौत का जिम्मेदार है? क्या उसके वरिष्ठ अधिकारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? अगर लाइन काटे जाने की पुष्टि करने की कोई प्रक्रिया होती या घटनास्थल पर कोई तकनीकी निरीक्षण होता, तो शायद शोएब की जान बच सकती थी।
मृतक परिवार को न्याय कैसे मिलेगा?
अब सवाल यह है कि इंतजार जैसे गरीब किसान को न्याय कैसे मिलेगा? क्या उसे मुआवज़ा मिलेगा? क्या उसके बेटे की मौत को एक उदाहरण बनाकर प्रशासन कुछ ठोस कदम उठाएगा? या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबा रहेगा?