होडल विधानसभा चुनाव: कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने भाजपा की जीत को चुनौती दी, अदालत में ईवीएम ट्रायल वोटिंग की मांग
हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं होडल विधानसभा सीट से उम्मीदवार रहे चौधरी उदयभान ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें उन्होंने अपनी चुनाव याचिका का निपटारा छह माह के भीतर करने की मांग की है।
उदयभान ने अदालत कक्ष में ही ईवीएम पर ट्रायल वोटिंग कराने की भी मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष की इस याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर दिया है।
याचिका में उदयभान ने कहा कि उनकी चुनाव याचिका का निपटारा करने में देरी हो रही है। उन्होंने होडल में भाजपा विधायक हरिंदर सिंह की जीत को पहले ही चुनौती दी हुई है।
उदयभान की ओर से अदालत में पक्ष रखते हुए हरियाणा के पूर्व एडवोकेट जनरल और भारत सरकार के पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मोहन जैन ने दलील दी कि जनप्रतिनिधित्व कानून, हाई कोर्ट नियम और सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए।
अदालत को बताया गया कि चुनाव आयोग ने 17 जून 2025 को नई प्रशासनिक और तकनीकी एसओपी जारी की है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि उम्मीदवार की मांग पर ईवीएम की जली मेमोरी और माइक्रो-कंट्रोलर की जांच की जाएगी। यह जांच इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के इंजीनियर करेंगे। जांच के बाद प्रमाण पत्र दिया जाएगा कि मशीन की प्रोग्रामिंग सुरक्षित है और किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं हुई है।
नई प्रक्रिया में यह भी प्रावधान है कि उम्मीदवार मॉक पोल की मांग कर सकते हैं। उस स्थिति में चुनाव आयोग की उपस्थिति में मशीन का डेटा दिखाया जाएगा और रिपोर्ट तैयार की जाएगी। रिपोर्ट पर केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकारी, इंजीनियर और उम्मीदवार या उनके प्रतिनिधि हस्ताक्षर करेंगे।
याचिका में यह आशंका जताई गई है कि सत्ताधारी दल से जुड़े होने के कारण जिला चुनाव अधिकारी पर दबाव पड़ सकता है, इसलिए जांच अदालत के रजिस्ट्रार की देखरेख में कराई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के एक फैसले का हवाला देते हुए मोहन जैन ने कहा कि हरियाणा के पानीपत जिले में हुए एक सरपंच के चुनाव को अदालत में चुनौती दी गई थी, जिसके बाद अदालत की निगरानी में वोटों की गिनती कराई गई और परिणाम बदल गए थे।
इसी आधार पर उन्होंने मांग की कि अदालत कक्ष में कुछ ईवीएम पर कांग्रेस के पक्ष में ट्रायल वोट डलवाए जाएं और यह देखा जाए कि वह वोट वास्तव में किस पक्ष में दर्ज होता है।




