
मोदी से मिलने की तमन्ना में 11 साल से झाड़ू लगा रहा बुजुर्ग: चरखी दादरी के रामचंद्र स्वामी की अनोखी साधना”
The Airnews | चरखी दादरी | विशेष रिपोर्ट
परिचय: एक स्वच्छता योद्धा की 11 साल लंबी तपस्या
72 वर्षीय रामचंद्र स्वामी, हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव कारी मोद के निवासी हैं। वे न किसी सरकारी योजना का लाभ ले रहे हैं और न ही किसी पुरस्कार की चाहत रखते हैं। उनका एक ही सपना है — देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात। इस मुलाकात की चाह ने उन्हें एक ऐसा रास्ता दिखाया, जिसे आज वे 11 साल से निरंतर चल रहे हैं – और वह है स्वच्छता अभियान।
रामचंद्र स्वामी ने अपने जीवन की साधना को ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से जोड़ दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री के आह्वान पर झाड़ू उठाई और तब से अब तक उन्होंने हरियाणा, गुजरात और राजस्थान में सैकड़ों स्थानों पर निःस्वार्थ भाव से सफाई की है।
नरेंद्र मोदी को मानते हैं कृष्ण, खुद को सुदामा
रामचंद्र स्वामी न केवल पीएम मोदी के भक्त हैं, बल्कि वे उन्हें भगवान कृष्ण का स्वरूप मानते हैं और स्वयं को गरीब सुदामा समझते हैं। उनका मानना है कि जैसे सुदामा अपने मित्र कृष्ण से मिलने गया था, वैसे ही वे भी अपनी सेवा और समर्पण से एक दिन ज़रूर प्रधानमंत्री से मिलेंगे।
उन्होंने अब तक कई बार दिल्ली तक पैदल यात्रा की, सार्वजनिक स्थलों पर सफाई करते हुए, लेकिन अभी तक प्रधानमंत्री से उनकी प्रत्यक्ष मुलाकात नहीं हो सकी है। फिर भी उनकी आस्था अडिग है और सेवा का जुनून ज्यों का त्यों बरकरार है।
ट्रक ड्राइवर से सफाई सेवक बनने का सफर
रामचंद्र पहले एक ट्रक ड्राइवर थे। ट्रक चलाते हुए वे अक्सर गुजरात जाते थे, जहां उन्होंने मोदी के कार्यों को नजदीक से देखा। यहीं से उनके मन में मोदी जी के प्रति श्रद्धा जागृत हुई। 2014 में जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया, तो रामचंद्र ने तीन महीने नौ दिन का उपवास किया। बाद में यह अनशन भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद धर्मबीर सिंह ने समाप्त करवाया था।
मोदी के पीएम बनने के बाद जब उन्होंने झाड़ू उठाकर स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की, तब रामचंद्र ने ट्रक चलाना छोड़ दिया और पूरी तरह से सफाई कार्य को अपना जीवन बना लिया।
कार ही आशियाना, झाड़ू ही साधन
रामचंद्र के पास एक पुरानी कार है, जिसमें वे झाड़ू और अन्य जरूरी सामान रखते हैं। कार पर लिखा है — “1972 का अनपढ़ ड्राइवर, मोदी से मिलने की चाहत” और “मोदी भक्त”। इसी कार में वे एक स्थान से दूसरे स्थान तक सफाई अभियान चलाने के लिए जाते हैं।
वे मुख्य बाजारों, सार्वजनिक स्थलों, चौक-चौराहों और गांवों में सफाई करते हैं, वह भी निःशुल्क और पूरी निष्ठा से। वह हर सुबह 5 बजे उठकर 10-11 बजे तक सफाई अभियान में जुटे रहते हैं। उनका मानना है कि यदि हर नागरिक प्रतिदिन केवल 5 मिनट सफाई में लगाए, तो भारत को स्वर्ग बनने से कोई नहीं रोक सकता।
सिर्फ चाय पीते हैं, बाकी कोई सुविधा नहीं लेते
रामचंद्र स्वामी बेहद सादा जीवन जीते हैं। जहां भी जाते हैं, वहां किसी प्रकार का भोजन या आर्थिक सहायता नहीं लेते। केवल चाय पीते हैं और उसी ऊर्जा से पूरे दिन सेवा करते हैं। उन्होंने एक शपथ पत्र भी लिख रखा है कि यदि सेवा के दौरान उन्हें कोई नुकसान हो जाए, तो उसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार होंगे और उनके परिजनों को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता ना दी जाए।
ग्राम पंचायतों और प्रशासन से मिला सम्मान
रामचंद्र ने अपने सफाई अभियान की शुरुआत अपने गांव कारी मोद से की थी। जब चंडीगढ़ से एक टीम गांव का निरीक्षण करने आई तो गांव को पॉलिथीन मुक्त घोषित किया गया और ग्राम पंचायत को ₹1 लाख की ईनामी राशि भी मिली।
उनकी इस सेवा भावना को देखते हुए कई ग्राम पंचायतों ने उन्हें प्रशस्ति पत्र भी दिए हैं। वे अकेले दम पर पूरे गांव को साफ करते हैं। उनका कहना है कि सफाई भगवान की सेवा है और भारत माता की पूजा का एक साधन भी।
गुजरात में भी चलाया अभियान, प्रमाण पत्र भी मौजूद
रामचंद्र स्वामी ने केवल हरियाणा ही नहीं बल्कि गुजरात में भी कई स्थानों पर स्वच्छता अभियान चलाया है। उनके पास विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रदान किए गए प्रमाण पत्र भी हैं, जो उनके समर्पण और सेवा की गवाही देते हैं।
दिल्ली तक पैदल यात्रा, फिर भी नहीं मिली मुलाकात
रामचंद्र ने नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए चरखी दादरी से दिल्ली तक की 170 किलोमीटर की पैदल यात्रा की थी, परंतु मुलाकात संभव नहीं हो पाई। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उनका कहना है कि वे किसी सिफारिश से नहीं मिलना चाहते, बल्कि अपने कार्यों के बलबूते पर ही पीएम तक पहुंचना चाहते हैं।
कैथल में रामपाल कश्यप को जूते पहनाने वाली घटना से मिली प्रेरणा
हाल ही में पीएम मोदी ने हरियाणा दौरे के दौरान कैथल निवासी रामपाल कश्यप से मुलाकात कर उन्हें जूते पहनाए थे। इस घटना ने रामचंद्र स्वामी को नई प्रेरणा दी है। उन्हें लगता है कि जब पीएम रामपाल से मिल सकते हैं तो उनसे भी एक दिन जरूर मिलेंगे। और अगर उसके लिए फिर से दिल्ली तक पैदल चलना पड़े, तो वे तैयार हैं।
‘देश को स्वर्ग बनाने का सपना’: रामचंद्र की सोच
रामचंद्र स्वामी का सपना है कि भारत स्वच्छता के मामले में पूरी दुनिया में उदाहरण बने। उनका कहना है कि स्वच्छता केवल सरकारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। यदि हम अपने घर के बाहर, अपनी गलियों, अपने मोहल्लों को साफ रखें तो देश को गंदगी से मुक्त किया जा सकता है।