रणदीप हुड्डा रोहतक के पुश्तैनी मकान में भावुक हुए: छत पर खड़े होकर ‘जाट’ फिल्म का डायलॉग बोला, चाचा के घर दाल-चूरमा खाया
रोहतक: बॉलीवुड अभिनेता रणदीप हुड्डा ने रविवार को अपनी फिल्म ‘जाट’ के प्रमोशन के लिए रोहतक पहुंचकर एक भावुक और यादगार पल बिताया। वह जसिया गांव में अपने पुश्तैनी घर गए और यहां अपने बचपन की यादों को ताजा किया। फिल्म के प्रमोशन के दौरान रणदीप ने अपनी फिल्म का प्रसिद्ध डायलॉग बोला, “सिर कटने के बाद भी यह हाथ तलवार नहीं छोड़ता, मैं जाट हूं,” जिससे उपस्थित लोग पूरी तरह से मंत्रमुग्ध हो गए। इसके बाद वह अपने चाचा के घर भी गए, जहां उन्होंने परिवार के साथ खाना खाया और अपने बचपन की यादों को साझा किया।
फिल्म ‘जाट’ का प्रमोशन: पुश्तैनी घर में भावुक हुए रणदीप
रणदीप हुड्डा का रोहतक दौरा एक साधारण प्रमोशन से कहीं अधिक था। यह उनके लिए एक भावनात्मक यात्रा थी, जहां उन्होंने अपने परिवार के साथ समय बिताया और अपने बचपन के दिनों को याद किया। जसिया गांव स्थित अपने पुश्तैनी घर में पहुंचने के बाद, रणदीप छत पर खड़े होकर पूरे गांव को देखा और फिल्म ‘जाट’ का डायलॉग बोला, जिसे फिल्म के फैंस पहले ही खूब पसंद कर चुके थे।
“मैं जाट हूं” – रणदीप का फिल्मी डायलॉग
जैसे ही रणदीप छत से गांव का नजारा देख रहे थे, उन्होंने फिल्म ‘जाट’ का मशहूर डायलॉग बोला, “सिर कटने के बाद भी यह हाथ तलवार नहीं छोड़ता, मैं जाट हूं।” इस डायलॉग से उन्होंने अपनी जाट बिरादरी के प्रति सम्मान और प्यार जताया। यह पल न केवल फिल्म के प्रमोशन का हिस्सा था, बल्कि रणदीप के लिए अपनी जड़ों से जुड़ने और अपने परिवार के साथ बिताए गए पुराने दिनों की याद ताजा करने का भी अवसर था।
चाचा के घर पर दाल-चूरमा खाया
रणदीप के चाचा, मुल्तान हुड्डा, ने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया, जहां रणदीप ने पारंपरिक हरियाणवी भोजन का आनंद लिया। यहां उन्होंने दाल-चूरमा खाया, जो कि उनके लिए एक बेहद यादगार अनुभव था। साथ ही, आलू की चटनी, लस्सी और सलाद के साथ रोटी भी खाई। यह पल रणदीप के लिए अपने परिवार के साथ बिताए गए कुछ सबसे अच्छे समयों में से एक था।
परिवार की पुरानी तस्वीर ने भावुक किया
रणदीप जब चाचा के घर पहुंचे, तो वहां लगी एक पुरानी तस्वीर ने उन्हें भावुक कर दिया। उन्होंने उस तस्वीर को देखकर अपने बचपन के दिनों को याद किया। रणदीप ने बताया कि जब वह छोटे थे और गांव में घूमने के लिए आते थे, तब यह तस्वीर उनके परिवार के साथ खींची गई थी। इस तस्वीर में उनके चाचा और उनके बच्चे भी शामिल थे। रणदीप ने परिवार के साथ बिताए गए पुराने दिनों को याद करते हुए यह बताया कि उनका बचपन कितना खुशहाल था।
जसिया गांव में रणदीप का भव्य स्वागत
जसिया गांव में रणदीप हुड्डा का स्वागत एक भव्य तरीके से किया गया। गांव के सरपंच ओमप्रकाश हुड्डा ने रणदीप का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया। जैसे ही रणदीप अपने पुश्तैनी घर की ओर बढ़े, गांववालों की एक बड़ी भीड़ उनके पीछे लग गई। रणदीप की फैन फॉलोइंग इतनी जबरदस्त थी कि जैसे ही वह गांव पहुंचे, लोग उनके साथ सेल्फी लेने के लिए उमड़ पड़े। इस मौके पर पुलिस बल भी तैनात किया गया था ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति से बचा जा सके।
रणदीप की जीवनी: एक अभिनेता के संघर्ष और सफलता की कहानी
रणदीप हुड्डा का जन्म 20 अगस्त 1976 को हरियाणा के रोहतक जिले में हुआ था। वह एक जाट परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जिनके पिता डॉ. रणबीर सिंह हुड्डा एक सर्जन हैं और उनकी माता आशा हुड्डा एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। रणदीप का बचपन अपनी दादी के साथ बीता क्योंकि उनके माता-पिता काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहते थे।
रणदीप की बड़ी बहन अंजलि हुड्डा सांगवान एक डॉक्टर हैं, जबकि उनके छोटे भाई संदीप हुड्डा सिंगापुर में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।
शारीरिक और मानसिक विकास की ओर कदम
रणदीप ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सोनीपत के मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स (MNSS) से प्राप्त की, जहां उन्होंने तैराकी और घुड़सवारी में राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीते। इसके अलावा, वह स्कूल में थिएटर में भी रुचि रखते थे और कई नाटकों में भाग लिया, जिनमें से एक नाटक का निर्देशन भी उन्होंने किया था।
ऑस्ट्रेलिया में संघर्ष: टैक्सी ड्राइवर से लेकर अभिनेता बनने तक
1995 में रणदीप ऑस्ट्रेलिया चले गए, जहां उन्होंने मार्केटिंग में ग्रेजुएशन और मानव संसाधन प्रबंधन में मास्टर डिग्री प्राप्त की। वहां रहते हुए उन्होंने चीनी रेस्टोरेंट, कार वॉश, वेटर और टैक्सी ड्राइवर जैसे काम किए। इन संघर्षों ने उन्हें जीवन की कठिनाइयों को समझने और अपनी मंजिल की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी।
फिल्मी करियर: अभिनय की दिशा में कदम
2000 में रणदीप भारत लौटे और दिल्ली में मॉडलिंग और थिएटर में भी हाथ आजमाया। उनकी अभिनय यात्रा की शुरुआत मीरा नायर द्वारा निर्देशित ‘टू टीच हिज ओन’ नाटक से हुई। यहीं से उन्हें फिल्मी दुनिया में कदम रखने का अवसर मिला। रणदीप की मेहनत और अभिनय ने उन्हें बॉलीवुड में एक अलग पहचान दिलाई।