
हांसी जिला बनाओ संघर्ष समिति का धरना 9 अप्रैल को: फिर उठी जिला बनाने की मांग, मुख्यमंत्री को याद दिलाएंगे पुराना वादा
स्रोत: The Air News | संपादन: यश
हिसार जिले के हांसी उपमंडल में एक बार फिर से ‘हांसी जिला बनाओ संघर्ष समिति’ सक्रिय हो गई है। लंबे समय से चली आ रही जिला बनाए जाने की मांग को लेकर समिति ने आगामी 9 अप्रैल को हांसी के त्रिकोणा पार्क में एक दिन का सांकेतिक धरना देने की घोषणा की है। समिति के अध्यक्ष रामनिवास फौजी ने बताया कि यह धरना पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन इसके माध्यम से सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया जाएगा कि हांसी की जनता अपने अधिकारों के लिए अब और इंतजार नहीं करेगी।
मुख्यमंत्री को याद दिलाया वादा
रामनिवास फौजी ने बताया कि 18 अगस्त 2024 को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने हांसी में आयोजित चुनावी जनसभा के दौरान सार्वजनिक रूप से यह वादा किया था कि यदि जनता उन्हें दोबारा सत्ता में लाती है तो हांसी को जिला का दर्जा दिया जाएगा। जनता ने उस वादे पर विश्वास कर बीजेपी को वोट दिया, लेकिन अब आठ महीने बीतने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। संघर्ष समिति अब इस मुद्दे को फिर से गर्माने के लिए तैयार है।
धरना में शामिल होंगी पंचायतें और समाजिक संगठन
संघर्ष समिति ने हांसी उपमंडल की विभिन्न पंचायतों, सामाजिक संगठनों और व्यापारिक मंडलों से अपील की है कि वे 9 अप्रैल को होने वाले धरने में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें। बवानी खेड़ा हलके की 25 पंचायतों ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया है। उन्होंने मंत्री कंवर पाल गुर्जर को भी जिला बनाए जाने संबंधी प्रस्ताव सौंपा है। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह मुद्दा केवल हांसी तक सीमित नहीं है, बल्कि आस-पास के इलाकों की भी इसमें गहरी रुचि है।
जिला बनाए जाने की मांग क्यों है जायज?
- जनसंख्या का दबाव: हांसी उपमंडल की आबादी अब लगभग 6 लाख से अधिक हो चुकी है। इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए जिला स्तर की प्रशासनिक सुविधाएं अनिवार्य हो चुकी हैं।
- भौगोलिक स्थिति: हांसी की भौगोलिक स्थिति भी इसे जिला बनाए जाने के लिए उपयुक्त बनाती है। यह हिसार, भिवानी, रोहतक और जींद जैसे जिलों के बीच स्थित है, जिससे इसका रणनीतिक महत्त्व और बढ़ जाता है।
- प्रशासनिक बोझ में कमी: यदि हांसी को जिला बनाया जाता है, तो इससे हिसार जिले के प्रशासनिक बोझ में कमी आएगी और स्थानीय जनता को छोटी-छोटी सेवाओं के लिए हिसार नहीं जाना पड़ेगा।
- विकास की गति: जिला बनने से हांसी में विकास कार्यों को नई गति मिलेगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, और प्रशासनिक सेवाओं का स्तर बेहतर होगा।
अब तक क्या प्रयास हुए?
हांसी जिला बनाए जाने की मांग कोई नई नहीं है। पिछले एक दशक से यह मुद्दा लगातार उठता रहा है। इससे पहले भी कई बार स्थानीय नेताओं, समाजिक संगठनों और नागरिकों ने ज्ञापन सौंपे हैं, धरने प्रदर्शन किए हैं।
- 2012: तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सामने भी यह मांग रखी गई थी, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।
- 2018: मनोहर लाल खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में भी इस मुद्दे पर कई बार चर्चा हुई, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया।
- 2024: चुनावी जनसभा में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने वादा किया, जिससे जनता को नई उम्मीद जगी।
राजनीतिक समीकरण और आंदोलन की शक्ति
हांसी विधानसभा सीट पर लगातार राजनीतिक उठा-पटक होती रही है। यहां की जनता का मूड अक्सर प्रशासनिक मुद्दों पर आधारित होता है। अगर सरकार इस बार भी जनता की मांग को अनदेखा करती है, तो आगामी चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन पूरी तरह से गैर-राजनीतिक होगा और इसमें केवल जनहित की बात की जाएगी। धरना स्थल पर किसी भी राजनीतिक पार्टी के बैनर या झंडे की अनुमति नहीं दी जाएगी।
आंदोलन की अगली रणनीति
रामनिवास फौजी ने कहा कि यदि 9 अप्रैल के धरने के बाद भी सरकार की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आती, तो संघर्ष समिति चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति बनाएगी। इसमें अनिश्चितकालीन धरना, जन हस्ताक्षर अभियान, सोशल मीडिया अभियान, और मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
फिलहाल जिला प्रशासन ने इस आंदोलन को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को सतर्क कर दिया गया है और धरने के दिन त्रिकोणा पार्क में पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात रहेगा।
जनता की भावनाएं और समर्थन
हांसी की आम जनता इस मुद्दे पर बेहद भावुक है। स्कूलों, कॉलेजों, व्यापारिक मंडलों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों ने भी जिला बनाए जाने की मांग का समर्थन किया है। लोगों का मानना है कि जिला बनते ही हांसी का चौमुखी विकास संभव होगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।