हिसार में शांति देवी अस्पताल के बाहर हंगामा: मरीज की इलाज के दौरान मौत, परिजन बोले- आयुष्मान कार्ड के बावजूद मांगे गए 6.5 लाख रुपये
हिसार ( Sahil Kaoon )
हिसार जिले में एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था और निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। डाबड़ा चौक पुल के पास स्थित शांति देवी अस्पताल में शुक्रवार को उस वक्त हंगामा मच गया जब 42 वर्षीय मरीज रायसिंह की इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद साढ़े छह लाख रुपये की मांग की और इलाज में लापरवाही की, जिससे रायसिंह की जान चली गई।
आयुष्मान कार्ड पर भर्ती, फिर भी भारी खर्च
मृतक रायसिंह के परिवार ने बताया कि वह बरवाला का रहने वाला था और 16 मार्च को पीलिया की शिकायत के बाद शांति देवी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें अस्पताल में भरोसा दिलाया गया था कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उनका मुफ्त इलाज किया जाएगा। परिवार को बताया गया कि इलाज पूरी तरह कैशलेस होगा, लेकिन कुछ दिनों बाद अस्पताल प्रशासन ने अतिरिक्त खर्चों की मांग करनी शुरू कर दी।
परिजनों के अनुसार अस्पताल ने इलाज की प्रक्रिया के नाम पर एक के बाद एक चार्जेस लगाए और धीरे-धीरे बिल साढ़े छह लाख रुपये तक पहुंच गया। जब परिजनों ने यह सवाल उठाया कि आयुष्मान कार्ड के तहत इलाज क्यों नहीं हो रहा, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया।
20 मार्च को थी हालत में सुधार
रायसिंह के भाई ने बताया कि 20 मार्च को रायसिंह की तबीयत में काफी सुधार था। डॉक्टरों ने यहां तक कह दिया था कि जल्द ही उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। लेकिन अचानक उनकी हालत फिर बिगड़ने लगी और 5 अप्रैल को दोपहर करीब ढाई बजे उनकी मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि अस्पताल ने जानबूझकर इलाज में देरी की और पैसों की मांग पूरी नहीं होने पर लापरवाही की।
अस्पताल के बाहर परिजनों का हंगामा
रायसिंह की मौत की सूचना मिलते ही परिवार के लोग अस्पताल के बाहर इकट्ठा हो गए और हंगामा शुरू कर दिया। परिजन शव को लेने से इनकार कर रहे थे और अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगा रहे थे। उन्होंने कहा कि जब उन्हें बताया गया था कि इलाज मुफ्त होगा, तो फिर लाखों रुपये क्यों मांगे गए?
गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर जमकर नारेबाजी की और डॉक्टरों की जवाबदेही की मांग की।
पुलिस ने मौके पर पहुंच संभाला मोर्चा
घटना की सूचना मिलते ही अर्बन एस्टेट थाना पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभालने की कोशिश की। पुलिस अधिकारियों ने परिजनों से बातचीत कर उन्हें शांत करने की कोशिश की, लेकिन परिजन शव को उठाने को तैयार नहीं हुए। उनका साफ कहना था कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे शव को नहीं ले जाएंगे।
CCTV फुटेज देखने की मांग
हंगामे के दौरान परिजनों ने आरोप लगाया कि उन्हें पूरे इलाज के दौरान अस्पताल की गतिविधियों पर शक था। उन्होंने अस्पताल में लगे CCTV कैमरों की फुटेज दिखाने की मांग की, ताकि इलाज में हुई लापरवाही को साबित किया जा सके। पुलिस भी अस्पताल में गई और फुटेज खंगाले, लेकिन परिजनों को फुटेज उपलब्ध नहीं कराई गई।
अस्पताल प्रशासन की चुप्पी
The Airnews ने जब शांति देवी अस्पताल के प्रशासन से संपर्क किया तो उन्होंने कोई आधिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया। अस्पताल के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रायसिंह की हालत पहले से ही गंभीर थी और अस्पताल ने अपनी ओर से पूरी कोशिश की थी। उन्होंने यह भी बताया कि आयुष्मान योजना के तहत कुछ सेवाएं कवर नहीं होतीं, जिस वजह से अतिरिक्त राशि की मांग की गई थी।
जनता में आक्रोश, स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल
इस घटना के बाद हिसार में नागरिकों के बीच आक्रोश फैल गया है। सोशल मीडिया पर लोग शांति देवी अस्पताल की कार्यप्रणाली और निजी अस्पतालों की मनमानी पर सवाल उठा रहे हैं। लोग यह पूछ रहे हैं कि जब आयुष्मान भारत जैसी योजना है, तो फिर गरीबों से लाखों रुपये क्यों वसूले जा रहे हैं?
सामाजिक और प्रशासनिक पहलू
- स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता की कमी: आयुष्मान योजना के बावजूद लाखों की मांग यह दर्शाता है कि कई निजी अस्पताल योजना का गलत फायदा उठा रहे हैं।
- निगरानी तंत्र की विफलता: अस्पतालों पर कोई सख्त निगरानी नहीं होने के कारण वे अपनी मनमानी करते हैं।
- गरीबों का शोषण: इस घटना ने यह दिखा दिया है कि किस तरह आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है।
पुलिस जांच और कानूनी कार्रवाई
पुलिस ने फिलहाल मामला दर्ज नहीं किया है लेकिन जांच शुरू कर दी है। परिजनों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं और इलाज से जुड़े दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि यदि अस्पताल की लापरवाही साबित हुई तो IPC की संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा।
क्या है आयुष्मान भारत योजना?
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) भारत सरकार की एक फ्लैगशिप योजना है, जिसके तहत पात्र नागरिकों को सालाना 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज सरकारी और कुछ निजी अस्पतालों में मिलता है। हालांकि, इस योजना का लाभ तभी मिलता है जब अस्पताल योजना में पंजीकृत हो और सेवाएं कवर में हों।