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Saturday, November 8, 2025

भाजपा जिलाध्यक्ष ज्योति सैनी ने जन-जागरण गोष्ठी में रखे ठोस तर्क ?

वन नेशन, वन इलेक्शन: अब राष्ट्रीय आवश्यकता – भाजपा जिलाध्यक्ष ज्योति सैनी ने जन-जागरण गोष्ठी में रखे ठोस तर्क

The Airnews | कैथल | 1 मई 2025

हरियाणा के कैथल जिले में स्थित आर.के.एस.डी. कॉलेज में आज एक महत्वपूर्ण सामाजिक गोष्ठी एवं जन-जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य विषय था “एक राष्ट्र – एक चुनाव” (One Nation, One Election), जिसे लेकर जनमानस में व्यापक चर्चा और जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया।

कार्यक्रम का आयोजन पूर्व विधायक भाई लीलाराम द्वारा किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा जिलाध्यक्ष ज्योति सैनी ने शिरकत की और ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की संकल्पना को “राष्ट्र की आवश्यकता” बताया।


 “अब समय आ गया है – एक राष्ट्र, एक चुनाव”: ज्योति सैनी

जिला भाजपा अध्यक्ष ज्योति सैनी ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने की दिशा में केंद्र सरकार गंभीर है, और इसे लागू करने हेतु एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित की जा चुकी है।

उन्होंने बताया कि इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद कर रहे हैं, जबकि इसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एन.के. सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी. कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी जैसे दिग्गज शामिल हैं।


 विधि आयोग की सिफारिशें और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

ज्योति सैनी ने याद दिलाया कि 1999 में न्यायमूर्ति बी.पी. जीवन रेड्डी और 2018 में न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान की अध्यक्षता में बनी भारतीय विधि आयोग ने भी ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का समर्थन किया था।
उनके अनुसार, यह विचार नया नहीं है बल्कि इसका प्रस्ताव पहले भी सामने आ चुका है, और अब व्यवस्था की आवश्यकता बन चुका है।


 ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लाभों पर प्रकाश

जिला अध्यक्ष ने इस व्यवस्था के व्यावहारिक और आर्थिक लाभों को विस्तार से समझाया:

  • सार्वजनिक धन की बचत होगी

  • प्रशासनिक तंत्र पर बोझ कम होगा

  • नीतियों का समय पर क्रियान्वयन हो सकेगा

  • चुनावी प्रचार के लिए अधिक समय मिलेगा

  • विकास पर केंद्रित कार्य संभव हो सकेंगे

उन्होंने नीति आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश में हर वर्ष कोई न कोई चुनाव होता ही रहता है, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष हानि होती है।


 चुनावों से जुड़ी समस्याएं और अदृश्य लागतें

ज्योति सैनी ने बताया कि बार-बार चुनाव कराने से:

  • सरकारी तंत्र चुनाव ड्यूटी में उलझा रहता है, जिससे उसके नियमित कार्य बाधित होते हैं।

  • चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने से नीति पक्षाघात की स्थिति बनती है।

  • सुरक्षा बलों की बार-बार तैनाती से खर्च और शारीरिक थकान दोनों बढ़ते हैं।

  • चुनावी खर्च के दौरान लाखों मानव-घंटे की लागत का आंकलन नहीं हो पाता, जो राष्ट्र के लिए अदृश्य नुकसान है।


 आयोजन में शामिल प्रमुख हस्तियां और कार्यकर्ता

इस अवसर पर बड़ी संख्या में राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियां मौजूद रहीं:

राजपाल तंवर, वाइस चेयरमैन सीमा रानी, रामपाल राणा, सुरेश संधू, जिला मीडिया प्रभारी राज रमन दीक्षित, देवेंद्र पांचाल, अजीत चहल, डॉ. जितेंद्र ठुकराल, अरुण वर्मा, डॉ. श्रवण कौशिक, आयुष गर्ग, सतबीर भारद्वाज, गोपाल सैनी, धीरेन्द्र क्योडक, आशीष कुलरस, रामानंद शर्मा, विजय भारद्वाज, यशपाल प्रजापति, प्रवीन प्रजापति, शक्ति सौदा, कृष्ण पिलनी, कमल भटनागर, रविंदर गिल, सुरेश जांगड़ा, सुरेश क्योडक, पूनम सहोता, अक्षर गर्ग, सीमा शर्मा, ऋचा धीमान, सुमन मुदगिल, लीलू सैनी, पार्षद कुशलपाल, जग्गा सैनी, महावीर सैनी, अरुण कुश सहित कई कार्यकर्ता उपस्थित रहे।


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