
मैं भी बदमाश हूं, पर महिलाओं को नहीं पीटता”: पंचायत में बोले पानीपत के पार्षद रणदीप कवि, गांव में बदमाशों पर खुलेआम चेतावनी
The Airnews | पानीपत, हरियाणा
हरियाणा के पानीपत जिले की राजनीति एक बार फिर से सुर्खियों में है। इस बार चर्चा का केंद्र बने हैं जिला परिषद वार्ड 2 से पार्षद रणदीप कवि, जो कि बीते तीन दिनों में दूसरी बार विवादों में घिर गए हैं। रणदीप कवि ने सार्वजनिक पंचायत में खुद को ‘बदमाश’ घोषित कर दिया और साथ ही यह भी कहा कि “मैं औरतों पर हाथ नहीं उठाता।” उनकी यह टिप्पणी सोशल मीडिया से लेकर स्थानीय राजनीतिक गलियारों तक चर्चाओं में बनी हुई है।
यह पूरा मामला गांव कवि में आयोजित एक विशेष पंचायत से जुड़ा है, जहां हालिया घटनाओं में बदमाशों द्वारा की गई वारदातों को लेकर गांववाले एकत्रित हुए थे। इस पंचायत में न केवल गांव के सम्मान की रक्षा के लिए एकमत से निर्णय लिया गया, बल्कि युवाओं को अलर्ट मोड पर लाकर गांव में अनुशासन और सुरक्षा कायम रखने का भी आह्वान किया गया।
रणदीप कवि का विवादित बयान: “मैं भी बदमाश हूं, लेकिन महिलाओं को नहीं पीटता”
गांव में बढ़ती बदमाशी को रोकने के लिए जब गांव कवि में पंचायत बुलाई गई तो वहां पहुंचे पार्षद रणदीप कवि ने मंच से दिए अपने बयान में कहा—
“मैं यह नहीं कहता कि मैं शरीफ हूं। मैं भी बदमाश हूं, लेकिन मैं औरतों पर हाथ नहीं उठाता। अगर गांव मेरा साथ दे तो मैं अकेला ही सभी बदमाशों को घेर सकता हूं।”
उनकी इस बात पर पंचायत में मौजूद ग्रामीणों ने समर्थन में तालियां भी बजाईं और सहमति जताई। इस तरह पार्षद ने खुद को एक ‘बदमाश लेकिन न्यायप्रिय’ नेता के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की।
तीन दिन में दूसरी बार विवादों में: ऑटो ड्राइवर को धमकाने के आरोप
यह पहली बार नहीं है जब रणदीप कवि पर विवादों की गाज गिरी हो। महज दो दिन पहले ही उन पर एक ऑटो चालक को फोन पर धमकाने, जबरन मिलने का दबाव बनाने और दो काली स्कॉर्पियो में गुंडे भेजने का आरोप लगा था।
ऑटो ड्राइवर ने पुलिस में शिकायत देते हुए बताया था कि—
“मैंने पार्षद की बात को अनसुना किया तो उन्होंने दो गाड़ियां बदमाशों से भरकर मेरे घर भेज दीं।”
इस आरोप ने पहले ही राजनीतिक व सामाजिक हलकों में रणदीप की छवि पर सवाल खड़े कर दिए थे, और अब पंचायत में दिया गया उनका बयान एक नई बहस का विषय बन गया है।
गांव कवि में बदमाशों के खिलाफ खड़ा हुआ पूरा समाज
रविवार को गांव कवि में समस्त ग्रामवासियों द्वारा आयोजित पंचायत में गांव में बढ़ते असामाजिक तत्वों और बदमाशी की घटनाओं को रोकने हेतु गंभीर चर्चा की गई। पंचायत की अध्यक्षता गांव के बुजुर्गों और प्रमुख नागरिकों ने की।
पंचायत के प्रमुख निर्णय:
-
बाहरी असामाजिक तत्वों का प्रवेश निषेध:
सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कोई भी बाहरी अपराधी किस्म का व्यक्ति गांव में प्रवेश नहीं कर सकेगा। -
