हरियाणा के जींद में एशिया की सबसे बड़ी आईएमटी बनाने का रास्ता साफ, सरकार ने कलेक्टर रेट से 3 गुना रेट की शर्त हटाई
हरियाणा के जींद में एशिया का सबसे बड़ा आईएमटी स्थापित करने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। प्रदेश सरकार ने 12000 एकड़ जमीन पर जींद जिले में आईएमटी स्थापित करने का ऐलान किया था। इसके बाद से यहां के किसानों ने अपनी जमीन देने से मना कर दिया था। किसानों का एक वर्ग जमीन की कीमत ज्यादा मांग कर जमीन देने को तैयार भी था, लेकिन यह सरकार की नीति के अनुसार खरा नहीं उतर पा रहा था। जिसके चलते जींद में आईएमटी बनने का मामला लटकता हुआ नजर आ रहा था। हरियाणा प्रदेश सरकार ने भूमि अधिग्रहण नियमों में बदलाव किया है। ई-भूमि पोर्टल पर अब किसान अपनी जमीन की मनचाही कीमत मांग सकेंगे। कलेक्टर रेट से तीन गुना अधिक कीमत की शर्त हटा दी गई है। प्रदेश में विकास परियोजनाओं के लिए विभागों, सरकारी संस्थाओं, बोर्ड – निगमों एवं सरकारी कंपनियों को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद संबंधी नीति में संशोधन की अधिसूचना जारी कर दी गई है। यदि कोई भू-मालिक स्वयं या बिचौलिए के माध्यम से पोर्टल पर सहमति अपलोड करता है और सभी शर्तों को पूरा करता है तो सहमति को वैध माना जाएगा। जींद में इंडस्ट्रियल मॉडल टाउनशिप (IMT) उचाना और सफीदों विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले करीब एक दर्जन गांव की जमीन पर बनाए जाने की बात कही जा रही है। इन प्रस्तावित गांवों में अमरावली खेड़ा, अलेवा, ढाठरथ, दिल्लूवाला, जामनी, हसनपुर, खरक गादियां, खांडा, मांडी खुर्द, नगूरां, मोहम्मद खेड़ा और हालांकि, इस परियोजना को लेकर स्थानीय किसानों में काफी विरोध है क्योंकि यह जमीन अत्यधिक उपजाऊ है। किसानों ने सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति पर सवाल उठाए हैं और अपनी जमीन देने से मना कर दिया। इस परियोजना की प्रक्रिया को रोक दिया गया था और जिला प्रशासन ने किसानों को आश्वासन दिया है कि उनकी सहमति के बिना एक इंच भी जमीन नहीं ली जाएगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि जमीन की खरीद ई-भूमि पोर्टल के माध्यम से केवल इच्छुक किसानों की सहमति से ही की जाएगी। लेकिन अब सरकार द्वारा कलेक्टर रेट से तीन गुना रेट की शर्त हटाए जाने के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि यहां पर सरकार को जमीन उपलब्ध हो जाएगी। एक और जहां यह जमीन काफी उपजाऊ है वहीं दूसरी ओर इस जमीन की खासियत यह भी है कि यह जमीन दो बड़े हाईवे दिल्ली-कटरा और नारनौल-चंडीगढ़ के बीच है। जिसके चलते यहां से पूरे देश में कहीं भी पक्का माल जाने और कहीं से भी कच्चा माल आना काफी आसान है जिसके कारण यहां पर उद्योगों का पनपना आसान होगा।
इस जमीन पर सरकार बड़े उद्योगों की स्थापना करना चाहती है ताकि जींद जिले के लोगों को रोजगार के साधन मुहैया हो सकें। बताया जाता है कि यहां पर आईएमटी की स्थापना के बाद कम से कम 20000 लोगों को प्रत्यक्ष और करीब 25000 से ज्यादा लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।




