“क्या हमारी कोई अहमियत नहीं?” – सिरसा विधायक गोकुल सेतिया का कांग्रेस हाईकमान पर तीखा सवाल
Sahil Kasoon The Airnews | सिरसा | विशेष राजनीतिक रिपोर्ट
हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर बगावती तेवर देखने को मिले हैं। इस बार आवाज उठाई है सिरसा से कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया ने, जिन्होंने दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान की एक अहम बैठक में आमंत्रण न मिलने पर कड़े सवाल उठाए हैं। गोकुल सेतिया ने सीधे तौर पर पार्टी की आंतरिक राजनीति पर नाराजगी जाहिर की है और खुद को नजरअंदाज किए जाने को जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करार दिया है।
गोकुल सेतिया का खुला बयान:
सिरसा विधायक गोकुल सेतिया ने अपने बयान में कहा:
“दिल्ली में हमारी पार्टी की हाईकमान की मीटिंग हो रही है।
हमें आज तक किसी विधायक को कभी नहीं बुलाया। क्या बात सिर्फ इतनी है कि जिनका पुराना नाम बड़ा है, वही हकदार हैं?
हमारी कोई अहमियत नहीं है, जो धरातल पर रहकर अपनी सीट जीतकर आए हैं?”
सेतिया के इस बयान से साफ है कि वे कांग्रेस के भीतर वरिष्ठता बनाम जमीनी कार्यकर्ता की बहस को फिर से ज़िंदा कर रहे हैं। उनका तर्क है कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में सिरसा की सीट जीती, जहां सभी प्रमुख दल उनके खिलाफ एकजुट हो गए थे।
भाजपा ने भी सीट छोड़ी, पर कांग्रेस ने नहीं दी ‘शाबाशी’
गोकुल सेतिया ने बताया कि जब उन्होंने सिरसा से चुनाव लड़ा, तो भाजपा ने अपना उम्मीदवार तक हटा लिया था, ताकि उनका विरोध मजबूत हो सके। इसके बावजूद उन्होंने विपक्षी लहर के बीच जीत हासिल की।
“मेरी सिरसा की सीट की बात करूं तो सभी पार्टियां मेरे खिलाफ थीं।
भाजपा ने भी अपना कैंडिडेट वापस ले लिया था और बाकी पार्टियां एकजुट थीं।
फिर भी मैंने जीत दर्ज की। आज तक हाईकमान ने शाबाशी तक नहीं दी।”
नगर परिषद चुनाव में मिली हार का भी जिक्र
सेतिया ने नगर परिषद चुनाव का उल्लेख करते हुए कहा कि जब सिरसा की सीट महज कुछ ही वोटों से हारी, उस समय भी कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने प्रचार के लिए रुख नहीं किया। उन्होंने कहा:
“नगर परिषद चुनाव में सबसे कम वोट से हमारी सिरसा की सीट हारी,
ना कोई बड़ा नेता प्रचार में आया, फिर भी किसी ने नहीं बुलाया।
क्या यही अहमियत है हमारी?”
बीजेपी की तुलना में उपेक्षा का दर्द
विधायक सेतिया ने अपने बयान में भाजपा की रणनीति और कार्यशैली की सराहना करते हुए कांग्रेस नेतृत्व की तुलना की। उन्होंने कहा:
“दूसरी तरफ, भाजपा के जीते हुए मेहर तक को प्रधानमंत्री जी से मिलवाया जाता है।
और यहां हम हैं कि जमीनी हकीकत में मेहनत करने के बावजूद नजरअंदाज किए जा रहे हैं।”
यह बयान स्पष्ट करता है कि गोकुल सेतिया अपने नेतृत्व से सम्मान और पहचान की अपेक्षा रखते हैं, जो उन्हें बार-बार नहीं मिलती।
पार्टी में बढ़ती असंतोष की भावना
हरियाणा कांग्रेस में गोकुल सेतिया का यह बयान कोई अकेला उदाहरण नहीं है। इससे पहले भी कई युवा और जमीनी विधायक पार्टी नेतृत्व की गुटबाजी और वरिष्ठ नेताओं की प्राथमिकता को लेकर सवाल उठा चुके हैं। गोकुल सेतिया का बयान उस असंतोष की एक नई कड़ी बनकर सामने आया है।
क्या होगा पार्टी नेतृत्व की प्रतिक्रिया?
अब देखना यह होगा कि कांग्रेस हाईकमान इस तीखे सवाल का क्या जवाब देती है। क्या सेतिया को संतुष्ट किया जाएगा या इस बयान से उनके पार्टी के साथ रिश्तों में दरार बढ़ेगी? यह आने वाले समय में साफ होगा।