गांव के भीतर बुलाने वाले पर भी कार्रवाई:
यदि कोई ग्रामवासी बाहरी बदमाशों को गांव में बुलाता है, तो पंचायत उस व्यक्ति के खिलाफ भी कड़ा रुख अपनाएगी। -
ग्राम सुरक्षा के लिए युवाओं की टोली तैयार:
गांव की युवा टीम को ‘अलर्ट मोड’ पर रखा गया है और उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई भी बदमाश गांव में प्रवेश करता है, तो उसे तुरंत सबक सिखाया जाए। -
हरियाणा भर के बदमाशों को चेतावनी:
पंचायत से यह सख्त संदेश दिया गया कि यदि कोई बदमाश गांव में दाखिल होने की कोशिश करेगा तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
पंचायत में युवाओं का जोश, डंडे लेकर खड़े हुए ग्रामवासी
पंचायत के दौरान गांव के युवा और बुजुर्ग डंडे लेकर खड़े नजर आए और यह साफ संदेश दिया कि अब बदमाशी गांव में नहीं चलेगी। इस सामूहिक चेतावनी ने पूरे गांव को एकजुट कर दिया और सुरक्षा के प्रति जागरूकता की भावना को और मजबूत किया।
गांव की महिलाओं ने भी इस दौरान अपनी आवाज बुलंद की और कहा कि गांव की बेटियों, बहनों और परिवार की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। किसी भी असामाजिक तत्व को बख्शा नहीं जाएगा।
बीते एक महीने में तीसरी बड़ी घटना: गांव में परिवार पर हमला
पंचायत के आयोजन की सबसे बड़ी वजह रही गांव में हुई ताज़ा वारदात, जिसमें एक परिवार पर आधी रात को हमला किया गया। पीड़ित परिवार के सदस्य जयपाल ने बताया कि—
“4 अप्रैल की रात मेरे भाई-भाभी में कहासुनी हो रही थी, तभी पड़ोसी अजीत आया और गाली-गलौज करने लगा। बाद में 30-35 लड़कों के साथ घर में घुस आया और सबको बुरी तरह पीटा।”
इस हमले में परिवार की महिलाएं और बच्चे भी घायल हुए। इससे पहले भी गांव में दो अन्य घटनाएं हो चुकी थीं, जिसमें बाहरी युवकों ने मारपीट की थी। इस तीसरी घटना ने गांव में गुस्से की आग को भड़का दिया, जिसके बाद पंचायत बुलाई गई।
गांव की आवाज: “बदमाशी नहीं, सुरक्षा चाहिए”
ग्रामीणों ने पंचायत में एक स्वर में कहा कि—
“हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। अब गांव में कोई भी बदमाशी नहीं चलेगी। चाहे वह किसी नेता के नाम पर आए या अपने रौब में।”
गांव के बुजुर्गों ने युवाओं को संदेश दिया कि वे संयम रखें, लेकिन यदि गांव की इज्जत पर चोट होती है, तो उसका जवाब देने के लिए पीछे भी न हटें।
रणदीप कवि का बयान: जनता के साथ या फिर राजनीति का पैंतरा?
रणदीप कवि का पंचायत में दिया गया बयान निश्चित तौर पर जनता की भावनाओं के अनुरूप प्रतीत होता है, लेकिन क्या यह वास्तव में गांव की रक्षा के लिए उठाया गया कदम है या फिर राजनीति में खुद को ‘ग्रामीण रॉबिनहुड’ की छवि में प्रस्तुत करने की एक रणनीति?
विशेषज्ञ मानते हैं कि एक जनप्रतिनिधि का इस तरह सार्वजनिक रूप से खुद को ‘बदमाश’ कहना लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विपरीत है, भले ही उनका इरादा सकारात्मक हो।